रियासी जिले में लीथियम की खोज “भारत की अगली बड़ी कहानी” साबित हो सकती है: डॉ. जितेंद्र सिंह

डॉ. जितेंद्र सिंह ने एनसीजीजी द्वारा आयोजित जम्मू एवं कश्मीर प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारियों के लिए फील्ड प्रशासन में क्षमता निर्माण कार्यक्रम के सातवें बैच के उद्घाटन सत्र को किया संबोधित

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नई दिल्ली, 28नवंबर। मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए) में जम्मू एवं कश्मीर प्रशासनिक सेवा (जेकेएएस) के वरिष्ठ अधिकारियों के लिए फील्ड प्रशासन में क्षमता निर्माण कार्यक्रम के सातवें बैच के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए, केन्द्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, जो डीओपीटी के प्रभारी भी हैं और जिससे एलबीएसएनएए संबद्ध है, ने कहा, “मैं आपसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन संबंधी सुधारों का उत्प्रेरक बनने और जम्मू एवं कश्मीर में इन सुधारों के प्रभावी कार्यान्वयन में मदद करने की अपील करता हूं।”

उन्होंने कहा कि केन्द्र-शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर और अछूते रहे उत्तर-पूर्वी क्षेत्र (एनईआर) में विशाल प्राकृतिक संसाधन हैं जो अमृत काल के दौरान भारत की भविष्य की विकास गाथा को विकसित भारत @ 2047 के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ायेंगे।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अगले 25 वर्षों के दौरान भारत के विकास में मूल्यवर्धन इन अछूते रहे क्षेत्रों से आएगा।

केन्द्रीय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी; प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राष्ट्रीय सुशासन केन्द्र (एनसीजीजी) के मसूरी परिसर द्वारा जम्मू एवं कश्मीर प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारियों के लिए फील्ड प्रशासन में क्षमता निर्माण कार्यक्रम के सातवें बैच के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, जम्मू एवं कश्मीर के भद्रवाह और गुलमर्ग क्षेत्रों में ‘अरोमा मिशन’ तथा ‘बैंगनी क्रांति’ की सफलता के परिणामस्वरूप अकेले लैवेंडर की खेती में 3,000 से अधिक स्टार्टअप संलग्न हैं। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश ने लैवेंडर की खेती के मॉडल का अध्ययन करने के लिए जम्मू एवं कश्मीर में प्रतिनिधिमंडल भेजा है और अरोमा मिशन का अनुकरण करने में रुचि दिखाई है।

लोकसभा में जम्मू एवं कश्मीर के उधमपुर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि रियासी जिले में लीथियम की खोज “भारत की अगली बड़ी कहानी” साबित हो सकती है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को कई गुना बढ़ावा मिलेगा।

यह बताते हुए कि लीथियम रिचार्जेबल बैटरी का एक प्रमुख घटक है और दुनिया के नवीकरणीय ऊर्जा की ओर बढ़ने के कारण लीथियम की भारी मांग है, उन्होंने कहा, “विश्लेषणों से पता चला है कि रियासी में मिले लीथियम के भंडार का मूल्य चीन से अधिक हो सकता है।”

यह बताते हुए कि बढ़ती संख्या में जम्मू एवं कश्मीर की वस्तुओं को जियो-टैग किया गया है, डॉ. जितेंद्र सिंह ने जम्मू एवं कश्मीर प्रशासन के अधिकारियों से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने हेतु इस केन्द्र-शासित प्रदेश के जीआई-टैग किए गए उत्पादों की बिक्री को बढ़ावा देने का आह्वान किया।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जब से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 में पदभार संभाला है, उन्होंने जम्मू एवं कश्मीर, लद्दाख, विभिन्न द्वीपों और उत्तर-पूर्वी (एनईआर) क्षेत्र सहित भारत के उपेक्षित व दूरदराज के इलाकों को राष्ट्रीय मुख्यधारा में लाने के प्रति प्रतिबद्धता दिखाई है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने “वादों पर अमल किया है”। उन्होंने बताया कि जम्मू एवं कश्मीर में आज एक एक्सप्रेस कॉरिडोर है, सबसे ऊंचा रेल पुल है जो जल्द ही कश्मीर घाटी को रेलवे नेटवर्क से जोड़ेगा और राष्ट्रीय महत्व की कई परियोजनाओं के कार्यान्वयन में यह सुनिश्चित करते हुए तेजी लाई गई है कि विकास जम्मू एवं कश्मीर के नागरिकों के जीवन को बेहतर करे।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों के सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिए कई शासन संबंधी सुधार पेश किए हैं। उन्होंने कहा कि हमारे देश में सार्वजनिक नीतियों का लक्ष्य वर्तमान में राजकोषीय संघवाद, ग्रामीण भारत में बदलाव और सार्वजनिक सेवाओं की आपूर्ति की गुणवत्ता में सुधार पर ध्यान देते हुए शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाना है।

