बोपल, अहमदाबाद में आईएन-स्पेस मुख्यालय के उद्घाटन के अवसर पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन का मूल पाठ

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नमस्‍कार! केंद्र में मंत्रिमंडल के मेरे साथी और इसी क्षेत्र के सांसद केंद्र, के गृह मंत्री श्री अमित शाह, गुजरात के लोकप्रिय मृदु एवं मक्‍कम, मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल जी, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार श्री अजित डोवाल जी, संसद में मेरे साथी श्री सी. आर. पाटिल, IN-SPACE के चेयरमैन पवन गोयनका जी, स्पेस विभाग के सचिव श्री एस. सोमनाथ जी, भारत की स्पेस इंडस्ट्री के सभी प्रतिनिधि, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों ।

आज 21वीं सदी के आधुनिक भारत की विकास यात्रा में एक शानदार अध्याय जुड़ा है। Indian National Space Promotion and Authorization Center यानि INSPACE के हेडक्वार्टर के लिए सभी देशवासियों को और विशेष कर के Scientific Community को मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आजकल हम देखते हैं कि सोशल मीडिया पर युवाओं को कुछ exciting या interesting पोस्ट करना होता है, तो उससे पहले वो अलर्ट करते हैं और अलर्ट में messaging करते हैं- ‘Watch this space’ भारत की स्पेस इंडस्ट्री के लिए, INSPACE का लॉन्च होना, ‘Watch this space’ moment की तरह ही है। INSPACE, भारत के युवाओं को, भारत के best scientific minds को अपना टेलेंट दिखाने का एक अभूतपूर्व अवसर है। चाहे वो सरकार में काम कर रहे हों या प्राइवेट सेक्टर में, INSPACE सभी के लिए बेहतरीन अवसर लेकर के आया है। INSPACE में भारत की स्पेस इंडस्ट्री में क्रांति लाने की बहुत क्षमता है और इसलिए मैं आज जरूर इस बात को कहूंगा कि ‘Watch this space’ INSPACE is For स्पेस, INSPACE is For पेस, INSPACE is For एस।

साथियों,

दशकों तक भारत में स्पेस सेक्टर से जुड़ी प्राइवेट इंडस्ट्री को सिर्फ vendor के तौर पर ही देखा गया। सरकार ही सारे Space missions और projects पर काम करती थी। हमारे प्राइवेट सेक्टर वाले लोगों से जरूरत के हिसाब से बस कुछ parts और equipments ले लिए जाते थे। प्राइवेट सेक्टर को सिर्फ वेंडर बना देने की वजह से उसके सामने आगे बढ़ने के रास्ते हमेशा अवरुद्ध रहे, एक दीवार खड़ी रही। जो सरकारी व्यवस्था में नहीं है, भले ही वो कोई वैज्ञानिक हो या फिर कोई युवा, वो स्पेस सेक्टर से जुड़े अपने Ideas पर काम ही नहीं कर पाते थे। और इन सबमें नुकसान किसका हो रहा था? नुकसान देश का हो रहा था। और इस बात गवाह है कि आखिर big ideas ही तो winners बनाते हैं। स्पेस सेक्टर में reform करके, उसे सारी बंदिशों से आजाद करके, INSPACE के माध्यम से प्राइवेट इंडस्ट्री को भी सपोर्ट करके देश आज winners बनाने का अभियान शुरू कर रहा है। आज प्राइवेट सेक्टर सिर्फ vendor बनकर नहीं रहेगा बल्कि स्पेस सेक्टर में big winners की भूमिका निभाएगा। भारत के सरकारी स्पेस संस्थानों का सामर्थ्य और भारत के प्राइवेट सेक्टर का पैशन जब एक साथ जुड़ेगा तो उसके लिए आसमान भी कम पड़ेगा। ‘Even sky is not the limit’! जैसे भारत के IT सेक्टर का सामर्थ्य आज दुनिया देख रही है, वैसे ही आने वाले दिनों में भारत के स्पेस सेक्टर की ताकत नई ऊंचाई पर होगी। INSPACE, स्पेस इंडस्ट्री, स्टार्टअप्स और इसरो के बीच transfer of technology को भी facilitate करने का काम करेगा। प्राइवेट सेक्टर, ISRO के resources का इस्तेमाल भी कर सके, ISRO के साथ मिलकर काम कर सके, ये भी सुनिश्चित किया जा रहा है।

