‘चीन के दलालों’ पर छापे से भय में मीडिया गिरोह: ‘न्यूज़क्लिक’ से जुड़े पत्रकारों पर कार्रवाई के बाद ‘ प्रेस की आज़ादी’ का रोना रो रहे राजदीप, आरफा और रोहिणी

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ऑनलाइन पोर्टल ‘न्यूज़क्लिक’ से जुड़े कई लोगों पर मंगलवार (3 अक्टूबर, 2023) की सुबह अमेरिकी और चीनी संगठनों से अवैध विदेशी धन लेने के मामले में छापे मारे गए। इस छापे की जद में ‘न्यूज़क्लिक’ से जुड़े संजय राजौरा, भाषा सिंह, उर्मिलेश, प्रबीर पुरकायस्थ, अभिसार शर्मा, औनिंद्यो चक्रवर्ती और सोहेल हाशमी समेत कई पत्रकार आए हैं।

इन पर छापेमारी से देश का लिबरल वामपंथी पत्रकारों का गैंग तिलमिलाया हुआ है। वो लगातार ट्वीट कर ‘न्यूज़क्लिक’ पर छापेमारी को प्रेस की आज़ादी पर हमला बताने से बाज नहीं आ रहे हैं। उन्होंने ट्वीट कर कहा, “छापों ने साबित कर दिया कि भारत में प्रेस की स्वतंत्रता ख़तरे में है।”

इन छापों के दौरान वामपंथी तंत्र लोगों को बरगलाने लिए अति-उत्साह में चला गया। इस गिरोह की मानें तो भारत के खिलाफ प्रचार करने के लिए दुश्मन देशों से अवैध फंडिंग से फायदा पाने वाले लोगों पर कोई भी जाँच स्वतंत्र प्रेस पर हमला है।

खुद को पत्रकार मानने वाली रोहिणी सिंह ने दावा किया है की कि छापों की खबर से संकेत मिलता है कि पत्रकारिता भारत में सबसे बड़ा अपराध है। गौरतलब है कि रोहिणी सिंह का नाम राडिया टेप विवाद में भी आया था और न केवल राजनीतिक दुष्प्रचार ही नहीं, बल्कि ज़बरदस्त फर्जी खबरें भी फैलाने की उनकी पुरानी आदत रही है।
इस क्रम में ‘द वायर’ की तथाकथित उस मुस्लिम पत्रकार ने भी ट्वीट्स किए, जो अक्सर इस्लामवादियों के बचाव करती हैं, फर्जी खबरों को आगे बढ़ाती हैं और हिंदू विरोधी दुष्प्रचार को बढ़ावा देती हैं। ये भी रोहिणी की राह पर हैं। आरफ़ा खानम शेरवानी ने ‘द वायर’ की रिपोर्ट को इस सवाल के साथ ट्वीट किया, “लोकतंत्र की जननी, कुछ भी? कई पत्रकारों, स्टैंड-अप कॉमिक्स, व्यंग्यकारों और टिप्पणीकारों के घरों पर सुबह-सुबह छापेमारी करते हुए दिल्ली पुलिस ने “आतंकवादी संबंधों से संबंधित” मामलों में पूछताछ शुरू कर दी है।”
राजदीप सरदेसाई, जो खुद को गिद्ध बताते रहे हैं, उन्होंने प्रशांत पुजारी (PFI जिहादियों के द्वारा मारे गए एक हिंदू) की नृशंस हत्या को राजनीतिक संदर्भ से जोड़ दिया। यहीं नहीं संसद पर आतंकवादी हमले को कवर करने में उन्होंने खासा उत्साह दिखाया था।

राजदीप ने अपने ट्वीट में कहा, “आज सुबह की ब्रेकिंग स्टोरी: दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने ‘न्यूज़क्लिक’ वेबसाइट से जुड़े कई पत्रकारों/लेखकों के घरों पर छापेमारी की। मोबाइल और लैपटॉप ले गए। पूछताछ जारी। अभी तक कोई वॉरंट/एफआईआर नहीं दिखाया गया। लोकतंत्र में पत्रकार कब से राज्य के ‘दुश्मन’ बन गए?”
इस्लामी प्रोपेगंडा आउटलेट AltNews के को-फाउंडर और जिहादी अपराधों का बचाव करने की कोशिश करने वाले जुबैर के साथी प्रतीक सिन्हा ने ये ऐलान कर डाला है कि सरकार सभी हदें पार कर रही है।
गौरतलब है कि फिलहाल जिन लोगों पर छापेमारी की जा रही है, वे सभी लोग काफी लंबे वक्त से भारत खिलाफ प्रोपेगंडा चला रहे हैं। उनमें से किसी पर भी उनकी राय और विचारों के लिए मुकदमा नहीं चलाया गया है। ये छापे इसलिए नहीं हैं की कि भारत सरकार ने जानबूझकर पत्रकारों पर मुकदमा चलाने का फैसला किया हैं। दरअसल, जिन लोगों पर छापे मारे जा रहे हैं वे ‘न्यूज़क्लिक’ से जुड़े हुए थे या हैं। ये ऑनलाइन न्यूज पोर्टल भारत में रह कर भारत के खिलाफ ही दुष्प्रचार करता है और चीनी एजेंडे को आगे बढ़ाता है।

अमेरिकी अखबार ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ में शनिवार (5 अगस्त, 2023) को एक लेख प्रकाशित हुआ था। इस लेख में अमेरिकी व्यवसायी के साथ चीनी सरकार के संबंध और ‘न्यूजक्लिक’ नामक वामपंथी प्रोपेगंडा पोर्टल को मिल रही फंडिंग को लेकर खुलासा किया गया।

‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ के अनुसार, “यह बहुत कम लोगों को पता है कि गैर-लाभकारी संगठनों और शैल कंपनियों की आड़ में नेविल रॉय सिंघम चीन के सरकारी मीडिया के साथ मिलकर काम करता है और चीन के प्रोपेगेंडा को दुनिया भर में फैलाने के लिए फंडिंग कर रहा है।”

‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने लेख में कहा है कि नेविल रॉय सिंघम भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों में प्रगतिशील होने की वकालत करने के बहाने चीनी सरकार के एजेंडे को लोगों के बीच फैलाने में कामयाब रहा है। नई दिल्ली स्थित कॉर्पोरेट फाइलिंग से भी पता चलता है कि नेविल रॉय सिंघम के नेटवर्क ने प्रोपेगेंडा पोर्टल ‘न्यूज़क्लिक’ को फंडिंग की थी। इसके तहत ‘न्यूजक्लिक’ ने अपनी कवरेज को चीनी सरकार के मुद्दों से जोड़ते हुए एक वीडियो में कहा था, “चीन का इतिहास श्रमिक वर्गों को प्रेरित करता रहा है।”

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