योगी क्यों तलब किए गए दिल्ली?

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न तो यूपी से दिल्ली दूर है और न ही योगी आदित्यनाथ की उद्दात महत्वाकांक्षाओं से। अभी पिछले दिनों भाजपाध्यक्ष जेपी नड्डा के दिल्ली आवास पर जब यूपी के सीएम योगी पधारे तो सियासी फिजाओं के रंग किंचित गड्डमगड्ड थे। योगी के साथ अहम मीटिंग में शामिल होने के लिए गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा के संगठन महामंत्री बीएल संतोष खास तौर पर पधारे थे। मीटिंग में नड्डा कम बोले, राजनाथ आमतौर पर कुछ बोलते ही नहीं। सो पार्टी हाईकमान ने बातों ही बातों में योगी के समक्ष असंतोष जाहिर किया कि उन्हें गुजरात के चुनाव प्रचार में ‘यूपी मॉडल’ के बखान की क्यों जरूरत पड़ गई, जबकि देश के समक्ष हमेशा से भगवा पार्टी ’गुजरात मॉडल’ को एक नजीर की तरह पेश करती आई है। मुद्दा योगी सरकार में ही मंत्री नंदगोपाल नंदी का जेपी नड्डा को लिखे उस पत्र का भी उठा, जिसमें गुप्ता ने आरोप लगाया कि ’राज्य के व्यापारियों पर बिलावजह जीएसटी के छापे पड़ रहे हैं, एजेंसियां उन्हें परेशान कर रहीं हैं। इस बात से राज्य का व्यापारी वर्ग नाराज़ है, जबकि आने वाले कुछ दिनों में यूपी में महापौर के चुनाव भी होने हैं।’ हाईकमान को यूपी उप चुनाव के नतीजों को लेकर भी परेशानी है, दरअसल चुनावी नतीजे आने से पहले योगी ने दिल्ली से कहा था कि मैनपुरी में जीत-हार का अंतर मामूली होगा, खतौली और रामपुर भाजपा जीत रही है। लेकिन जब नतीजे आए तो मैनपुरी से डिंपल यादव 2 लाख 88 हजार के अंतर से विजयी रहीं, खतौली की सीट भी जयंत चौधरी की पार्टी ने जीत ली। सूत्रों की मानें तो इस बैठक में योगी को शिद्दत से यह याद दिलाने की कोशिश हुई कि वे कभी इस बात को भूले नहीं कि यूपी की जीत भाजपा को पीएम मोदी के चेहरे पर मिली है। जरूरी हुआ तो योगी को दिल्ली भी लाया जा सकता है।

अगले महीने यूपी के सीएम योगी को शिकागो, न्यूयॉर्क और लंदन की यात्रा पर निकलना था, इस यात्रा का मकसद राज्य के लिए विदेशी निवेश जुटाने का था। पिछले काफी महीनों से योगी की इस विदेश यात्राओं को लेकर तैयारियां जोरों पर थीं। यह भी तय हुआ था योगी जहां-जहां जाएंगे वे पीएम मोदी की यात्रा की तर्ज पर ही वहां के स्थानीय भारतीय समुदाय को संबोधित भी करेंगे, आयोजकों का भरोसा था कि योगी की हर ऐसी सभा में कम से कम चार से पांच हजार अप्रवासी भारतीयों की भीड़ जुट जाएगी। अब खबर आ रही है कि योगी की इस यात्रा को गृह मंत्रालय से आखिर वक्त पर मंजूरी नहीं मिली है, उल्टे उनसे यह कहा गया है कि वे बैकग्राउंड में रह कर काम करना सीखें।

संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र के दौरान भाजपा सांसदों की बैठक संसद सौंध में आहूत थी, जिसमें बड़ी संख्या में भाजपा सांसदों का जमावड़ा जुटा था। आम तौर पर पार्लियामेंट्री एनेक्सी में प्रधानमंत्री का प्रवेश सामने के दरवाजे से होता है, जहां भाजपा के राष्ट्रय अध्यक्ष जेपी नड्डा एक बड़ी सी माला लेकर पीएम की अगवानी के लिए मुस्तैद थे। पर इस बार पीएम वहां पहुंचे पिछले गेट से, नड्डा भी भागे-भागे पीछे वाली गेट पर पहुंचे, पीएम का स्वागत किया। मोदी ने नड्डा से चुटकी ली ’यह हिमाचल का हार पहना रहे हैं?’ नड्डा कुछ समझ पाते इससे पहले पीएम आगे बढ़ गए। उस मीटिंग में पीएम ने गुजरात की शानदार जीत के लिए वहां के प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल की पीठ बार-बार थपथपाई, बिचारे नड्डा के लिए इशारा ही काफी था।