साथियों,

स्पेस सेक्टर में ये Reform करते समय, मेरे मन में हमेशा भारत के युवाओं का असीम सामर्थ्य रहा और अभी जिन स्‍टार्टअप्‍स में जा कर के मैं आया हूं, बहुत छोटी आयु के नौजवान और बहुत बुलंद हौसले के साथ वो कदम आगे रख रहे हैं, उनको देखकर के, उनको सुन करके मेरा मन बड़ा प्रसन्न हो गया। मैं इन सभी नौजवानों को बधाई देता हूं। स्पेस सेक्टर में पहले की जो व्यवस्थाएं थीं, उसमें भारत के युवाओं को उतने मौके नहीं मिल रहे थे। देश के नौजवान, अपने साथ innovation, energy और spirit of exploration को लेकर आते हैं। उनकी risk taking capacity भी बहुत होती है। ये किसी भी देश के विकास के लिए बहुत जरूरी होता है। लेकिन अगर कोई युवा कोई इमारत बनाना चाहे तो क्या हम उसे कह सकते हैं कि सिर्फ PWD से बनवाओ। अगर कोई युवा कुछ Innovate करना चाहता है तो क्या उसे हम बोल सकते हैं कि ये काम सिर्फ government facility से ही होगा। ये सुनने में ही अजीब लगता है लेकिन हमारे देश में अलग-अलग सेक्टर्स में यही हालत थी। ये देश का दुर्भाग्य रहा कि समय के साथ Regulations और Restrictions इसके बीच में जो अंतर होता है, उसे भुला दिया गया। आज जब भारत का युवा, राष्ट्र निर्माण में ज्यादा से ज्यादा भागीदार बनना चाहता है तो हम उसके सामने ये शर्त नहीं रख सकते कि जो करना है, सरकारी रास्ते से ही करो। ऐसी शर्त का जमाना चला गया। हमारी सरकार भारत के युवाओं के सामने से हर अवरोध को हटा रही है, लगातार Reforms कर रही है। डिफेंस सेक्टर को प्राइवेट इंडस्ट्री के लिए खोल देना, आधुनिक ड्रोन पॉलिसी बनाना हो, geospatial data गाइडलाइंस बनानी हो, टेलीकॉम-आईटी सेक्टर में Work from Anywhere की सहूलियत देनी हो, सरकार हर दिशा में काम कर रही है। हमारी कोशिश है कि हम भारत के प्राइवेट सेक्टर के लिए ज्यादा से ज्यादा Ease of Doing Business का माहौल बनाएं, ताकि देश का प्राइवेट सेक्टर, देशवासियों की Ease of Living में उतनी ही मदद करे।

