आरएसएस नेताओं की फोटो रखना आतंकवादी कृत्य नहीं- मद्रास हाईकोर्ट

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नई दिल्ली, 27अक्टूबर। RSS नेताओं की फोटो रखना आतंकवादी कृत्य नहीं है. मद्रास हाईकोर्ट ने UAPA मामले में PFI के आठ सदस्यों को जमानत देते हुए ये टिप्पणी की. PFI के इन 8 सदस्यों पर देश भर में आतंकवादी साजिश रचने का आरोप है. जानकारी के लिए बता दें, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) प्रतिबंधित संगठन है.

जस्टिस एसएस सुंदर और जस्टिस सुंदर मोहन की डिवीजन बेंच आरोपियों की जमानत की मांग पर सुनवाई कर रही थी. बेंच ने कहा कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने अपीलकर्ताओं पर “आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने” के लिए धन इकट्ठा करने में शामिल होने का आरोप लगाया, लेकिन उन्हें किसी भी आतंकवादी गतिविधियों से सीधे जोड़ने के लिए रिकॉर्ड पर कुछ भी नहीं था.

एनआईए ने अदालत को बताया था कि अपीलकर्ताओं के पास आरएसएस नेताओं और अन्य हिंदू संगठनों की कुछ ‘चिह्नों वाली तस्वीरें’ सहित कई दस्तावेज पाए गए थे, जिससे पता चलता है कि ये नेता हिट लिस्ट में थे.

कोर्ट ने कहा, “आरएसएस या अन्य हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं और नेताओं की कुछ तस्वीरें भी विशिष्ट चिह्नों के साथ ली गई हैं. कहा गया कि चिह्नांकन से संकेत मिलेता है कि चिह्नित व्यक्तियों को इस तरह टारगेट किया गया है जैसे कि वे पीएफआई की ‘हिट लिस्ट’ में हों. जब सामग्री को किसी की ज्वलंत कल्पना द्वारा व्याख्या करने की अनुमति दी जाती है, तो कोई यह मान सकता है कि एक संभावित खतरा पैदा कर सकता है। हालांकि, ये फोटो रखने को आतंकवादी कृत्य नहीं माना जा सकता.”

एनआईए ने ये भी तर्क दिया कि विज़न डॉक्यूमेंट के आधार पर, पीएफआई का उद्देश्य राजनीतिक शक्ति हासिल करना और वर्ष 2047 तक भारत में एक इस्लामी सरकार की स्थापना की दिशा में काम करना था.
हाईकोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ताओं को ”विजन डॉक्यूमेंट” से जोड़ने वाली किसी भी सामग्री के अभाव में, हर गंभीर आरोप अनुमान के आधार पर संभावनाओं पर आधारित प्रतीत होता है. दूसरे शब्दों में, जो राय बनी है वह बिना किसी प्रत्यक्ष प्रमाण या सबूत के है.

इस बात पर भी प्रकाश डाला गया कि गवाहों के बयानों के अलावा कि कुछ अपीलकर्ताओं ने चाकू और तलवारों का उपयोग करके हथियार प्रशिक्षण का आयोजन किया था, किसी आतंकवादी कृत्य में या किसी आतंकवादी गिरोह के सदस्य के रूप में अपीलकर्ताओं में से किसी की संलिप्तता दिखाने के लिए कोई अन्य सामग्री नहीं है.

पिछले साल किया गया था गिरफ्तार
आरोपियों को पिछले साल सितंबर में एनआईए ने गिरफ्तार किया था. आरोप है कि केंद्र सरकार को जानकारी मिली थी कि पीएफआई के कई सदस्य केरल, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और भारत के कई अन्य राज्यों में आतंकवादी कृत्यों को आयोजित करने की साजिश रच रहे हैं. एक विशेष अदालत ने इस साल जनवरी में अपीलकर्ताओं को जमानत देने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद उन्हें हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा.

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