पश्चिमी हिंद महासागर स्थित ग्रेटर मालदीव रिज का टेक्टोनिक क्रमिक विकास गोंडवानालैंड के टूटने और फैलाव के पुनर्निर्माण को समझने में सहायता कर सकता है

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एक हालिया अध्ययन में एक भारतीय शोधकर्ता ने टेक्टोनिक (विवर्तनिक) विकास और ग्रेटर मालदीव रिज (जीएमआर) की प्रकृति का पता लगाया है। पश्चिमी हिंद महासागर में स्थित जीएमआर की बहुत ही महत्वपूर्ण भूगतिकीय (जियोडायनैमिक) विशेषताएं रही हैं और इसका मूल कई वैज्ञानिक बहस का केंद्र रहा है।

यह अध्ययन मूल गोंडवानालैंड के टूटने और इसके फैलाव के पुनर्निर्माण को समझने में सहायता कर सकता है, जिसके कारण महाद्वीपों का मौजूदा प्रारूप, महाद्वीपीय खंड और हिंद महासागर में महासागरीय घाटियों का निर्माण हुआ है।

मालदीव रिज एक भूकंपीय रिज है, जो भूकंप गतिविधियों से जुड़ा हुआ नहीं है। भारत के दक्षिण-पश्चिम में पश्चिमी हिंद महासागर स्थित इस रिज का अच्छी तरह से अध्ययन नहीं किया गया है। भूकंपीय रिज की संरचना और भूगतिकी की जानकारी प्राप्त करना काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह महासागरीय घाटियों के विकास को समझने के लिए काफी अहम जानकारी प्रदान करता है।

भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अधीन मुंबई स्थित स्वायत्त अनुसंधान संस्था भारतीय भूचुम्बकत्व संस्थान (आईआईजी) ने अपने अध्ययन में उपग्रह के जरिए प्राप्त की गई हाई-रिजॉल्यूशन ग्रेविटी डेटा की सहायता से पहली बार जीएमआर के संभावित भूगर्भीय क्रॉस-सेक्शन को तैयार किया है। शोधकर्ताओं ने इसका अनुमान लगाया है कि जीएमआर एक समुद्री क्रस्ट के नीचे हो सकता है। इस अध्ययन के परिणाम हिंद महासागर के प्लेट-टेक्टोनिक के क्रमिक विकास को बेहतर ढंग से समझने में अतिरिक्त सीमाएं प्रदान कर सकते हैं।

इस शोध कार्य को डॉ. एस.पी. आनंद के मार्गदर्शन में डॉ. प्रियेश कुन्नुम्मल ने किया है। यह बृहद चागोस-लैकाडिव रिज (सीएलआर) प्रणाली के ग्रेटर मालदीव रिज खंड के पृथ्वी के क्रस्ट व मेंटल (आइसोस्टेसी) के बीच क्रस्टल आर्किटेक्चर और गुरुत्वाकर्षण संतुलन की स्थिति प्रदान करता है। यह अध्ययन मुख्य रूप से ब्रॉडबैंड भूकंपीय और अपवर्तन भूकंपीय डेटा के साथ गुरुत्वाकर्षण विसंगतियों (उपसतह के भीतर घनत्व के पार्श्व रूपांतरण की वजह से गुरुत्वाकर्षण के खिंचाव में छोटे अंतर) की व्याख्या पर आधारित है। इसने पहली बार ग्रेटर मालदीव रिज और इसके आस-पास की घाटियों (बेसिन) के साथ मोहो (मोहरोविक दरार) की भिन्नता की त्रि-आयामी फोटो प्रदान की है। जीएमआर के ऊपर पृथ्वी की क्रस्ट और मेंटल या मोहरोविक दरार (मोहो) के बीच की सीमा की गहराई को जगह पर प्रभावी लोचदार मोटाई (टीई) का सूक्ष्म भिन्नता के साथ व्यवस्थित रूप से मानचित्रण किया गया था। हाल ही में ‘गोंडवाना रिसर्च’ पत्रिका में टीई विविधताओं और आइसोस्टैटिक कंपेनशन से संबंधित शोध प्रकाशित किया गया है।