साथियों,

यहाँ आने से पहले अभी मैं INSPACE की Technical Lab और Clean Room भी देख रहा था। यहाँ सैटेलाइट्स के डिजाइन, फैब्रिकेशन, असेंबली, इंटीग्रेशन और टेस्टिंग के लिए आधुनिक उपकरण भारतीय कंपनियों के लिए उपलब्ध होंगे। यहां और भी कई आधुनिक facilities और infrastructure तैयार किए जाएंगे जो स्पेस इंडस्ट्री का सामर्थ्य बढ़ाने में मदद करेगा। आज मुझे प्रदर्शनी एरिया को भी देखने, स्पेस इंडस्ट्री और स्पेस स्टार्ट-अप्स के लोगों से बात करने का भी मौका मिला। मुझे याद है जब हम स्पेस सेक्टर में reforms कर रहे थे तो कुछ लोग आशंका जता रहे थे कि स्पेस इंडस्ट्री में कौन प्राइवेट प्लेयर आएगा? लेकिन आज स्पेस सेक्टर में आईं, 60 से ज्यादा भारतीय प्राइवेट कंपनियां, आज already उसमें lead कर रही हैं और उनको देखकर के मुझे और प्रसन्नता हुई है आज। मुझे गर्व है कि हमारे प्राइवेट इंडस्ट्री के साथियों ने Launch vehicle, satellite, ground segment और space application के क्षेत्रों में तेजी से काम शुरू कर दिया है। PSLV रॉकेट के निर्माण के लिए भी भारत के प्राइवेट प्लेयर्स आगे आए हैं। इतना ही नहीं, कई प्राइवेट कंपनियों ने तो अपने खुद के रॉकेट की डिजाइन भी तैयार कर ली है। ये भारत के स्पेस सेक्टर की असीमित संभावनाओं की एक झलक है। इसके लिए मैं अपने Scientists, industrialists, युवा उद्यमियों और सभी देशवासियों को हार्दिक बधाई देता हूँ और इस पूरी यात्रा में ये जो नया मोड़ आया है, एक नई ऊंचाई का रास्ता चुना है उसके लिए अगर मुझे किसी को सबसे ज्यादा बधाई देनी है, किसी को सबसे ज्यादा धन्यवाद देना है तो मेरे ISRO के लोगों को धन्यवाद देना है। हमारे ISRO के पुराने सचिव यहां बैठे हैं जिन्‍होंने इस बात को lead किया और अब हमारे सोमनाथ जी इसको आगे बढ़ा रहे हैं और इसलिए मैं इसकी पूरी credit मेरे इन ISRO के साथियों को दे रहा हूं। इन साइंटिस्टों को दे रहा हूं। ये छोटा निर्णय नहीं है दोस्‍तों और ये स्‍टार्टअप वालों को पता है कि इतने महत्वपूर्ण निर्णय के कारण वो हिन्‍दुस्‍तान को और दुनिया को क्या कुछ देने के लिए बुलंद हौसला रखते हैं और इसलिए इसकी पूरी credit ISRO को जाती है। उन्होंने इस काम में बढ़-चढ़कर के कदम उठाए हैं, चीजों को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने कोशिश की है और जहां अपनी ही मालिकी थी, वो कह रहे हैं नहीं आइए देश के नौजवान, ये आपका है, आप आगे बढ़िए। ये अपने आप में बहुत बड़ा क्रांतिकारी decision है।

साथियों,

इस समय हम अपनी आज़ादी के 75 साल का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। आज़ाद भारत में हमारी जिन सफलताओं ने करोड़ों देशवासियों को प्रेरणा दी, उन्हें आत्मविश्वास दिया, उनमें हमारी स्पेस उपलब्धियों का विशेष योगदान है। ISRO जब कोई रॉकेट लॉंच करता है, कोई अभियान अंतरिक्ष में भेजता है, तो पूरा देश उससे जुड़ जाता है, गर्व महसूस करता है। देश उसके लिए प्रार्थनाएँ करता है, और जब वो सफल होता है तो हर देशवासी आनंद, उमंग और गर्व से उसकी अभिव्यक्ति करता है और उस सफलता को हिन्‍दुस्‍तान का हर नागरिक खुद की सफलता मानता है। और अगर कहीं कुछ अन्होनी हो जाए, कुछ अकल्पनीय हो गया, तो भी देश अपने वैज्ञानिकों के साथ खड़े होकर उनका हौसला बढ़ाता है। कोई साइंटिस्ट है या किसान-मजदूर है, विज्ञान की तकनीकियों को समझता है या नहीं समझता है, इन सबसे ऊपर हमारा स्पेस मिशन देश के जन गण के मन का मिशन बन जाता है। मिशन चंद्रयान के दौरान हमने भारत की इस भावनात्मक एकजुटता को देखा था। भारत का अन्तरिक्ष अभियान एक तरह से ‘आत्मनिर्भर भारत’ की सबसे बड़ी पहचान रहा हैं। अब जब इस अभियान को, भारत के प्राइवेट सेक्टर की ताकत मिलेगी, तो उसकी शक्ति कितनी ज्यादा बढ़ जाएगी, आप इसका अंदाजा लगा सकते हैं।

