डीएफएस ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रमुखों के साथ समीक्षा बैठक की

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वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) के सचिव डॉ. विवेक जोशी ने आज यहां सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) और वित्तीय संस्थानों के प्रमुखों के साथ आयोजित समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की।यह समीक्षा बैठक पूरे दिन चली।

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इस बैठक के दौरान प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई), प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई), प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई), अटल पेंशन योजना (एपीवाई), प्रधानमंत्री मुद्रा और प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि (पीएमस्वनिधि)सहित विभिन्न सामाजिक सुरक्षा (जन सुरक्षा) योजनाओं की प्रगति, और कृषि ऋण, इत्‍यादि की समीक्षा की गई।

वित्तीय समावेश को बढ़ावा देने वाली सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के तहत प्रगति की समीक्षा करने के अलावा पीएसबी को वित्त वर्ष 2022-23 के लिए विभिन्‍न योजनाओं के तहत तय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। इस बात पर भी चर्चा की गई कि बैंकों को वित्तीय साक्षरता शिविरों का आयोजन करना चाहिए, ताकि सूक्ष्म बीमा योजनाओं सहित विभिन्न वित्तीय समावेश योजनाओं, यूपीआई लाइट सहित डिजिटल वित्तीय लेन-देन के बारे में जागरूकता और ज्‍यादा बढ़ाई जा सके।

इस दौरान इस बात की सराहना की गई कि पिछले 7-8 वर्षों में बैंकिंग सेवाओं तक लोगों की पहुंच को और भी ज्‍यादा आसान बना दिया गया है, और अब समाज के सबसे निचले तबके तक बैंकिंग सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करने के बाद बैंकों को टिकाऊ या सतत बैंकिंग संबंध सुनिश्चित करने के लिए ग्राहकों के अनुभवों को और भी अधिक बेहतरीन और सुखद बनाने के लिए हरसंभव प्रयास करने की आवश्यकता है। भारतीय बैंक संघ (आईबीए)से पहले ही सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के लिए ‘उपभोक्ता सेवा रेटिंग’ में तेजी लाने का अनुरोध किया गया है, ताकि ग्राहकों की अपेक्षाओं का पता लगाया जा सके और इसके साथ ही बैंकों को ग्राहकों के हर वर्ग को अपनी सेवाएं मुहैया कराने के अपने मानकों को बढ़ाने में सक्षम बनाया जा सके।

इस बैठक के दौरान आवेदन या मामले को स्‍वीकार करने, समाधान करने, राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की मंजूरी और परिसमापन से संबंधित प्रक्रियाओं में होने वाली देरी को कम करने के संबंध में दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) में प्रस्तावित संशोधनों पर भी चर्चा की गई। यह चर्चा कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय और भारतीय दिवाला एवं दिवालियापन बोर्ड (आईबीबीआई) के अधिकारियों की उपस्थिति में की गई।

इस दौरान देश के सभी किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) की सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से पीएसबी से ‘पीएम किसान डेटाबेस’ की मदद लेने का भी अनुरोध किया गया। कृषि अवसंरचना निधि (एआईएफ) योजना की प्रगति की भी समीक्षा की गई। कृषि ऋण संबंधी समीक्षा के दौरान कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अधिकारीगण भी उपस्थित थे।

पारदर्शिता बढ़ाने के लिए केसीसी प्राप्त करने की प्रक्रिया के डिजिटलीकरण में हुई प्रगति पर भी चर्चा की गई। पीएसबी को समयबद्ध तरीके से केसीसी ऋणों की संपूर्ण प्रक्रिया के डिजिटलीकरण के लिए आवश्यक कदम उठाने की सलाह दी गई। केसीसी-संशोधित ब्याज सब्सिडी योजना (एमआईएसएस) के डिजिटलीकरण पर भी चर्चा की गई और बैंकों से कहा गया कि वे वित्त वर्ष 2021-22 से अपने दावों के लिए पोर्टल का उपयोग शुरू करें।

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