आत्मनिर्भर बनने के भारत के मिशन में ‘अग्रणी उद्योगपतियों’ की भूमिका महत्वपूर्ण: उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति का कृषि क्षेत्र में विकास को उत्प्रेरित करने में उद्योग जगत की जिम्मेदारी पर जोर
उपराष्ट्रपति ने भारत के जीवंत स्टार्ट-अप क्षेत्र की सराहना करते हुए कहा, भारत के उद्यमियों की वैश्विक स्तर पर पहचान
उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने एआईएमए के 49वें राष्ट्रीय प्रबंधन सम्मेलन का उद्घाटन किया
उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज व्यापार और उद्योग जगत के अग्रणी उद्योगपतियों से आत्मनिर्भर बनने के भारत के मिशन में सक्रिय भूमिका निभाने का आह्वान किया। भारतीय उद्योग जगत की क्षमता और दक्षता पर विश्वास व्यक्त करते हुए श्री धनखड़ ने कहा, ‘भारत नए उद्यम, नए रोजगार, नए निर्यात और विकास संबंधी समस्याओं के नए समाधान तलाशकर आर्थिक विकास को गति देने के लिए अपने उद्यमियों पर भरोसा कर रहा है।’
नई दिल्ली में अखिल भारतीय प्रबंधन संघ (एआईएमए) के 49वें राष्ट्रीय प्रबंधन सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए उपराष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि “कृषि क्षेत्र के गुणात्मक उत्थान को भी उत्प्रेरित करना भी उद्योग जगत की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी” है। उन्होंने कहा, ‘यदि भारतीय किसान प्रगति करता है, तो भारत भी प्रगति करता है।‘
भारत के उद्यमों और कार्यबल को विश्व स्तरीय बनाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों को रेखांकित करते हुए उपराष्ट्रपति ने उद्योग से कार्यबल को प्रोत्साहन देने और नवीनतम कौशलों से संपन्न बनाने का दायित्व ग्रहण करने का आह्वान किया।
भारत के स्टार्ट-अप क्षेत्र की सराहना करते हुए उसको दुनिया के श्रेष्ठतम में से एक करार देते हुए श्री धनखड़ ने कहा, “कैसे छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में भी डिजिटल उद्यमी दिखाई देने लगे हैं”। उन्होंने कहा कि भारत के समृद्ध उद्यमियों की वैश्विक स्तर पर पहचान है, और विश्व स्तर पर भारत के लाभ को अधिकतम करने के लिए उनका और अधिक उपयोग किए जाने की आवश्यकता है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि दशक के अंत तक भारत तीन सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनने की दिशा में अग्रसर है और पिछले कुछ वर्षों में सरकार द्वारा किए गए सिलसिलेवार प्रणालीगत सुधारों ने कारोबार करने की सुगमता को और बेहतर किया है।
उन्होंने कहा कि जब शासन प्रणाली के प्रत्येक चरण में पारदर्शिता और जवाबदेही परिलक्षित होती है, तो लोकतंत्र और अर्थव्यवस्था फलते-फूलते हैं। भारत के गौरवशाली अतीत को फिर से हासिल करने के लिए उन्होंने प्रणाली में कुशलता तथा प्रतिस्पर्धा के स्तर में और सुधार लाने का आह्वान किया।
इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने भारतीय वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष श्री विजय केलकर, श्री रमन के गर्ग, आईआरएस और श्री हर्ष पति सिंघानिया, पूर्व अध्यक्ष, एआईएमए को एआईएमए की फैलोशिप प्रदान की। उन्होंने कार्यक्रम के दौरान सम्मेलन की एक स्मारिका का भी विमोचन किया। उन्होंने व्यापारिक समुदाय को एक साथ लाने और विकास के लिए भारत के लाभों पर ध्यान केंद्रित करने में एआईएमए के प्रयासों की सराहना की।
इस अवसर पर सी के रंगनाथन, अध्यक्ष, एआईएमए, श्रीमती रेखा सेठी महानिदेशक, एआईएमए, श्री निखिल साहनी, उपाध्यक्ष, एआईएमए और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
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