साथियों,

21वी सदी के इस समय में आपकी-हमारी जिंदगी में हर रोज स्पेस टेक्नोल़ॉजी की भूमिका बढ़ती जा रही है। जितनी ज्यादा भूमिका, जितने ज्यादा Application, उतनी ही ज्यादा संभावनाएं। 21वीं सदी में स्पेस-टेक एक बड़े revolution का आधार बनने वाला है। स्पेस-टेक अब केवल दूर स्पेस की नहीं, बल्कि हमारे पर्सनल स्पेस की टेक्नालजी बनने जा रही है। सामान्य मानवी के जीवन में Space Technology की जो भूमिका है, रोजमर्रा की जिंदगी में जिस तरह Space Technology शामिल है, उसकी तरफ अक्सर ध्यान नहीं जाता। हम टीवी खोलते हैं, इतने सारे चैनल्स हमें उपलब्ध हैं। लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि ये सैटेलाइट की मदद से हो रहा है। कहीं आना-जाना हो, ये देखना हो कि ट्रैफिक है या नहीं है, Shortest रास्ता कौन सा है, ये सब किसकी मदद से हो रहा है? सैटेलाइट की मदद से हो रहा है। Urban Planning के इतने काम हैं, कहीं रोड बन रही है, कहीं ब्रिज बन रहा है, कहीं स्कूल, कहीं अस्पताल बन रहे हैं, कहीं ग्राउंड वॉटर टेबल चेक करना है, इंफ्रा प्रोजेक्ट्स की मॉनीटरिंग करनी है, ये सारे काम सैटेलाइट की मदद से हो रहे हैं। हमारे जो Coastal Areas हैं, उनकी Planning के लिए, उनके Development में भी Space Technology की बड़ी भूमिका है। समुद्र में जाने वाले मछुआरों को भी सैटेलाइट के जरिए फिशिंग और समुद्री तूफानों की जानकारी पहले से ही मिल जाती है। आज बारिश के जो अनुमान आ रहे हैं और करीब-करीब सही निकल रहे हैं। उसी प्रकार से जब cyclone आता है, exact उसका fall point क्‍या होगा, किस दिशा में जाएगा, कितने घंटे, कितने मिनट पर वो fall करेगा, ये सारी बारिकियां सैटेलाइट की मदद से मिल रही हैं। इतना ही नहीं, एग्रीकल्चर सेक्टर में चाहे फसल बीमा योजना हो, सॉयल हेल्थ कार्ड्स का अभियान हो, सभी में स्पेस टेक्नालजी का इस्तेमाल हो रहा है। बिना Space Technology के हम आज के आधुनिक एविएशन सेक्टर की कल्पना भी नहीं कर सकते। ये सब सामान्य मानवी के जीवन से जुड़े हुए विषय हैं। भविष्य में और आपको मालूम होगा इस बार बजट में हमने टीवी के माध्‍यम से बच्‍चों को ट्यूशन देने का, पढ़ाने का एक बड़ा अभियान करने की योजना बजट में बताई है। इतना ही नहीं, जो competitive exam में जा रहे हैं और जिन बच्‍चों को गांव छोड़कर के बड़े शहरों में बहुत महंगी फीस देकर के ट्यूशन लेना पड़ता है, उसको भी हम ये सैटेलाइट के माध्‍यम से उसके घर तक उसके requirement के अनुसार syllabus तैयार करवा रहे हैं ताकि बच्‍चे उनको extra खर्चा न करना पड़े और गरीब का गरीब बच्‍चा भी अच्‍छे से अच्‍छे ट्यूशन सैटेलाइट के माध्‍यम से अपनी टीवी स्‍क्रीन पर, अपने लैपटॉप की स्‍क्रीन पर, अपने मोबाइल पर आसानी से प्राप्‍त कर सके, उस दिशा में हम जा रहे हैं।

