UPA काल में कर दी थी स्वामीनाथन कमिटी की सिफारिशें खारिज करने वाली कांग्रेस सरकार बनने पर MSP की गारंटी का कर रही वादा

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नई दिल्ली,14फरवरी। न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) समेत कई मांगों को लेकर किसान एक बार फिर आंदोलन पर हैं. किसानों की मांग को जायज ठहराते हुए कांग्रेस ने ऐलान किया कि ‘INDIA‘ गठबंधन की सरकार बनी तो वह स्वामीनाथन आयोग की सभी सिफारिशें को लागू करेगी. राहुल गांधी ने ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के दौरान छत्तीसगढ़ से इसका ऐलान किया था. हालांकि UPA सरकार के दौरान जब MSP को लेकर स्वामीनाथन कमिटी की सिफारिश लागू करने का प्रस्ताव सरकार के सामने आया था तो उनके द्वारा जो जवाब दिया गया था वह जानकर आपको भी हैरानी होगी. इस कमीशन की रिपोर्ट को लागू करने से UPA सरकार ने भी मना कर दिया था.

क्या बोल रहे कांग्रेसी?
इससे पहले स्वामीनाथन को ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किए जाने पर भी कई कांग्रेस नेताओं ने सवाल उठाया. उन्होंने कहा था कि उन्हें ‘भारत रत्न’ से सम्मानित तो किया गया, लेकिन उनकी किसानों की MSP को लेकर जो सिफारिश की गई थी उसे मोदी सरकार लागू कर देती तो ज्यादा अच्छा होता. स्वामीनाथन आयोग का गठन नवंबर 2004 में किया गया था. ‘हरित क्रांति’ के जनक और महान कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन इस ‘नेशनल कमीशन ऑन फार्मर्स’ के अध्यक्ष थे.

स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट में क्या?
ऐसे में एमएस स्वामीनाथन ने 2006 में सौंपी अपनी रिपोर्ट में किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने और पैदावार को बढ़ाने को लेकर कई सुझाव दिए थे और साथ ही कई सिफारिशें की थी. इसमें सबसे अहम सुझाव MSP यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर था. समिति की तरफ से न्यूनतम समर्थन मूल्य को औसत लागत से 50 फीसदी ज्यादा रखने की सिफारिश की गई थी, जिससे छोटे किसानों को फसल का उचित मूल्य मिल सके. आयोग ने यह भी सिफारिश की थी कि न्यूनतम समर्थन मूल्य कुछ ही फसलों तक सीमित नहीं रहे.

UPA ने नहीं किया था लागू
स्वामीनाथन आयोग की इस रिपोर्ट में MSP फॉर्मूले को तब की कांग्रेस के नेतृत्व वाली UPA सरकार ने 2007 में को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि इससे बाजार खराब हो जाएगा और यह काउंटर प्रोडक्टिव होगा. वही कांग्रेस अब वादा कर रही है कि अगर वह सत्ता में वापस आई तो किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ देगी.

BJP सांसद के सवाल पर क्या मिला था जवाब
साल 2010 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद प्रकाश जावड़ेकर ने राज्यसभा में UPA सरकार से पूछा था कि क्या उसने किसानों को भुगतान की जाने वाली लाभकारी कीमतों की गणना के संबंध में स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है? जवाब में तत्कालीन केंद्रीय कृषि, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री केवी थॉमस ने कहा था, ‘प्रोफेसर एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय किसान आयोग ने न्यूनतम समर्थन मूल्य की सिफारिश की है.’ उन्होंने इसे नहीं लागू करने के कई कारण गिनाए थे और कहा था कि इससे अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित होगी.

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