केंद्र सरकार ने 9 मेइती चरमपंथी समूहों और उनके सहयोगी संगठनों पर लगाया 5 साल का प्रतिबंध

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नई दिल्ली, 14नवंबर। केंद्र सरकार ने राष्ट्र विरोधी गतिविधियों और सुरक्षाबलों पर घातक हमले करने को लेकर सोमवार को नौ मेइती चरमपंथी समूहों (9 Meitei extremist groups) और उनके सहयोगी संगठनों पर पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया, जो ज्यादातर मणिपुर में सक्रिय हैं. गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, मेइती उग्रवादी समूहों ने अपना उद्देश्य सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से मणिपुर को भारत से अलग कर एक स्वतंत्र राष्ट्र बनाना और इसके लिए मणिपुर के स्थानीय लोगों को उकसाना बताया है.

अधिसूचना के अनुसार, अंकुश नहीं लगाए जाने की स्थिति में ये समूह और संगठन अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार से अवैध हथियार और गोला-बारूद हासिल करेंगे तथा अपनी गैरकानूनी गतिविधियों के लिए जनता से भारी धन की वसूली करेंगे.

इन समूहों को पांच साल के लिए प्रतिबंधित किया
गृह मंत्रालय ने जिन समूहों को पांच साल के लिए प्रतिबंधित किया है, उनमें पीपुल्स लिबरेशन आर्मी, जिसे आम तौर पर पीएलए के नाम से जाना जाता है, और इसकी राजनीतिक शाखा रिवॉल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट (आरपीएफ), यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) और इसकी सशस्त्र शाखा मणिपुर पीपुल्स आर्मी (एमपीए) शामिल हैं. इनमें पीपुल्स रिवॉल्यूशनरी पार्टी ऑफ कांगलेईपाक (पीआरईपीएके), कांगलेईपाक कम्युनिस्ट पार्टी (केसीपी), कांगलेई याओल कनबा लुप (केवाईकेएल), कोऑर्डिनेशन कमेटी (कोरकॉम) और एलायंस फॉर सोशलिस्ट यूनिटी कांगलेईपाक (एएसयूके) भी शामिल हैं.

ये संगठन अलगाववादी उद्देश्यों के लिए सशस्त्र तरीकों में शामिल हो रहे हैं
पीएलए, यूएनएलफ, पीआरईपीएके, केसीपी, केवाईकेएल को इससे पहले नवंबर, 2018 में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत प्रतिबंधित घोषित किया गया था और नवीनतम कार्रवाई में प्रतिबंध को पांच साल तक बढ़ा दिया गया है. अपनी अधिसूचना में, गृह मंत्रालय ने कहा कि केंद्र सरकार की राय है कि मेइती चरमपंथी संगठन भारत की संप्रभुता और अखंडता के विरुद्ध गतिविधियों में शामिल रहे हैं और अपने अलगाववादी उद्देश्यों के लिए सशस्त्र तरीकों में शामिल हो रहे हैं, वे मणिपुर में सुरक्षा बलों, पुलिस तथा नागरिकों पर हमले कर रहे हैं और उनकी हत्या कर रहे हैं. अधिसूचना के मुताबिक वे अपने संगठनों के लिए धन जमा करने के लिहाज से लोगों को धमकाने, उनसे जबरन वसूली करने और लूटपाट में संलिप्त रहे हैं.

ये हानिकारक ताकतों के साथ मिलकर राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों का प्रचार करेंगे
गृह मंत्रालय ने कहा कि यदि मेइती चरमपंथी संगठनों पर तत्काल अंकुश और नियंत्रण नहीं किया गया, तो उन्हें अपनी अलगाववादी, विध्वंसक, आतंकवादी और हिंसक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए अपने कैडर को संगठित करने का अवसर मिलेगा. इसमें कहा गया कि वे भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए हानिकारक ताकतों के साथ मिलकर राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों का प्रचार करेंगे, लोगों की हत्याओं में शामिल होंगे और पुलिस और सुरक्षाबलों के जवानों को निशाना बनाएंगे.

मेइती चरमपंथी संगठनों की गतिविधियों को संप्रभुता और अखंडता के लिए हानिकारक
मंत्रालय ने कहा कि मेइती चरमपंथी संगठनों की गतिविधियों को भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए हानिकारक माना जाता है और वे गैरकानूनी संगठन हैं। इसमें कहा गया, परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, केंद्र सरकार की राय है कि मेइती चरमपंथी संगठनों को… ‘गैरकानूनी संगठन’ घोषित करना आवश्यक है और तदनुसार, केंद्र सरकार निर्देश देती है कि यह अधिसूचना 13 नवंबर, 2023 से पांच साल की अवधि के लिए प्रभावी होगी.

मणिपुर में मेइती और कुकी समुदायों के बीच जातीय संघर्ष भड़कने के बाद से हिंसा
मणिपुर में इस साल मई में जातीय संघर्ष भड़कने के बाद से हिंसा की घटनाएं देखी जा रही हैं और तब से अब तक 180 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. मेइती और कुकी समुदायों के बीच कई मुद्दों को लेकर झड़पें होती रही हैं. मई में शुरू हुई हिंसा का संबंध मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग से जुड़ा है. मणिपुर की आबादी में मेइती लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं, जबकि नगा और कुकी आदिवासियों की संख्या 40 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से पर्वतीय जिलों में निवास करते हैं.

यूएनएलएफ को अलगाववादी एजेंडे के लिए प्रतिबंधित किया गया
यूएनएलएफ को मणिपुर को अलग संप्रभु गणराज्य बनाने और इसमें म्यांमा की कवाब घाटी को शामिल करने के अलगाववादी एजेंडे के लिए प्रतिबंधित किया गया. इसके 300 से अधिक प्रशिक्षित सदस्य हैं. पीएलए को पहले पोलेई कहा जाता था जो मणिपुर का पुराना नाम है. जनता की भावनाओं को उकसाने के लिए संगठन को यह नाम दिया गया था.

एन बिशेश्वर सिंह ने1978 में पीएलए की स्थापना की थी, मकसद मणिपुर को भारत से अलग करना
एन बिशेश्वर सिंह ने 26 सितंबर, 1978 को पीएलए की स्थापना की थी. संगठन ने अपना मकसद मणिपुर को भारत से अलग करना और इंफाल घाटी में अलग मेतेई राष्ट्र बनाना बताया है. केवाईकेएल अपना खर्च एनएससीएन-आईएम के साथ संयुक्त रूप से जबरन वसूली करके उगाहे गए धन से चलाता है. वह जनता की सहानुभूति और समर्थन हासिल करने और अन्य आतंकवादी संगठनों का समर्थन करने के लिए काम करता है. इसी तरह कोऑर्डिनेशन कमेटी इंफाल से संचालित छह उग्रवादी संगठनों का संघ है, जिनमें केसीपी, केवाईकेएल, पीआरईपीएके और आरपीएफ शामिल हैं. इसकी स्थापना जुलाई 2011 में की गई थी.

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