साथियों,

भविष्य में ऐसे ही अनेक क्षेत्रों में स्पेस-टेक का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा बढ़ने वाला है। हम कैसे स्पेस टेक्नालजी को सामान्य मानवी के लिए ज्यादा से ज्यादा सुलभ बना सकें, कैसे स्पेस-टेक ease of living को बढ़ाने का माध्यम बने, और, कैसे हम इस टेक्नालजी का इस्तेमाल देश के विकास और सामर्थ्य के लिए कर सकते हैं, इस दिशा में INSPACE और प्राइवेट प्लेयर्स को लगातार काम करने की जरूरत है। Geo spatial mapping से भी जुड़ी कितनी ही संभावनाएं हमारे सामने हैं। प्राइवेट सेक्टर की इनमें बहुत बड़ी भूमिका हो सकती है। हमारे पास आज सरकारी satellites का बड़ा data available है। अब आने वाले समय में प्राइवेट सेक्टर के पास भी अपना काफी डेटा होगा। डेटा की ये पूंजी आपको दुनिया में आपको बहुत बड़ी ताकत देने वाली है। इस समय दुनिया में स्पेस इंडस्ट्री का साइज़ करीब 400 billion डॉलर का है। 2040 तक इसके one trillion dollar industry बनने की संभावना पड़ी हुई है। आज हमारे पास talent भी है, experience भी है, लेकिन आज इस इंडस्ट्री में हमारा participation केवल जनभागीदारी यानी private partnership सिर्फ 2 per-cent है। हमें global space industry में अपना share बढ़ाना होगा, और इसमें हमारे प्राइवेट सेक्टर की बड़ी भूमिका है। मैं आने वाले समय में space tourism और space diplomacy के क्षेत्र में भी भारत की मजबूत भूमिका देख रहा हूँ। भारत की स्पेस कंपनियाँ ग्लोबल बनें, हमारे पास ग्लोबल स्पेस कंपनी हो, ये पूरे देश के लिए गौरव की बात होगी।

साथियों,

हमारे देश में अनंत संभावनाएं हैं, लेकिन अनंत संभावनाएं कभी भी सीमित प्रयासों से साकार नहीं हो सकतीं। मैं आपको आश्वस्त करता हूँ, देश के जवानों को आश्वस्त करता हूँ, scientific temperament वाले, risk taking capacity वाले नौजवानों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि स्पेस सेक्टर में reforms का ये सिलसिला आगे भी अनवरत जारी रहेगा। प्राइवेट सेक्टर की जरूरतों को सुना जाए, समझा जाए, व्यापार की संभावनाओं का आंकलन किया जाए, इसके लिए एक मजबूत mechanism बनाया गया है। INSPACE इस दिशा में प्राइवेट सेक्टर की सभी जरूरतों को पूरा करने के लिए एक single window independent nodal agency के रूप में काम करेगा। सरकारी कंपनियों, स्पेस इंडस्ट्री, स्टार्टअप्स और institutes के बीच सामंजस्य के साथ आगे बढ़ने के लिए भारत, नई भारतीय अंतरिक्ष नीति पर भी काम कर रहा है। हम स्पेस सेक्टर में ease of doing business को बढ़ावा देने के लिए भी जल्द ही एक पॉलिसी लेकर आने वाले हैं।

साथियों,

मानवता का भविष्य, उसका विकास, आने वाले दिनों में दो ऐसे क्षेत्र हैं जो सबसे ज्‍यादा प्रभावी होने वाले हैं, हम जितना जल्दी उसको explore करेंगे, दुनिया की इस स्पर्धा में हम देरी किये बिना जितने आगे बढ़ेंगे, हम परिस्थितियों को lead भी कर पा सकते हैं, control भी कर सकते हैं और वो दो क्षेत्र हैं- एक है Space, दूसरा है Sea समंदर, ये बहुत बड़ी ताकत बनने वाले हैं और आज हम नीतियों के द्वारा उन सबको address करने का प्रयास कर रहे हैं और देश के नौजवानों को इसके साथ जुड़ने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। Space के लिए हमारे युवाओं में, खास करके स्टूडेंट्स में जो क्यूरोसिटी है वो भारत की स्पेस इंडस्ट्री के विकास के लिए बड़ी ताकत होती है। इसलिए हमारा प्रयास है कि देश में बनी हजारों अटल टिंकरिंग लैब्स में स्टूडेंट्स को स्पेस से जुड़े विषयों से निरंतर परिचित कराया जाए, उन्हें अपडेट रखा जाए। मैं देश के स्कूलों और कॉलेजों को भी आग्रह करूंगा कि वो अपने विद्यार्थियों को Space से जुड़ी भारतीय संस्थाओं और कंपनियों के बारे में बताएं, उनकी Labs की विजिट कराएं। इस सेक्टर में जिस तरह लगातार भारतीय प्राइवेट कंपनियों की संख्या बढ़ रही है, उससे भी उन्हें मदद मिलने वाली है। आपको ध्यान होगा कि भारत में पहले, मुझे मालूम नहीं है कि ऐसा क्यों था लेकिन था, मुझे ये दायित्व मिला उसके पहले की स्थिति ये थी कि जब सैटेलाइट लॉन्‍च होता था तो उस पूरे क्षेत्र में किसी को एंट्री नहीं होती थी और हम जैसे जो नेता लोग होते हैं उनको VIP की तरह वहां 12-15 लोगों को invite करके दिखाया जाता था कि सैटेलाइट लॉन्च हो रहा है और हम भी बड़े उत्साह के साथ देख रहे थे। लेकिन मेरी सोच अलग है मेरा काम करने का तरीका अलग है तो मैं पहली बार वहां प्रधानमंत्री के रूप में गया तो हमने एक निर्णय किया था, हमने देखा है कि देश के छात्रों में दिलचस्पी है, curiosity है और उस बात को ध्यान में रखते हुए जहां से हमारे सैटेलाइट लॉन्च होते हैं वो श्रीहरिकोटा में हमने एक बहुत बड़ी लॉन्च देखने की, जब सैटेलाइट जाता है उसको देखने के लिए व्यू गैलरी का निर्माण किया है और कोई भी नागरिक कोई भी स्कूल का विद्यार्थी भी इस कार्यक्रम को देख सकता है और बैठने की व्यवस्था भी छोटी नहीं है। 10 हजार लोग बैठकर के इस सैटेलाइट लॉन्च को देख सकें, इसका प्रबंध किया है। चीजें छोटी लगती हैं लेकिन भारत के जीवन पर इसका बहुत बड़ा प्रभाव हो रहा है।

