आईआईटी देश के गौरव रहे हैं : राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मू

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राष्ट्रपति ने आईआईटी दिल्ली के हीरक जयंती समापन समारोह में शिरकत की

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने आज नई दिल्ली में आईआईटी दिल्ली के हीरक जयंती समापन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान राष्ट्र का गौरव रहे हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि आईआईटी ने दुनिया भर में शिक्षा और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की क्षमता साबित की है। स्वतंत्र भारत की गाथा में आईआईटी की एक से बढ़कर एक किस्से शामिल हैं। भारत को आज बेहतर स्थिति में लाने में आईआईटी ने वैश्विक मंच पर बहुत योगदान दिया है। आईआईटी के शिक्षकों और पूर्व-छात्रों ने दुनिया को हमारी दिमागी ताकत दिखाई है। आईआईटी दिल्ली और अन्य आईआईटी में अध्ययन करने वाले कुछ छात्र अब दुनिया में व्यापक डिजिटल क्रांति में सबसे आगे हैं। इसके अलावा, आईआईटी का प्रभाव विज्ञान और प्रौद्योगिकी से आगे निकल गया है। आईआईटी जीवन के हर क्षेत्र में – शिक्षा, उद्योग, उद्यमिता, नागरिक समाज, सक्रियता, पत्रकारिता, साहित्य और राजनीति में अग्रणी हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि मूल आईआईटी में से एक के रूप में, आईआईटी दिल्ली हाल के कुछ सदस्यों के समूह – आईआईटी रोपड़ और आईआईटी जम्मू के लिए एक संरक्षक है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार, आईआईटी दिल्ली ने दुनिया भर में उत्कृष्टता केंद्रों के रूप में आईआईटी की छवि बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

राष्ट्रपति ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि आईआईटी दिल्ली ने हमेशा खुद को बड़े समुदाय के हिस्से के रूप में देखा है और यह समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी के प्रति अत्यधिक संवेदनशील रहा है। उन्होंने कहा कि इसके सामाजिक सरोकार का ताजा उदाहरण महामारी के शुरुआती दौर में देखने को मिला। वायरस को नियंत्रित करने की चुनौती को ध्यान में रखते हुए, आईआईटी दिल्ली ने महत्वपूर्ण अनुसंधान और विकास परियोजनाओं की शुरुआत की। इसने अन्य चीजों के अलावा रैपिड एंटीजन टेस्ट किट, पीपीई, एंटीमाइक्रोबियल फैब्रिक, उच्च दक्षता वाले फेस मास्क और कम लागत वाले वेंटिलेटर का डिजाइन तैयार करके उन्हें विकसित किया। कोरोना वायरस के खिलाफ भारत की लड़ाई में आईआईटी दिल्ली का योगदान एक मॉडल रहा है कि कैसे इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संस्थान भी जन स्वास्थ्य के संकट में भूमिका निभा सकते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि 2047 तक, जब हम स्वतंत्रता की शताब्दी मनाएंगे, चौथी औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप हमारे आसपास की दुनिया में काफी बदलाव आ गया होगा। जिस तरह हम 25 साल पहले समकालीन दुनिया की कल्पना करने की स्थिति में नहीं थे, उसी तरह आज हम कल्पना नहीं कर सकते हैं कि कैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ऑटोमेशन जीवन को बदलने जा रहे हैं। हमारी अधिक जनसंख्या के बल पर, हमें भविष्य की उन ताकतों से निपटने के लिए दूरदर्शिता और रणनीतियों की आवश्यकता है, जहां बाधाएं नए तौर पर एक सामान्य बात होगी। रोजगार का स्वरूप पूरी तरह से बदल जाएगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि यदि हम भविष्य की अनिश्चितताओं से खुद को बचाने के लिए कदम उठाते हैं, तो हम समृद्ध जनसांख्यिकीय लाभांश का फायदा प्राप्त कर सकते हैं। हमें अपने संस्थानों को भविष्य के अनुकूल बनाने की जरूरत है। इसके लिए एक नए अध्यापन-शिक्षण मैट्रिक्स, शिक्षाशास्त्र और विषय-सामग्री की आवश्यकता होगी, जो भविष्योन्मुखी हों। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे प्रसिद्ध आईआईटी के साथ, हम चुनौती का सामना करने के लिए आवश्यक ज्ञान के आधार और सही कौशल के साथ युवा पीढ़ी का पोषण करने में सक्षम होंगे।