पिछले सप्ताह संसद में भाजपा सांसद किशीरी लाल मीणा ने एक प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया जो समान नागरिक संहिता को लेकर था। जब वोटिंग का समय आया तो आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्डा उठ खड़े हुए, साथ बैठे एक साथी सांसद से कहा कि उनका एक जरूरी फोन आ रहा है, बाहर निकल कर उन्हें बात करनी होगी (जबकि हाउस में जैमर लगा है, फोन नेटवर्क ही नहीं आता)। चड्डा के सदन से बाहर निकलने के तुरंत बाद आप सांसद संजय सिंह भी उठ खड़े हुए बाहर जाने के लिए, उन्होंने साथ बैठे अपने साथी सांसद से कहा कि ’देखिए इस मसले पर हमारी पार्टी का रुख न पक्ष में हैं न खिलाफ, सो मैं वोट नहीं कर पाऊंगा, इसीलिए मैं भी बाहर जा रहा हूं।’ सो, आखिरकार इस विधेयक के पक्ष में 63 और इसके विपक्ष में 23 वोट पड़े।

जब से लालू-प्रिय बिहार के एक भूमिहार नेता अखिलेश प्रसाद सिंह बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नए अध्यक्ष बनाए गए हैं (सौजन्य से खड़गे) उनके हौसले नई कुलांचे भर रहे हैं। अभी इस 11 दिसंबर को अखिलेश बिहार के कुछ कद्दावर कांग्रेसी नेताओं को एक चार्टर्ड फ्लाइट से दिल्ली से पटना लेकर आए, जहां उन्हें पटना के स्थानीय बापू सभागार में अपना एक ’मेगा शो’ करना था। सिंह के इस चार्टर्ड फ्लाइट में सवार होकर मीरा कुमार, तारिक अनवर, बिहार के कांग्रेस प्रभारी भक्त चरण दास जैसे नेतागण पटना पहुंचे थे। ये नेतागण जब बापू सभागार पहुंचे तो यह देख कर दंग रह गए कि मंच तो नेताओं की भीड़ से खचाखच भरा था, पर वक्ताओं को सुनने वाले गिनती के दो-चार श्रोता थे। अब यह कहने की बात नहीं रह गई कि बिहार में कांग्रेस में कार्यकर्ता नदारद हैं, बच गए हैं सिर्फ नेता गण।

दक्षिण भारत के दो प्रमुख नेता यानी डीएमके मुखिया एमके स्टालिन और कर्नाटक के जनता दल सेक्युलर के चीफ एचडी कुमारस्वामी अपने भविष्य की राजनीति का खाका तैयार करने में जुटे हैं। सूत्रों का कहना है कि इन दोनों नेताओं की तबियत नासाज़ चल रही है, यह भी सुना जा रहा है कि इन्हें हर महीने अपने इलाज के लिए सिंगापुर के माऊंट एलिजाबेथ अस्पताल जाना पड़ता है। स्टालिन ने तो अघोशित तौर पर अपने पुत्र उदयनिधि स्टालिन को अपना उत्तराधिकारी तय कर दिया है, उन्हें अपने कैबिनेट में मंत्री भी बना दिया है। यह तैयारी 2024 के चुनावों को लेकर है। हालांकि स्टालिन के पिता करूणानिधि घोषित तौर पर अपने को नास्तिक कहते थे, मगर स्टालिन के विचार अपने पिता से किंचित दीगर है, वे ब्राह्मणवाद और मनुवाद का तो समर्थन नहीं करते, पर भगवान में उनकी गहरी आस्था है। हर शुभ कार्य से पहले वे मदुरै के मीनाक्षी मंदिर में पूजा अर्चना के लिए जाते हैं, वे अपने एक खास ज्योतिष की सलाहों पर भी अमल करते हैं, उस ज्योतिष के कहने पर ही उन्होंने अपना उत्तराधिकारी तय कर दिया है।

