अश्लील कंटेंट के निर्माण को राष्ट्र विरोधी गतिविधि के तौर पर वर्गीकृत करने के लिए सख्त कानून बनाए जाए : उदय माहुरकर

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नई दिल्ली, 28दिसंबर। सेव कल्चर सेव भारत फाउंडेशन (एससीएसबीएफ) ने सुझाव दिया है कि सभी ओटीटी प्लेटफॉर्म पर अश्लील कंटेंट और एक ही परिवार के सदस्यों में अनुचित और गलत शारीरिक संबंधों पर आधारित फिल्में और विडियो बनाने वालों को राष्ट्र विरोधी गतिविधि के तौर पर वर्गीकृत किया जाए।

फाउंडेशन ने सभी तरह की अश्लील सामग्री के निर्माण और प्रसार पर दुबई की तरह पूरी तरह बैन लगाने की मांग की है। इसके साथ ही नैतिक कानूनी संहिता बनाने की मांग भी फाउंडेशन ने की है, जिसके तहत सभी ऑडियो-विडियो प्लेटफॉर्म के लिए अश्लील सामग्री के निर्माण और प्रसारण को राष्ट्र विरोधी गतिविधि करार दिया जाए।

फाउंडेशन ने यह मांग की है कि नैतिक कानून संहिता के उल्लंघन को बलात्कार के लिए उकसाने वाली कार्रवाई के समान माना जाए। दोषी पाए जाने पर 10 से 20 साल की सजा दी जाए। तीन साल तक दोषी को जमानत न दी जाए और चार महीने में मामले की सुनवाई की जाए। एससीएसबीए ने इस तरह की सारी अश्लील सामग्री को एक ही समूह में वर्गीकृत करने के लिए आईटी एक्ट में संशोधन की भी सलाह दी, ताकि आधार कार्ड, फिंगर प्रिंट या दोनों तरीकों से उन तक पहुंचा जा सके।

जेम्स ऑफ बॉलीवुड के सहयोग से “ओटीटी में आपत्तिजनक कंटेंट की खोज” पर एक विस्तृत श्वेत पत्र भी जारी किया। इसमें ओटीटी के लिए अश्लील कार्यक्रमों के निर्माण और प्रसारण से रेप और दुराचार को बढ़ावा देने की प्रवृत्ति को उभारा गया है। इस श्वेत पत्र में नेटफिलक्स, अल्ट बालाजी, सोनी लिव, डिस्ने+हॉटस्टार, उल्लू, एमएक्स प्लेयर और अमेजन प्राइम विडियो जैसे प्रमुख ओटीटी प्लेटफॉर्म पर प्रसारित होने वाली प्रमुख फिल्मों और टीवी सीरीज में अश्लील सीन होने के खासतौर पर उदाहरण दिए गए।

एससीएसबी फाउंडेशन की ओर से आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त  उदय माहुरकर की मौजूदगी में ये मांगें रखी गई। इस अवसर पर वृंदावन में आनंदम धाम के प्रस्थापक सदगुरु रितेश्वर जी

महाराज, हिंदू धर्म आचार्य सभा के संयोजक परमात्मानंद जी सरस्वती, सुप्रीम कोर्ट की वकील मोनिका अरोड़ा, समाजसेवी और वकील  हरिशंकर जैन, लेखक समाजसेवी, जेम्स ऑफ बॉलिवुड के संस्थापक  राजीव नेवार तथा पत्रकार और सेवा न्याय उत्थान फाउंडेशन की सुश्री स्वाति गोयल शर्मा भी उपस्थित थीं।

एससीएसबीएफ फाउंडेशन ने सभी प्लेटफॉर्म पर प्रसारित होने वाले ऑडियो-विजुअल कंटेंट के लिए थीम, सीन भाषा और कपड़ों के लिए कुछ सीमाएं तय करने की वकालत की, जिससे जिम्मेदार कंटेंट का निर्माण सुनिश्चित किया जाए। फाउंडेशन का मानना है कि इस तरह का कंटेंट पिछले विदेशी हमलों से ज्यादा बड़ा खतरा है। एससीएसबीएफ की स्थापना की पहली वर्षगांठ पर बॉलीवुड की प्रभावशाली हस्तियों और अनुसंधान के लिए समर्पित टीम के सहयोग से श्वेत पत्र रिलीज किया गया।

