मैं वास्‍तविक सीमाओं में नहीं केवल मानवता में विश्वास करता हूं: बांग्‍ला फिल्म ‘फ़रेश्तेह’ के निदेशक मोर्तेज़ा अताशज़मज़म

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नई दिल्ली, 24नवंबर। “दुनिया में सबसे अच्छा धर्म मानवता है” बांग्लादेशी फिल्म फ़रेश्तेह के निदेशक मोर्तेज़ा अताशज़मज़म ने कहा, जिसका कल 54वें आईएफएफआई में ‘सिनेमा ऑफ द वर्ल्ड’ श्रेणी के तहत विश्व प्रीमियर हुआ था। मोर्टेज़ा ने बांग्लादेशी अभिनेता सुमोन फारूक के साथ गुरूवार को मीडिया, प्रतिनिधियों और सिने प्रेमियों के साथ बातचीत की।

फ़रेशतेह बांग्‍ला भाषा में बनी एक बांग्लादेशी फ़िल्म है और ईरान और बांग्लादेश का संयुक्त उद्यम है। यह एक जोड़े, फ़रेशतेह और उनके पति अमजद की कहानी है, जो अपनी इच्छाओं को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करते रहते हैं। फिल्म में जया अहसन को फ़रेश्‍तेह और सुमोन फारूक को अमजद की भूमिका में दिखाया गया है।

फिल्म के बारे में, श्री मोर्टेज़ा ने कहा कि वह अपने दिल की बात सुनकर लोगों और उनके दर्द से जुड़ने की कोशिश करते हैं। फ़रेश्तेह को इस दर्शन के साथ एक छोटी सी टीम ने सीमित बजट के भीतर तैयार किया। फिल्म निर्माण की प्रेरणा के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि जब हम किसी चीज से प्यार करते हैं तो हम किसी भी चुनौती का सामना करने और किसी भी कठिनाई का मुकाबला करने के लिए तैयार रहते हैं। उन्होंने अपनी फिल्म को आईएफएफआई जैसे अंतरराष्ट्रीय महोत्सव में प्रदर्शित किये जाने पर हार्दिक आभार व्यक्त किया।

भारत के बारे में बात करते हुए ईरानी निदेशक मोर्तेज़ा ने कहा कि वह वास्‍तविक सीमाओं में नहीं बल्कि केवल मानवता में विश्वास करते हैं। उन्होंने साझा किया कि ईरान में लोग भारत और भारतीय संस्कृति खासकर बॉलीवुड से प्यार करते हैं। उन्होंने कहा कि वह भारत में फिल्म बनाने के मौके का इंतजार कर रहे हैं।

I don't believe in real boundaries but only in humanity: Morteza Atashzamzam, director of Bengali film 'Fareshteh'

अपने अनुभव साझा करते हुए सुमोन फारूक ने कहा कि एक व्यवसायी होने के नाते उनके लिए अमजद की भूमिका के लिए खुद को ढालना चुनौतीपूर्ण था, जो एक गरीब रिक्शा चालक है। इस भूमिका के लिए खुद को तैयार करने के लिए उन्होंने एक रिक्शा खरीदा और अपने कार्यालय समय के बाद उसे चलाना शुरू कर दिया। अभिनेता ने कहा कि अपने किरदार के साथ न्याय करने के लिए उन्होंने अपनी त्वचा धूप में जलाने के लिए दिन में रिक्शा चलाना भी शुरू कर दिया। उनका मानना है कि एक अभिनेता को भावनाओं को महसूस करने और उन्हें दर्शकों के सामने अधिक प्रामाणिक तरीके से पेश करने के लिए चरित्र जीना चाहिए।

अभिनेता, सुमोन फारूक ने अपनी फिल्म का भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव जैसे प्रतिष्ठित मंच पर प्रीमियर होने पर खुशी व्यक्त करते हुए इसे ‘सपने के सच होने’ का क्षण बताया।

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