केन्द्रीय मंत्री ने कहा, केन्द्र सरकार की शिकायत निवारण प्रणाली, सीपीजीआरएएमएस को 97 प्रतिशत की निपटान दर हासिल करते हुए अधिक उत्तरदायी और प्रासंगिक बनाया गया है। उन्होंने कहा कि केन्द्र और केन्द्र-शासित प्रदेश के प्रशासन के बीच निर्बाध शिकायत निवारण हेतु जम्मू एवं कश्मीर जीआरएएमएस पोर्टल को सीपीजीआरएएमएस के साथ समन्वित किया गया है।

इस अवसर पर बोलते हुए, डीएआरपीजी के सचिव वी. श्रीनिवास ने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर प्रशासनिक सेवा के 280 से अधिक अधिकारियों ने एनसीजीजी का दौरा किया है। यह कार्यशाला पांच वर्ष की अवधि में जम्मू एवं कश्मीर कैडर के 500 अधिकारियों को प्रशिक्षित करने हेतु जम्मू एवं कश्मीर प्रशासन और एनसीजीजी के बीच 2019 में हस्ताक्षरित एक समझौता ज्ञापन का हिस्सा है।

सातवां क्षमता निर्माण कार्यक्रम 27 नवंबर, 2023 से 8 दिसंबर, 2023 तक मसूरी के एनसीजीजी में आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में सचिवों, विशेष सचिवों, अतिरिक्त सचिवों, सीईओ, निदेशकों, संयुक्त निदेशकों, विकास अधिकारियों सहित अन्य पदों पर कार्यरत जेकेएएस के 26 अधिकारी भाग ले रहे हैं।

इस कार्यक्रम के दौरान, जम्मू एवं कश्मीर के सिविल सेवक संचार संबंधी रणनीतियों, गरीबी उन्मूलन, ग्रामीण आवास, स्किल इंडिया, सरकार में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस), पर्यटन एवं संस्कृति, जल जीवन मिशन, डिजिटल इंडिया, 2030 तक एसडीजी हासिल करने संबंधी दृष्टिकोण, आयुष्मान भारत, भ्रष्टाचार विरोधी रणनीतियां, सतर्कता संबंधी प्रशासन, चक्रीय अर्थव्यवस्था, नदियों का कायाकल्प, नवाचार एवं उद्यमिता आदि जैसे विभिन्न विषयों पर संबद्ध विशेषज्ञों के साथ बातचीत करेंगे। प्रतिभागियों को संसद के दौरे पर भी ले जाया जाएगा।

यह क्षमता निर्माण कार्यक्रम वैज्ञानिक रूप से जम्मू एवं कश्मीर के सिविल सेवकों को आम लोगों को ठोस एवं निर्बाध सेवाएं प्रदान करने की दृष्टि से तैयार किया गया है। इस कार्यक्रम के दौरान हासिल किया गया अत्याधुनिक ज्ञान और नया कौशल इन सिविल सेवकों को आम लोगों के जीवन को बेहतर बनाने हेतु सार्वजनिक सेवाओं की कुशल आपूर्ति में मदद करेगा। इस कार्यक्रम का उद्देश्य अधिकारियों को जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने और आम लोगों के लिए अवसर पैदा करने के लिए एकनिष्ठता से काम करने हेतु पुन: उन्मुख करना है। जम्मू एवं कश्मीर में सुशासन, पारदर्शिता और सेवाओं की कुशल आपूर्ति से जुडी इन कार्यप्रणालियों का अनुकरण करने हेतु अधिकारियों को सुशासन से संबंधित सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों का अनुभव दिलाया जाता है। इस कार्यक्रम का जोर शासन के व्यावहारिक पहलुओं को साझा करने, गति एवं पैमाने के साथ काम करने और नागरिकों के प्रति जवाबदेह होने तथा उनकी शिकायतों का सक्रिय रूप से निवारण करने पर है।

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