आईआईजी की टीम ने पाया कि मोहो, मालदीव रिज (एमआर) खंड पर गहरा है और डीप सी चैनल क्षेत्र (डीएससी) में दक्षिण की ओर उथला है। हालांकि, डीएससी क्षेत्र की तुलना में एमआर पर प्रभावी लोचदार मोटाई (लिथोस्फीयर की ताकत के लिए एक प्रतिनिधि) का मान कम था। इसकी संभावना है कि रीयूनियन हॉटस्पॉट ज्वालामुखी से जुड़े हुए प्लेट के नीचे की सामग्री के साथ मालदीव रिज और डीप सी चैनल क्षेत्र अपनी प्रकृति में समुद्री हो सकते हैं। इस शोध से पता चलता है कि मालदीव रिज, मध्य-सामुद्रिक रिज (जहां एक नए महासागरीय तल का निर्माण लिथोस्फेरिक प्लेटों या प्रसार केंद्र की अपसारी गति के कारण होता है) के आसपास के क्षेत्र में बना हो सकता है। इस बीच डीएससी क्षेत्र एक लंबी रूपांतरित फॉल्ट (प्रसारित होने वाले केंद्रों के बीच ऑफसेट, जो न तो स्थलमंडल बनाते हैं और न ही नष्ट करते हैं) के अधीन था। इसने पिघलने में बाधा पैदा की और प्लम-रिज संपर्क के दौरान चागोस व मालदीव रिज के बीच की खाई का निर्माण किया।

उपग्रह से प्राप्त गुरुत्वाकर्षण विसंगतियां क्रस्ट के प्रारूप को समझने में बहुत सहायक हैं. वहीं, पारंपरिक जहाज से प्राप्त जियोफिजिकल डेटा या तो उपलब्ध नहीं हैं या बहुत कम हैं।

डॉ. प्रियेश ने कहा, “यह अध्ययन क्रस्ट के प्रारूप, आइसोस्टैटिक कंपेनशन प्रणाली और ग्रेटर मालदीव रिज के टेक्टोनिक विकास में नई अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।”

 

प्रकाशन लिंक: https://doi.org/10।1016/j।gr.2022.01.006

 

अधिक जानकारी के लिए डॉ. एसपी आनंद (aerospl@yahoo.co.uk,anand@iigm.res.in) और डॉ. प्रियेश कुन्नुम्मल (priyeshkunnummal@gmail.com) से संपर्क करें।

 

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चित्र 1. ए) उपग्रह से खींची गई पश्चिमी हिंद महासागर का बाथिमेट्री (समुद्री तल का मापन) मानचित्र अध्ययन क्षेत्र और आस-पास के क्षेत्रों की प्रमुख संरचनात्मक विशेषताओं को दिखाता है। सफेद आयताकार बॉक्स इस लेख में चर्चा किए गए अध्ययन क्षेत्र का सीमांकन करता है। बी) ग्रेटर मालदीव रिज की 3डी बाथिमेट्री (समुद्र तल का मापन)। सी) ब्रेकेट में दिया गया मान ज्वालामुखी प्रवाह की आयु है

एमआर: मालदीव रिज, डीएससी: डीप-सी चैनल, सीआईआर: सेंट्रल इंडियन रिज, सीआर: कार्ल्सबर्ग रिज, सीएलआर: चागोस लैकाडिव रिज, एलआर: लैकाडिव रिज, ओएफजेड: ओवेन फ्रैक्चर जोन, सी: सेशेल्स, एमपी: मस्कारेने प्लेट, एसडीएम : साया डी मल्हा, कॉम: कोमोरिन रिज

 

 

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फोटो 2. ग्रेटर मालदीव रिज के ऊपर एन-एस प्रोफाइल (73.25 डिग्री देशांतर के साथ) के साथ एक संभावित भूवैज्ञानिक क्रॉस-सेक्शन दिखाता हुआ रेखाचित्र।

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फोटो 3. ए) ग्रेटर मालदीव रिज पर क्रस्ट की अतिरिक्त मोटाई। बी) जीएमआर के केंद्र के साथ क्रस्ट की अतिरिक्त मोटाई, मोहो गहराई और क्यूरी गहराई की भिन्नता। सी) और डी) यह क्रमशः जीएमआर केंद्र के साथ प्रभावी लोचदार मोटाई (टीई) और जियोएड से स्थलाकृति अनुपात के स्थानिक बदलाव को दर्शाता है।

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