महाराष्ट्र में हिंसक हुआ मराठा आरक्षण आंदोलन, एनसीपी विधायक के घर में प्रदर्शनकारियों ने लगाई आग
नई दिल्ली, 30अक्टूबर। महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन हिंसक हो गया है. बीड में प्रदर्शनकारियों ने एनसीपी विधायक विधायक प्रकाश सोलंके के आवास पर हमला कर दिया और उसमें आग लगा दी. विधायक ने कहा कि जब हमला हुआ तब मैं अपने घर के अंदर था. सौभाग्य से, मेरे परिवार का कोई भी सदस्य या कर्मचारी घायल नहीं हुआ. हम सभी सुरक्षित हैं लेकिन आग के कारण संपत्ति का भारी नुकसान हुआ है. मराठा आरक्षण समर्थक प्रदर्शनकारियों द्वारा एनसीपी विधायक प्रकाश सोलंके के बीड आवास पर हमले पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा, मनोज जारांगे पाटिल (मराठा आरक्षण कार्यकर्ता) को इस तथ्य पर ध्यान देना चाहिए कि यह विरोध क्या मोड़ ले रहा है.यह गलत दिशा में जा रहा है.
उधर, महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे कैबिनेट की मीटिंग की. मीटिंग से पहले शिंदे ने कहा कि हम आज कैबिनेट बैठक में मराठा आरक्षण प्रदान करने पर न्यायमूर्ति शिंदे समिति की रिपोर्ट को औपचारिक रूप से स्वीकार करेंगे और राजस्व विभाग द्वारा कुनबी जाति प्रमाण पत्र जारी करने के आदेश जारी किए जाएंगे. शिंदे ने कहा कि मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए बनी जस्टिस शिंदे समिति ने अपनी पहली रिपोर्ट हमें सौंप दी है. अंतिम रिपोर्ट जमा करने के लिए समिति को दो महीने का विस्तार दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट मराठा आरक्षण के मुद्दे पर हमारी याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया है…लोगों से मेरी गंभीर अपील है कि वे कोई भी अतिवादी कदम न उठाएं, हम मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
जरांगे ने जांच कराने से इनकार किया
मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर महाराष्ट्र के जालना जिले में अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने स्वास्थ्य जांच करवाने से इनकार कर दिया है. जालना के कार्यवाहक सिविल सर्जन डॉ. प्रताप घोडके ने सोमवार को कहा कि लंबे समय तक भोजन न करने से उनके आवश्यक अंगों और स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ सकता है.मराठा समुदाय के सदस्य अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत सरकारी नौकरियों एवं शिक्षा में आरक्षण की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शन ने तब जोर पकड़ लिया जब सामाजिक कार्यकर्ता जरांगे प्रदर्शन के दूसरे चरण के तहत जालना में अंतरवाली सराटी गांव में 25 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठ गए. उनकी अपील पर कई ग्रामीणों ने गांव में राजनीतिक दलों के नेताओं का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया है.
डॉ. घोडके ने कहा, ‘‘जिलाधिकारी और चिकित्सक हर दो-तीन घंटे के बाद जरांगे से संपर्क कर रहे हैं. लेकिन हर बार उन्होंने स्वास्थ्य जांच और उपचार से इनकार कर दिया. इससे उनके जरूरी अंगों जैसे कि गुर्दे और मस्तिष्क पर असर पर सकता है.उनके शरीर में शर्करा का स्तर निम्न हो सकता है और शरीर में पानी की कमी हो सकती है.उन्होंने कहा, ‘‘हमने अंतरवाली सराटी में उनके पारिवारिक चिकित्सक के साथ तथा अन्य चिकित्सकों से संपर्क किया है.