दक्षिण भारत के दो प्रमुख नेता यानी डीएमके मुखिया एमके स्टालिन और कर्नाटक के जनता दल सेक्युलर के चीफ एचडी कुमारस्वामी अपने भविष्य की राजनीति का खाका तैयार करने में जुटे हैं। सूत्रों का कहना है कि इन दोनों नेताओं की तबियत नासाज़ चल रही है, यह भी सुना जा रहा है कि इन्हें हर महीने अपने इलाज के लिए सिंगापुर के माऊंट एलिजाबेथ अस्पताल जाना पड़ता है। स्टालिन ने तो अघोशित तौर पर अपने पुत्र उदयनिधि स्टालिन को अपना उत्तराधिकारी तय कर दिया है, उन्हें अपने कैबिनेट में मंत्री भी बना दिया है। यह तैयारी 2024 के चुनावों को लेकर है। हालांकि स्टालिन के पिता करूणानिधि घोषित तौर पर अपने को नास्तिक कहते थे, मगर स्टालिन के विचार अपने पिता से किंचित दीगर है, वे ब्राह्मणवाद और मनुवाद का तो समर्थन नहीं करते, पर भगवान में उनकी गहरी आस्था है। हर शुभ कार्य से पहले वे मदुरै के मीनाक्षी मंदिर में पूजा अर्चना के लिए जाते हैं, वे अपने एक खास ज्योतिष की सलाहों पर भी अमल करते हैं, उस ज्योतिष के कहने पर ही उन्होंने अपना उत्तराधिकारी तय कर दिया है।

मध्य प्रदेश की पार्टी यूनिट से लगातार अमित शाह को यह शिकायतें मिल रहीं थीं कि ज्योतिरादित्य राज्य में पार्टी के एक समांतर संगठन चला रहे हैं। सूत्रों की मानें तो सिंधिया पर यह आरोप लग रहे थे कि वे बार-बार भोपाल और ग्वालियर पहुंच कर अपने वफादार मंत्रियों, विधायकों और पार्टी कार्यकर्ताओं की मीटिंग ले रहे हैं और उनके साथ अपने भविष्य की रणनीति बुन रहे हैं। यही शिकायत मध्य प्रदेश के भगवा सीएम शिवराज सिंह चौहान की भी थी कि ’भाजपा में कोई भी व्यक्ति संगठन से बड़ा नहीं हो सकता, चुनांचे भाजपा में ऐसी बैठकें बुलाने का अधिकार सिर्फ प्रदेश अध्यक्ष के पास ही है।’ कहते हैं कि हाईकमान ने सिंधिया को बुला कर कड़ी फटकार लगाई है कि ’वे मध्य प्रदेश के बजाए अपने मंत्रालय पर फोकस करें।’ इसके बाद ही मीडिया में दिल्ली एयरपोर्ट की अव्यवस्थाओं को लेकर शोर मच गया और ज्योतिरादित्य को भी अपना फौरी फोकस उस ओर करना पड़ा।

आम आदमी पार्टी की पंजाब को लेकर चिंताएं बढ़ गई है, पार्टी की ओर से ही समय-समय पर अपने शासित राज्यों में सर्वेक्षण कराने की परंपरा है। पार्टी की एक मान्य एजेंसी की हालिया जनमत सर्वेक्षण में इस बात का खुलासा हुआ है कि ’अगर आज की तारीख में लोकसभा चुनाव हो जाएं तो आप पंजाब की 13 में से सिर्फ 4 संसदीय सीट ही जीत पाएगी।’ इसकी वजह है कि अकाली दल जमीनी स्तर पर ‘पंथिक पॉलिटिक्स’ कर रहा है, जो चिंता का विषय है। कांग्रेस अब भी वहां अस्त-व्यस्त हालत में है। कैप्टन के दलबल के साथ भाजपा में शामिल होने पर राज्य में भाजपा के जनाधार में वृद्धि हुई है, हिंदू वोट बड़े पैमाने पर कांग्रेस की झोली से छिटक कर भाजपा की ओर जा रहा है, आप के लिए चिंता का सबसे बड़ा सबव भी यही है।

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