जलदूत ऐप का राष्ट्रीय शुभारंभ

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केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज्‍य मंत्री श्री गिरिराज सिंह कल इस ऐप का शुभारंभ करेंगे

ग्रामीण विकास मंत्रालय ने किसी गांव में चयनित कुओं के जल स्तर का पता लगाने के लिए देश भर में उपयोग के लिए यह “जलदूत ऐप” विकसित किया है

ग्रामीण विकास मंत्रालय ने “जलदूत ऐप” विकसित किया है जिसका उपयोग देश के किसी भी गांव के चयनित कुओं के जल स्तर पता लगाने के लिए किया जाएगा। केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री, श्री गिरिराज सिंह कल नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में “जलदूत ऐप” लॉन्च करेंगे।

जलदूत ऐप ग्राम रोजगार सहायक (जीआरएस) को वर्ष में दो बार (मॉनसून पूर्व और मॉनसून के बाद) चयनित कुओं के जल स्तर को मापने में सक्षम बनाएगा। प्रत्येक गाँव में पर्याप्त संख्या में माप स्थानों (2-3) का चयन करने की आवश्यकता होगी। जो उस गांव में भूजल स्तर के प्रतिनिधि होंगे।

यह ऐप पंचायतों को मजबूत डेटा के साथ सहायता प्रदान करेगा, जिसका उपयोग आगे कार्यों की बेहतर योजना के लिए किया जा सकता है। भूजल डेटा का उपयोग ग्राम पंचायत विकास योजना (जीपीडीपी) और महात्मा गांधी नरेगा योजना अभ्यास के हिस्से के रूप में किया जा सकता है। इसके अलावा इस डेटा का उपयोग विभिन्न प्रकार के अनुसंधान और अन्य उद्देश्यों के लिए भी किया जा सकता है।

देश ने ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में वाटरशेड विकास, वनीकरण, जल निकाय विकास और नवीनीकरण, वर्षा जल संचयन आदि के माध्यम से जल प्रबंधन में सुधार के लिए कई कदम उठाए हैं। हालाँकि, भूजल की निकासी, साथ ही सतही जल स्रोतों का उपयोग देश के कई हिस्सों में गंभीर स्तर पर पहुंच गया है, जिसके परिणामस्वरूप जल स्तर में उल्लेखनीय कमी आई है, जिससे किसानों सहित सभी समुदायों को परेशानी हो रही है। इसलिए देश भर में जल स्तर का मापन और अवलोकन आवश्यक हो गया है।

कल आयोजित होने वाले जलदूत ऐप लॉन्च समारोह में केंद्रीय ग्रामीण विकास और इस्पात राज्य मंत्री, श्री फग्गन सिंह कुलस्ते; केंद्रीय ग्रामीण विकास, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री, साध्वी निरंजन ज्योति और केंद्रीय पंचायती राज राज्य मंत्री, श्री कपिल मोरेश्वर पाटिल, ग्रामीण विकास विभाग के सचिव, श्री नागेंद्र नाथ सिन्हा; सचिव, भूमि संसाधन विभाग, श्री अजय तिर्की; सचिव, पंचायती राज मंत्रालय, श्री सुनील कुमार और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहेंगे। सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कार्यक्रम में शामिल होंगे।

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