रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा खरीद परिषद ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ को बढ़ावा देने के लिए 76,390 करोड़ रुपये के रक्षा सौदों को मंजूरी दी

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के आह्वान के बाद रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) ने 06 जून, 2022 को एक बैठक में 76,390 करोड़ रुपये की राशि सशस्त्र बलों के लिए पूंजी अधिग्रहण प्रस्तावों में प्रयोजन की स्वीकृति (एओएन) को मंजूर किया। इन्हें ‘खरीदें (भारतीय)’, ‘खरीदें और बनाएं (भारतीय)’ और ‘खरीदें (भारतीय-आईडीडीएम)’ श्रेणियों के अंतर्गत स्वीकार किया गया है। इससे भारतीय रक्षा उद्योग को पर्याप्त बढ़ावा मिलेगा और विदेशी खर्च में मुख्य रूप से कमी आएगी।

रक्षा खरीद परिषद ने स्वदेशी डिजाइन और विकास पर जोर देने के साथ ही घरेलू स्रोतों के माध्यम से भारतीय सेना के लिए रफ टेरेन फोर्क लिफ्ट ट्रक (आरटीएफएलटी), ब्रिज लेइंग टैंक (बीएलटी), व्हीलड आर्मर्ड फाइटिंग व्हीकल्स (डब्ल्यूएच एएफवी) के अतिरिक्त एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (एटीजीएम) और वेपन लोकेटिंग रडार (डब्ल्यूएलआर) की खरीद के लिए नए एओएन को स्वीकृति प्रदान की।

भारतीय नौसेना के लिए डीएसी ने लगभग 36,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर अगली पीढ़ी के कार्वेट (एनजीसी) की खरीद के लिए एओएन को मंजूरी दी। ये एनजीसी निगरानी मिशन, एस्कॉर्ट ऑपरेशन, डिटरेंस, सर्फेस एक्शन ग्रुप (एसएजी) ऑपरेशंस, तलाश एवं आक्रमण और तटीय सुरक्षा जैसी विभिन्न भूमिकाओं के लिए बहुउद्देश्यीय प्लेटफॉर्म साबित होंगे। इन एनजीसी का निर्माण भारतीय नौसेना के नए इन-हाउस डिजाइन के आधार पर जहाज निर्माण की नवीनतम तकनीक का उपयोग करके किया जाएगा और यह कदम सरकार की सागर (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) पहल को आगे बढ़ाने में योगदान देगा।

डीएसी ने विशेष रूप से स्वदेशी एयरो-इंजन सामग्री में स्वदेशीकरण को बढ़ाने पर ध्यान देने के साथ नवरत्न सीपीएसई मेसर्स हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा डोर्नियर एयरक्राफ्ट और एसयू -30 एमकेआई एयरो-इंजन के निर्माण के लिए एओएन प्रदान किया।

रक्षा क्षेत्र में डिजिटल परिवर्तन के लिए सरकार के दृष्टिकोण के अनुसरण में ‘खरीदें (भारतीय) श्रेणी’ के तहत ‘डिजिटल तटरक्षक’ परियोजना को डीएसी द्वारा अनुमोदित किया गया है। इस परियोजना के तहत, तटरक्षक बल में विभिन्न सतही और विमानन संचालन, रसद, वित्त एवं मानव संसाधन प्रक्रियाओं के डिजिटलीकरण के लिए एक अखिल भारतीय सुरक्षित नेटवर्क स्थापित किया जाएगा।

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