इस विस्तृत अध्ययन में कई ऐसे उदाहरण किए गए, जहां बलात्कारियों ने यह स्वीकार किया कि उन्होंने ओटीटी और दूसरे प्लेटफॉर्म पर देखी गई अश्लील विडियो और फिल्मों से प्रभावित होकर यह अपराध किया। डंगूरपुर जिले में एक प्रिंसिपल पर एक साल में आठ लड़कियों के यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया गया। इस आरोपी ने भी इसी ट्रेंड की ओर संकेत किया। गिरफ्तारी के बाद आरोपी प्रिंसिपल ने स्वीकार किया कि वह स्मार्टफोन पर अश्लील कंटेंट देखकर ऐसा व्यवहार करने के लिए प्रेरित हुए।

अल्ट बालाजी पर वेब सीरीज XXX में एक पुरुष के अपनी दादी, सालियों और सौतेली मां के साथ अवैध संबंधों को दिखाया गया है। सबसे ज्यादा झटका तो तब लगता है जब यह चारों महिलाएं आरती की थाल लेकर उस पुरुष अभिनेता का स्वागत करती हैं।

ओटीटी प्लेटफॉर्म पर बिना सेंसर की की गई अश्लील सामग्री का प्रसारण करने वाली करीब 500 ऐप्स उभरी है, जो इसी तरह से परिवार में अवैध संबंधों पर आधारित विडियो और फिल्में बनाती है। यह सब कहानियां मुख्य रूप से बहुसंख्यक हिंदू समुदाय पर केंद्रित कर बनाई जाती है।

सेव कल्चर सेव भारत फाउंडेशन के संस्थापक उदय माहुरकर ने समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने संस्था की उल्लेखनीय उपलब्धियों को दिखाने वाला विस्तृत रिपोर्ट कार्ड जारी किया।

एससीएसबीएफ के संस्थापक, मशहूर लेखक और पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त  उदय माहुरकर ने कहा, “फाउंडेशन ओटीटी प्लेटफॉर्म पर इस तरह के कार्यक्रम, विडियो और फिल्मों को देखकर काफी हैरत में है, जो परिवार और समाज में अवैध संबंधों का महिमामंडन करती है। इसमें ससुर-बहू, साली-साला, छात्र और शिक्षक और यहां तक कि पोते और दादी मां के बीच अवैध संबंधों को दिखाया गया है। इस तरह के कार्यक्रम हमारे देश के सामाजिक ताने-बाने के लिए बहुत घातक है। हम इस तरह के अश्लील कार्यक्रमों का निर्माण और प्रसारण करने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करते हैं, जिससे मनोरंजन के नाम पर इस तरह की अश्लील और दो अर्थों वाले संवादों की फिल्मों  विडियो पर रोक लग सके। हम अपनी संस्कृति पर हमला करने की साजिश रचने वाले लोगों को चेतावनी देते हैं कि उनके सजा से बचने और संरक्षण हासिल होने के दिन खत्म हो चुके हैं। अब उन्हें हमारे बच्चों की मानसिकता को दूषित करने वाले इस तरह की घृणित कंटेंट के निर्माण और प्रसारण के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा।“

माहुरकर ने विश्वास जताया कि इसमें कोई शक नहीं कि 2047 तक पूरी दुनिया में भारत आर्थिक, सैन्य और वैज्ञानिक रूप से पावरहाउस के रूप में उभरने के लक्ष्य को हासिल कर लेगा। हालांकि सबसे महत्वपूर्ण सवाल है कि क्या भारत सांस्कृतिक मूल्यों से समृद्ध राष्ट्र के रूप में उभरेगा।

माहुरकर ने कहा, “भारत की महानता और विश्वगुरु बनने की महत्वाकांक्षा का मार्ग इस तरह की अश्लील कंटेंट के निपटने के तरीकों पर निर्भर करती है। यह हमारे सामाजिक ताने-बाने और मेलजोल के लिए यह बहुत बड़ा खतरा है। यह नए भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती है।“