साथियों,

INSPACE हेडक्वार्टर का लोकार्पण आज हो रहा है, एक प्रकार से गतिविधि का केंद्र बनता जा रहा है। मुझे इस बात की भी खुशी है कि गुजरात अलग-अलग सेक्टर्स में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के बड़े संस्थानों का सेंटर बनता जा रहा है। मैं भूपेंद्र भाई और उनकी पूरी टीम को, गुजरात सरकार के हमारे सभी साथियों को उनके इस initiative के लिए proactive हर नीतियों को सपोर्ट करने के लिए मैं हृदय से आभार व्यक्त करता हूं, अभिनंदन करता हूं। और आपको मालूम है अभी कुछ सप्ताह पहले ही जामनगर में WHO के Global Centre for Traditional Medicine का काम शुरू हुआ है। राष्ट्रीय रक्षा यूनिवर्सिटी हो, National Law University हो, पंडित दीनदयाल एनर्जी यूनिवर्सिटी हो, नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी हो, National Innovation Foundation हो, Children’s University हो, कितने ही National Institutes यहां आसपास में ही हैं। Bhaskaracharya Institute for Space Applications and Geoinformatics – यानी BISAG इसकी स्थापना ने देश के अन्य राज्यों की भी प्रेरणा बन गई है। इन बड़े संस्थानों के बीच अब IN-SPACE भी इस जगह की पहचान बढ़ाएगा। मेरा देश के युवाओं से, विशेष कर गुजरात के युवाओं से आग्रह है कि वो इन बेहतरीन भारतीय संस्थाओं का पूरा लाभ उठाएं। मुझे पूरा भरोसा है, आपकी सक्रिय भूमिका से भारत स्पेस सेक्टर में नई ऊंचाई हासिल करेगा। और आज के इस शुभ अवसर पर मैं खासकर के जो प्राइवेट सेक्टर ने उत्साह के साथ भाग लिया है, जो नौजवान नए हौसले, नए संकल्पों के साथ आगे आए, उनको बधाई भी देता हूं और बहुत-बहुत शुभकामनाएं भी देता हूं। मैं ISRO के सभी वैज्ञानिकों को भी और ISRO की पूरी टीम को भी अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं, बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं। और मुझे विश्वास है Goenka private sector में बहुत सफल व्यक्तित्व रहा है, उनके नेतृत्व में INSPACE सच्चे अर्थ में जो सपना हमारा है उस सपने को पूरा करने का सामर्थ्य ले के आगे बढ़ेगा। इन्हीं अपेक्षाओं के साथ अनेक-अनेक शुभकामनाओं के साथ, मैं बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं!

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