मनरेगा के बजट में कटौती पर केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय का स्पष्टीकरण
मीडिया की विभिन्न रिपोर्टों में यह चिंता व्यक्त की गई है कि केंद्रीय बजट 2023-24 में मनरेगा योजना के लिए 60,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जो कि 2022-23 के 73,000 करोड़ रुपये के बजट अनुमानों से 18 प्रतिशत कम है। रिपोर्टों में कहा गया है कि यह ग्रामीण रोजगार योजना, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम को प्रभावित कर सकता है, जिसका उद्देश्य गारंटीकृत मजदूरी रोजगार प्रदान करके ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका सुरक्षा को बढ़ाना देना है, जबकि यह सच्चाई से कोसों दूर है।
महात्मा गांधी नरेगा एक मांग आधारित योजना है। रोजगार की मांग करने वाले किसी भी परिवार को योजना के अनुसार एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों का अकुशल शारीरिक श्रम प्रदान किया जाता है। चालू वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान, कुल 99.81 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों को काम की मांग के बदले में मजदूरी रोजगार की पेशकश की गई है। योजना के अंतर्गत अगर किसी आवेदक से रोजगार आवेदन की प्राप्ति के पंद्रह दिनों के अंदर ऐसा रोजगार प्रदान नहीं किया जाता है, तो वह दैनिक बेरोजगारी भत्ता का हकदार होता है।
पिछले तीन वर्षों और चालू वित्तीय वर्ष के दौरान अब तक सृजित व्यक्ति दिवस निम्नानुसार है:
वित्त वर्ष 2022-2023 | वित्त वर्ष 2021-2022 | वित्त वर्ष 2020-2021 | वित्त वर्ष 2019-2020 | |
सृजित व्यक्ति दिवस
(करोड़ में) |
248.08 | 363.33 | 389.09 | 265.35 |
यह दर्शाता है कि व्यक्ति दिवसों का सृजन कार्यों की मांग पर निर्भर करता है।
राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को निधियां जारी करना एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है।
पिछले वर्षों के दौरान, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशोंको निम्नलिखित निधियां जारी की गई
क्रम संख्या | वित्त वर्ष | बजट अनुमान
(करोड़ रुपये में) |
संशोधित अनुमान
(करोड़ रुपये में) |
जारी की गई निधि (करोड़ रुपये में) |
1 | 2014-15 | 34000.00 | 33000.00 | 32977.43 |
2 | 2015-16 | 34699.00 | 37345.95 | 37340.72 |
3 | 2016-17 | 38500.00 | 48220.26 | 48219.05 |
4 | 2017-18 | 48000.00 | 55167.06 | 55166.06 |
5 | 2018-19 | 55000.00 | 61830.09 | 61829.55 |
6 | 2019-20 | 60000.00 | 71001.81 | 71687.71 |
7 | 2020-21 | 61500.00 | 111500.00 | 111170.86 |
8 | 2021-22 | 73000.00 | 98000.00 | 98467.85 |
वित्त वर्ष 2019-20 में बजट अनुमान 60,000 करोड़ रुपये था, जिसे बढ़ाकर संशोधित बजट अनुमान कर 71,001 करोड़ रुपये कर दिया गया, वित्त वर्ष 2020-21 का बजट अनुमान 61,500 करोड़ रुपये था, जो बढ़ाकर संशोधित बजट अनुमान 1,11,500 करोड़ रुपये कर दिया गया और वित्त वर्ष 2021-22 के लिए बजट अनुमान 73,000 करोड़ रुपये था जिसे बढ़ाकर संशोधित बजट अनुमान 98,000 करोड़ रुपये कर दिया गया। इस प्रकार से यह देखा जा सकता है कि राज्यों को जारी की गई वास्तविक निधि बजट अनुमान की राशि से बहुत ज्यादा रही है। यहां तक कि चालू वित्त वर्ष 2022-23 में भी बजट अनुमान 73,000 करोड़ रुपये है, जिसे संशोधित कर 89,400 करोड़ रुपये कर दिया गया है। उपर्युक्त अवलोकन से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि पिछली वर्ष जारी की गई निधियों का अगले वर्ष के लिए निधियों की आवश्यकता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
जब कभी अतिरिक्त निधि की आवश्यकता होती है, वित्त मंत्रालय से उन निधि को उपलब्ध कराने का अनुरोध किया जाता है। केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारों के लिए लागू अधिनियम और दिशानिर्देशों के प्रावधानों के अनुसार, भारत सरकार योजना का उचित कार्यान्वयन करने के लिए मजदूरी और सामग्री का भुगतान करने के लिए निधि जारी करने के लिए प्रतिबद्ध है।