इस्पात राज्य मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने कहा : वित्तीय वर्ष 2022 के दौरान भारत ने 13.5 मिलियन टन तैयार इस्पात का निर्यात किया, जिसकी कीमत एक लाख करोड़ रुपये थी

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वित्तीय वर्ष 2022 में भारतीय इस्पात की खपत 11.5 प्रतिशत बढ़कर 106 मिलियन टन हुई

इस्पात और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने आज नई दिल्ली में एक सम्मेलन में कहा कि देश ने 13.5 मिलियन टन तैयार इस्पात का निर्यात किया है, जिसका मूल्य एक लाख करोड़ रुपये है। उन्होंने कहा कि देश ने लगभग 46,000 करोड़ रुपय मूल्य के इस्पात का आयात भी किया है। भारत के इस्पात क्षेत्र ने प्रभावशाली प्रदर्शन करते हुए 420 बिलियन अमेरिकी डॉलर के व्यापारिक निर्यात के सर्वकालिक रिकॉर्ड में अपना योगदान दिया। मेटलोजिक, पीएमएस द्वारा आयोजित इस्पात और इंजीनियरिंग निर्यात विषय पर आयोजित एक सम्मेलन में श्री कुलस्ते ने कहा कि कोविड-19 से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद, बाहरी व्यापार के साथ-साथ घरेलू इस्पात उत्पादन और खपत दोनों के मामले में इस्पात क्षेत्र का रिकॉर्ड प्रदर्शन प्रसन्नता की बात है। इंजीनियरिंग क्षेत्र, विनिर्माण और बुनियादी ढांचा क्षेत्रों से निकटता से जुड़ा होने के कारण, भारत की अर्थव्यवस्था के लिए रणनीतिक महत्व रखता है और इस्पात क्षेत्र, इंजीनियरिंग क्षेत्र से निकटता से जुड़ा हुआ है।

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राज्य मंत्री ने कहा कि भारत में लगभग 106 मिलियन टन इस्पात की ऊंची खपत है और 120 मिलियन टन का उत्पादन न केवल इस क्षेत्र की वृद्धि को दर्शाता है, बल्कि भारत में इस्पात कम्पनियों के अनुकरणीय साहस और दृढ़ संकल्प को भी प्रदर्शित करता है।

इस्पात क्षेत्र के प्रदर्शन के बारे में राज्य मंत्री ने कहा कि हमारे पास सभी क्षेत्रों में इस्पात क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करने की क्षमता है। जैसा कि आप जानते हैं, भारतीय इस्पात क्षेत्र साल-दर-साल के आधार पर लगभग 5 प्रतिशत से 6 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़ और फल-फूल रहा है। भारत सरकार हमारे देश में संवर्धित इस्पात (स्पेशियलिटी स्टील) का उत्पादन करने के लिए उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) लेकर आई है और हमें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में हमारा मजबूत इस्पात क्षेत्र पहचाने गए उत्पादों का विनिर्माण करने के लिए घरेलू मांग को पूरा करने के साथ-साथ देश के विदेशी व्यापार में हिस्सेदारी में वृद्धि करते हुए निर्यात को भी बढ़ाने के लिए में सफल होगा।

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हमारी सरकार की नीतिगत घोषणाओं और रेलवे, सड़क, विमानन, गैस पाइपलाइन और आवास सहित विभिन्न क्षेत्रों में वैश्विक आपूर्ति-मांग के समीकरणों में बदलाव के साथ, बुनियादी ढांचे व औद्योगिक उत्पादन में निवेश में वृद्धि के कारण आने वाले वर्षों में इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण वृद्धि होने की उम्मीद है।

देश में इस्पात की मांग बढ़ गई है। लेकिन साथ ही अन्य सामग्रियों के साथ इस्पात के लिए प्रतिस्पर्धा भी बढ़ गई है। ऑटोमोबाइल क्षेत्र, घरेलू सामान, रेलवे, अंतरिक्ष जैसे कई क्षेत्रों में, इस्पात की लागत के कारण, इसके भार के कारण, इस्पात को अन्य सामग्रियों जैसे कम्पोजिट मेटेरियल द्वारा प्रतिस्थापित किया जा रहा है, क्योंकि कम्पोजिट मेटेरियल हल्की, इस्पात की तरह मजबूत और सस्ती होती है। मंत्री महोदय ने इस्पात कंपनियों को नवीनतम तकनीक को अपनाकर इस्पात के उत्पादन की लागत को कम करने की सलाह दी और कहा कि इस क्षेत्र को वैकल्पिक सामग्री से इस्पात बनाने की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए।

इस्पात राज्य मंत्री ने इस्पात कंपनियों को अर्ध-निर्मित इस्पात (सेमी फिनिश्ड स्टील) के बजाय मूल्य वर्धित उत्पादों के निर्यात पर ध्यान केंद्रित करने के लिए ध्यान देने को कहा, क्योंकि देश में इस्पात के उत्पादन और निर्यात का अर्थव्यवस्था के विकास के साथ-साथ देश में रोजगार पर सीधा प्रभाव पड़ता है।

इस्पात राज्य मंत्री ने कहा कि इस्पात मंत्रालय इस क्षेत्र के विकास के लिए नीति तैयार करने के लिए इस्पात क्षेत्र में हितधारकों के साथ लगातार बातचीत कर रहा है। हमारी सरकार द्वारा समय-समय पर लिए गए निर्णयों से प्रसंस्कृत इस्पात के निर्यात में वृद्धि हुई है और आयात में कमी आई है। गुणवत्ता नियंत्रण आदेश के कार्यान्वयन के कारण खराब इस्पात के आयात पर काफी हद तक नियंत्रण लगा है और अब तक 142 मानकों पर क्यूसीओ लागू किया गया है। उन्होंने वादा किया कि इस्पात मंत्रालय दिन भर के सम्मेलन के दौरान प्राप्त होने वाले सुझावों पर ध्यान देगा।

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