श्री अर्जुन मुंडा ने पतंजलि की टीम के साथ साझेदारी में कार्यान्वित परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की

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औषधीय पौधों से भरपूर जनजातीय क्षेत्रों में हर्बल मेडिसिन को आजीविका मिशन का हिस्सा बनाया जाए: श्री अर्जुन मुंडा

जनजातीय अनुसंधान संस्थानों द्वारा जनजातीय समुदायों, जनजातीय संस्कृति, जनजातीय ज्ञान और परंपरा से संबंधित ज्ञान का विस्तार करने के लिए जनजातीय अध्ययन भी किए जाने चाहिए: श्री अर्जुन मुंडा

जनजातीय लोगों के बीच जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है ताकि जनजातीय लोग सरकार द्वारा शुरू की गई कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठा सकें : श्री बिशेश्वर टुडू

केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने आदिवासी कल्याण और विकास के क्षेत्र में मंत्रालय और पतंजलि के बीच साझेदारी की प्रगति की समीक्षा के लिए कल शास्त्री भवन में पतंजलि योगपीठ के प्रबंध निदेशक एवं सह-संस्थापक आचार्य बालकृष्ण व उनकी टीम के साथ बैठक की। पतंजलि ने मंत्रालय के “उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) के समर्थन के लिए वित्तीय सहायता योजना” के तहत जनजातीय कार्य मंत्रालय के साथ भागीदारी की है।

इस बैठक में पतंजलि द्वारा संचालित परियोजनाओं की प्रगति रिपोर्ट, अनुसंधान एवं जनजातीय लोगों के कल्याण से संबंधित विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर गहन चर्चा की गई।

इस अवसर पर केंद्रीय जनजातीय कार्य राज्य मंत्री श्री बिशेश्वर टुडू, पूर्व राज्य मंत्री श्री प्रताप चंद्र सारंगी और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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पतंजलि की टीम ने बैठक में बताया कि जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा सौंपे गए प्रोजेक्ट के हिस्से के रूप में, उसने उत्तराखंड के जनजातीय क्षेत्रों में पाए जाने वाले औषधीय पौधों की प्रामाणिकता के साथ पहचान और दस्तावेजीकरण के लिए व्यापक सर्वेक्षण किया है। टीम ने बताया कि वे सर्वेक्षण किए गए क्षेत्रों में क्षमता निर्माण भी कर रहे हैं ताकि पारंपरिक जनजातीय चिकित्सक अच्छे तौर-तरीकों का पालन करते हुए अधिक पेशेवर तरीके से हर्बल औषधियों का इस्तेमाल कर सकें। इसके परिणामस्वरूप दोनों पक्षों द्वारा ज्ञान का आदान-प्रदान हुआ है और मंत्रालय की सौंपी गई परियोजना के अनुसार दस्तावेजीकरण के लिए बहुमूल्य जानकारी प्रदान की गई है। अब तक, पतंजलि को 65,000 पौधों के दस्तावेजीकरण का अनुभव है और उसने कुल मिलाकर 200 जनजातीय समुदायों के साथ काम किया है।

 

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इस बैठक में श्री आचार्य बालकृष्ण ने जनजातीय गांवों के समग्र विकास, जनजातीय समुदाय के बच्चों की शिक्षा में सुधार और आजीविका सृजन के लिए अपने सुझाव प्रस्तुत किए। उन्होंने यह भी कहा कि पतंजलि देश की सेवा के लिए प्रतिबद्ध है, और पतंजलि में किए गए अनुसंधान कार्यों का उपयोग जनजातीय क्षेत्रों के विकास में तेजी लाने के लिए किया जा सकता है। उन्होंने उनके द्वारा विकसित डिजिटल प्लेटफॉर्म का विस्तृत विवरण भी दिया, जो जनजातीय समुदायों के समग्र विकास के लिए लाभकारी हो सकते हैं। इस अवसर पर श्री आचार्य बालकृष्ण ने श्री अर्जुन मुंडा को पतंजलि आयुर्वेद द्वारा तैयार की गई कार्य योजनाओं पर रिपोर्ट और एक पुस्तक भी भेंट की।

श्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि पतंजलि द्वारा जनजातीय क्षेत्रों में इतने जिम्मेदार तरीके से किया जा रहा कार्य वास्तव में सराहनीय है। उन्होंने कहा कि पतंजलि के सुझावों पर गंभीरता से चर्चा करने की जरूरत है, जिसके लिए समयबद्ध कार्य योजना बनाने के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा। इसमें देश भर के जनजातीय अनुसंधान संस्थान और विश्वविद्यालय भी शामिल होंगे। इसके अलावा, श्री मुंडा ने कहा कि जनजातीय अनुसंधान संस्थानों द्वारा जनजातीय समुदायों, जनजातीय संस्कृति, जनजातीय ज्ञान और परंपरा से संबंधित ज्ञान का विस्तार करने के लिए जनजातीय अध्ययन किए जाने चाहिए। श्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि विशेष रूप से औषधीय पौधों से भरपूर जनजातीय क्षेत्रों में औषधीय पौधों को उगाने और जड़ी-बूटी तैयार करने की प्रथा को आजीविका मिशन के दायरे में शामिल किया जाना चाहिए।

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केंद्रीय जनजातीय कार्य राज्य मंत्री श्री बिशेश्वर टुडू ने कहा कि जनजातीय लोगों के बीच जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है ताकि जनजातीय लोग सरकार द्वारा शुरू की गई कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठा सकें।

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