श्री मनसुख मांडविया ने दवा उद्योग से कहा, वैश्विक बाजार हासिल करने के लिए अब ‘वॉल्यूम’ से ‘वैल्यू’ पर जोर देने का समय है

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‘आइए हम वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं से सीखें और वैश्विक मौजूदगी बढ़ाते हुए घरेलू मांग को पूरा करने के लिए खुद के मॉडल विकसित करें’

सरकार उद्योग के अनुकूल नीतियों के साथ दवा कंपनियों का सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है : डॉ. मनसुख मांडविया

हितधारकों के साथ विचार-विमर्श समग्र, व्यापक, जीवंत एवं दीर्घकालिक नीतियों का आधार होगा

आइए हम वैश्विक दवा बाजार में अपना वर्चस्व बढ़ाने के लिए अब ‘वॉल्यूम’ से ‘वैल्यू’ लीडरशिप यानी मात्रा से मूल्य उत्कृष्टता की ओर रुख करें। यह अनुसंधान, विनिर्माण एवं नवाचार में वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं से ज्ञान अर्जित करने और उत्पादन वृद्धि पर केंद्रित खुद के मॉडल विकसित करने का समय है ताकि वै​श्विक मौजूदगी बढ़ाने के साथ-साथ घरेलू मांग को पूरा किया जा सके। केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने इंडियन फार्मास्युटिकल एलायंस के साथ संवाद सत्र के दौरान औष​धि उद्योग के दिग्गजों और नेताओं से आह्वान करते हुए यह बात कही। इस बैठक का उद्देश्य भारत के फार्मा विजन 2047 और भारतीय औष​धि क्षेत्र के लिए भविष्य की रूपरेखा पर चर्चा करना था। सत्र के दौरान भारत में औष​धि उद्योग की वर्तमान स्थिति के अलावा पिछले कुछ वर्षों के दौरान सरकार द्वारा की गई प्रमुख पहलों और इस दृष्टिकोण को साकार करने के लिए उठाए गए अन्य कदमों पर चर्चा की गई।

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डॉ. मनसुख मांडविया ने सभी क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता हासिल करने के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को दोहराते हुए कहा कि आने वाले वर्षों के दौरान औष​धि क्षेत्र के मोर्चे पर छलांग लगाएगा। उन्होंने कहा, ‘हमारे पास पहले से ही आवश्यक जनशक्ति एवं ब्रांड शक्ति मौजूद है और भारतीय कंपनियां आज शीर्ष वैश्विक ​स्थिति हासिल करने के मोड़ पर खड़ी हैं।’ भारत को जेनेरिक दवाओं के उत्पादन और वैश्विक बाजार में मात्रात्मक हिस्सेदारी के आधार पर दुनिया की फार्मेसी के रूप में स्वीकार किया जाता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि अब आगे बढ़ने और मूल्य के आधार पर शीर्ष वैश्विक ​स्थिति हासिल करने का समय आ गया है।

‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के भारत के दर्शन को दोहराते हुए उन्होंने कहा, ‘हमने हमेशा अपनी घरेलू मांगों को संतुलित करते हुए दुनिया की मदद करने में विश्वास किया है। वै​श्विक महामारी संकट के दौरान जब दुनिया ने भारत की ओर देखा तो हमने उसे पूरा किया। इससे भारत की ताकत की वैश्विक स्तर पर सराहना हुई। अब हमें इस अवसर का उपयोग खोज एवं मेक इन इंडिया को अगले स्तर पर ले जाने में करना चाहिए।’

डॉ. मांडविया ने उद्योग को स्थिरता प्रदान करने वाली दीर्घकालिक नीतियों के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार उद्योग के अनुकूल नीतियों और निवेशकों को प्रोत्साहित करने वाले परिवेश के साथ दवा कंपनियों की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, ‘सरकार एक समग्र दृष्टिकोण अपनाने में विश्वास करती है। हमारी नीतियां हितधारकों के साथ विस्तृत एवं व्यापक विचार-विमर्श पर आधारित हैं जो व्यापक, दीर्घकालिक एवं जीवंत नीतिगत परिवेश के लिए आधार प्रदान करती हैं।’

