अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के मामलें में CJI चंद्रचूड़ ने सिरे से खारिज कर दी सिब्बल की जनमत संग्रह वाली दलील

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नई दिल्ली, 10अगस्त। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने पर ब्रेक्जिट जैसे जनमत संग्रह का कोई सवाल ही नहीं है। मंगलवार को सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने यह टिप्पणी की। सीजेआई की अध्यक्षता में पांच जजों की संविधान बेंच उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही हैं जिनमें अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने को चुनौती दी गई है। J&K नैशनल कॉन्फ्रेंस के नेता मोहम्मद अकबर लोन ने अदालत में रेफरेंडम का शिगूफा छोड़ा। उनकी तरफ से पेश हुए सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने दलील दी कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से पहले जम्‍मू और कश्‍मीर के लोगों की भावना नहीं जानी गई। सिब्बल की दलील है कि 1957 में J&K संविधान सभा के खत्म होने के बाद अनुच्छेद 370 ने स्थायी रूप ले लिया। सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि संवैधानिक लोकतंत्र में, ब्रेक्जिट जैसी स्थिति नहीं हो सकती। पढ़ें, मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के 5 बड़े अपडेट

सिब्बल ने दलील दी कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करना ब्रेक्जिट की तरह ही एक राजनीतिक फैसला था। तब ब्रिटिश नागरिकों की राय जनमत संग्रह के माध्यम से प्राप्त की गई थी। सिब्बल ने कहा कि जब पांच अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया था तब ऐसा नहीं था।
सिब्बल ने पूछा, ‘संसद ने जम्मू-कश्मीर पर लागू संविधान के प्रावधान को एकतरफा बदलने के लिए अधिनियम को अपनी मंजूरी दे दी। यह मुख्य प्रश्न है कि इस अदालत को यह तय करना होगा कि क्या भारत सरकार ऐसा कर सकती है।’

सिब्बल की दलीलों से CJI चंद्रचूड़ प्रभावित नहीं हुए। और सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि संवैधानिक लोकतंत्र में, लोगों की राय जानने का काम स्थापित संस्थानों के माध्यम से किया जाना चाहिए। आप ब्रेक्जिट जैसे जनमत संग्रह जैसी स्थिति की कल्पना नहीं कर सकते।

सीजेआई ने सिब्बल के उस विचार से सहमति जताई कि ब्रेक्जिट एक राजनीतिक निर्णय था। हालांकि उन्होंने कहा, ‘हमारे जैसे संविधान के भीतर जनमत संग्रह का कोई सवाल ही नहीं है।

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