राष्ट्रपति ने जलवायु परिवर्तन को एक गंभीर चुनौती बताते हुए कहा कि एक अधिक जनसंख्या वाले विकासशील देश के रूप में, आर्थिक विकास के लिए हमारी ऊर्जा की बहुत अधिक आवश्यकता है। इसलिए हमें जीवाश्म ईंधन से अक्षय ऊर्जा की ओर शिफ्ट होने की जरूरत है। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि आने वाले वर्षों में, जिस प्रकार दुनिया उत्सुकता से पर्यावरणीय चुनौतियों के लिए तकनीकी समाधानों की तलाश कर रही है, भारत के युवा इंजीनियर और वैज्ञानिक मानव जाति को एक सफलता हासिल करने में मदद करेंगे।

शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस अवसर पर अपने संबोधन में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के मार्गदर्शन के लिए उनके प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह अमृतकाल के लक्ष्यों को साकार करने के लिए हमारी शिक्षा बिरादरी को और प्रेरित करेगा।

शिक्षा मंत्री ने 60 साल की शानदार यात्रा पर आईआईटी दिल्ली को बधाई दी। उन्होंने कहा कि इसने राष्ट्रीय प्रगति को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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श्री प्रधान ने कहा कि आज रिसर्च एंड इनोवेशन पार्क का उद्घाटन आईआईटी दिल्ली में अनुसंधान एवं विकास के सामाजिक प्रभाव को बढ़ाने के लिए और गति प्रदान करेगा।

उन्होंने यह भी कहा कि यह बहुत गर्व की बात है कि आज कई विकसित देश अपने देशों में अपतटीय आईआईटी परिसरों की स्थापना और मेजबानी की दिशा में रुचि दिखा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह हमारे प्रतिष्ठित आईआईटी के कौशल, ताकत और गुणवत्ता का प्रतिबिंब है।

श्री प्रधान ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत आज नवाचार के नेतृत्व में विकास पथ पर है। इसे दुनिया में इस समय सर्वाधिक संख्या में डिजिटल लेनदेन का श्रेय मिलता है। स्वदेशी रूप से विकसित 5जी भारत में डिजिटल क्रांति को और उत्प्रेरित करने वाला है। हमारे आईआईटी आधुनिक अर्थव्यवस्था के केंद्र हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी भूमिकाओं की फिर से कल्पना करनी चाहिए।

उन्होंने आग्रह किया कि आईआईटी दिल्ली को भारत को उद्योग 4.0 में सबसे आगे स्थापित करने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्व की भविष्य की चुनौतियों का समाधान प्रदान करने और जिम्मेदारी लेने के लिए छात्रों को तैयार करना चाहिए।

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श्री प्रधान ने हमारे ‘लोकतंत्र के मंदिर’ का ज्ञान भागीदार बनने के लिए आईआईटी दिल्ली की उत्सुकता की सराहना की। उन्होंने कहा कि हमें 21वीं सदी की आकांक्षाओं को साकार करने और भारत को विश्व भर में सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए शिक्षा, उद्योग तथा नीति-निर्माताओं को और मजबूत करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।

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श्री प्रधान ने जोर देकर कहा कि 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा उद्घोषित ‘पंच प्रण’ भी हमारे शैक्षणिक संस्थानों के भविष्य के रोडमैप को निर्धारित करता है। उन्होंने आग्रह करते हुए कहा कि आईआईटी को चुनौतियों को स्वीकार करना चाहिए और राष्ट्रीय लक्ष्यों को साकार करने के लिए बड़े संकल्पों के साथ आगे बढ़ना चाहिए।

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