साथ ही उन्होंने यह भी कहा, इसके साथ ही, उन्होंने कहा कि “हमें औष​धि उद्योग के साथ आगे बढ़ने और विनिर्माण क्षमता के विस्तार में खुद के मॉडलों एवं पहलों को प्रस्तावित करने, नवोन्मेषी तकनीकों में निवेश करने और अनुसंधान एवं विकास पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। सरकार उपयुक्त नीतियों और अत्याधुनिक अनुसंधान को बढ़ावा देने वाली पीएलआई जैसी प्रभावी योजनाओं के जरिये इस क्षेत्र को मजबूती प्रदान करेगी। डॉ. मांडविया ने नीतिगत मोर्चे के अलावा अनुसंधान एवं विकास में निवेश, कुशल विनिर्माण क्षमता के साथ-साथ नवाचार के लिए पर्याप्त अवसर पैदा करने पर भी ध्यान केंद्रित किया जो अब समय की आवश्यकता है। उन्हें उम्मीद जताई कि इन कदमों से हम इस क्षेत्र के लिए एक जीवंत परिवेश तैयार करने में समर्थ होंगे।

फार्मास्युटिकल विभाग की सचिव सुश्री एस. अपर्णा ने कहा कि भारत सरकार औष​धि क्षेत्र के लिए हमारे लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में लगातार काम कर रही है। पहुंच, नवाचार, गुणवत्ता एवं किफायत पर लगातार ध्यान केंद्रित करते हुए उद्योग के अनुकूल वि​भिन्न पहल की जा रही है ताकि इंडिया फार्मा विजन 2047 को हासिल करने में मदद मिल सके। उन्होंने आगे कहा कि नीतिगत स्थिरता के मुद्दे को निपटाते हुए सुधार एवं नियामकीय सुगमता सुनि​श्चित करने की पहल की जा रही है ताकि बेहतर गुणवत्ता को सुनिश्चित करते हुए विनिर्माण में तेजी लाई जा सके। सरकार अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी), निर्यात और डिजिटलीकरण में निवेश को प्रोत्साहित कर रही है और नए स्टार्टअप एवं उद्यमिता पहलों के इनक्यूबेशन को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने यह भी कहा कि समीक्षा प्रक्रियाओं में तेजी लाई जा रही है और उचित चैनल बनाकर जवाबदेही सुनिश्चित की जा रही है। इन कारकों पर ध्यान केंद्रित करने से हमें औष​धि क्षेत्र में वृद्धि हासिल करने में मदद मिलेगी और इस क्षेत्र में विश्वास बढ़ेगा।

इंडियन फार्मास्युटिकल एलायंस ने वि​भिन्न मुद्दों को उजागर किया और उन पर चर्चा की जिनमें नीतिगत स्थिरता, नवाचार, नियामक ढांचे में सुधार और पारदर्शिता एवं जवाबदेही सहित सुगमता, सीडीएससीओ में समीक्षा प्रक्रिया, योजनाओं के कार्यान्वयन की नियमित निगरानी, मूल्य निर्धारण एवं संबंधित नियंत्रण, नवाचार में अनुसंधान को गति देने पर केंद्रित बुनियादी ढांचे में निवेश, निर्यात को बढ़ावा देने के लिए रसायन एवं एपीआई उत्पादन क्षमता में विस्तार, ज्ञान साझा करने में डिजिटल क्षमता का उपयोग करने के लिए डिजिटलीकरण, चिकित्सा शिक्षा में उपयोग और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा की पहुंच में विस्तार, स्टार्टअप में निवेश के जरिये ब्रांड इंडिया को कैसे समृद्धि किया जाए और बेहतरीन श्रमबल हासिल करने के लिए ​शिक्षा क्षेत्र के साथ सहयोग शामिल हैं।

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