सतगुरु रितेश्वर जी महाराज ने कहा, “हम यह देख रहे हैं कि मनोरंजन के नाम पर कई देश विरोधी ताकतें इंटरनेट पर अश्लील कंटेंट फैला रही है। यह कुछ और नहीं, बल्कि यह हमारे सांस्कृतिक मूल्यों के खिलाफ छेड़ा गया युद्ध है। परिवार में अवैध संबंधों पर आधारित कार्यक्रमों पर कोई नियंत्रण नहीं है और इस तरह के कंटेट का निर्माण करने वाले को सामाजिक संरक्षण हासिल है। हमें इस ट्रेंड पर कंट्रोल रखने के लिए कड़े कानून बनाने की सख्त जरूरत है, ताकि वह हमारी संस्कृति पर आक्रमण करने में सफल न हो।“

पद्मश्री निवेदिता भिड़े ने कहा, “हमें इन असामाजिक और देश विरोधी ताकतों को हमारी सहनशक्ति या सहने की क्षमता का इम्तहान लेने से रोकने की जरूरत है। भारत में ओटीटी प्लेटफॉर्म को संचालित करने के लिए लचीले नियमो का फायदा उठाने से रोकना चाहिए। प्रस्तावित नैतिक कानून संहिता हमारी सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा और डिजिटल युग में जिम्मेदार ढंग से कंटेंट का निर्माण सुनिश्चित करने की दिशा में हत्वपूर्ण कदम है।“

जेम्स ऑफ बॉलीवुड के संस्थापक  संजीव नेवार ने कहा, “मीडिया में सामाजिक कहानियों को नए आकार में ढालने की काफी ताकत है। फाउंडेशन की पहल जिम्मेदार मीडिया की जरूरत और अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए उचित और सुसंस्कृत तरीके से कहानियां सुनाने की कला पर जोर देती है, जिससे हमारे सामाजिक ताने-बाने में सकारात्मक रूप से वह अपना योगदान दे सकें।“

सेवा न्याय उत्थान फाउंडेशन की संस्थापक  स्वाति गोयल शर्मा ने कहा,“इन कार्यक्रमों के सामाजिक मूल्यों पर प्रभाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। ओटीटी प्लेटफॉर्म पर पिछले दरवाजे से इस तरह के अश्लील कार्यक्रमों का प्रसारण केवल हमारी संस्कृति पर आक्रमण और हमारे सामाजिक ताने-बाने को तोड़ने के मकसद से किया जा रहा है। इससे निपटने के लिए कड़े कानून बनाए जाने की जरूरत है।“

एससीएसबीएफ ने अपनी स्थापना के उद्घाटन वर्ष में कई उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की। संस्था ने मिशन मोड कैंपेन से दुनिया भर में अपनी पहचान बनाई है। इसके लिए दिल्ली में जी-20 की बैठक में संस्थान ने साइबर एजुकेशन और बच्चों और युवाओं में साइबर जागरूकता पर एक टूलकिट रिलीज की। फाउंडेशन के साक्ष्य पर आधारित अनुसंधान, साथियों की ओर से की गई स्टडीज ने अश्लील सांमग्री के निर्माण और प्रसार तथा देश में बलात्कार के मामले बढ़ने में महत्वपूर्ण संबंध स्थापित किया। इसके अलावा संस्था ने कई प्रभावी लघु फिल्मों, “एक लड़की” और “कृपया ध्यान दें” का निर्माण किया गया है। इन फिल्मों में दिखाया गया है कि अश्लील कंटेंट का संवेदनशील युवाओं और विशेष तौर पर लड़कियों पर बहुत प्रभाव पड़ता है। फाउंडेशन को अपने अभियान के लिए कई प्रतिष्ठित हस्तियों का समर्थन मिला है। इनमें आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत और स्वामी रामदेव और गुरुदेव रविशंकर जैसे सम्मानित संत शामिल हैं। फाउंडेशन ने अधिकारियों के सहयोग से इन मुद्दों पर केंद्रीय मंत्रियों, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष  सुमित्रा महाजन का ध्यान आकर्षित किया।

सेव कल्चर सेव फाउंडेशन ने नागरिकों, नीति निर्माताओं और प्रभावशाली हस्तियों से अश्लील कार्यक्रमों के खिलाफ एक राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल करने का आग्रह किया। फाउंडेशन ने अनुचित और अश्लील कंटेंट से समाज में पैदा होने वाली विकृति को रोकने के लिए सामूहिक प्रयासों की जरूरत पर जोर दिया। फाउंडेशन का मानना है कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन की तरह इस तरह के अश्लील कंटेंट के खिलाफ अभियान भी उसी जुनून और ताकत से चलाया जाना चाहिए।

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