जनजातीय कार्य मंत्रालय ने 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए

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ट्राइफेड ने 75 सफल आदिवासी महिलाओं को सम्मानित किया

राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान,नई दिल्ली ने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफल जनजातीय महिलाओं के योगदान को स्वीकारा

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस, 2022 के अवसर पर जनजातीय कार्य मंत्रालय ने ट्राइफेड, राष्ट्रीय जनजातीय छात्र शिक्षा सोसायटी (एनईएसटीएस), और राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान (एनटीआरआई) द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से नारीत्व की अदम्य भावना का जश्न मनाया।

पिछले कुछ वर्षों से अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस सभी क्षेत्रों- चाहे वह सांस्कृतिक, आर्थिक, राजनीतिक या सामाजिक हो, में महिलाओं की उपलब्धियों का गुणगान करने के लिए मनाया जा रहा है। इस वर्ष, आजादी का अमृत महोत्सव के अनुरूप, जनजातीय कार्य मंत्रालय के तत्वावधान में ट्राइफेड ने जनजातीय कार्य राज्य मंत्री श्री बिश्वेश्वर टुडू, जनजातीय कार्य सचिव श्री अनिल कुमार झा, ट्राइफेड के अध्यक्ष श्री रामसिंह राठवा,अपर सचिव एवं प्रबंध निदेशक ट्राइफेडसुश्री आर जया और संयुक्त सचिव डॉ. नवलजीत कपूर की उपस्थिति में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया।

इस अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस समारोह के मौके पर आधारशिला का उद्देश्य देश भर की आदिवासी महिला कारीगरों तथा वन धन लाभार्थियों और आजीविका बढ़ाने में उनके योगदान को प्रदर्शित करना था। इस अवसर का जश्न मनाते हुए,ट्राइफेड ने उन 75 आदिवासी महिलाओं के योगदान को मान्यता दी, जिन्होंने अपने समुदायों में बदलाव लाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इन्हें स्मृति चिन्ह और प्रमाण पत्र प्रदान किए गए।

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इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री बिश्वेश्वर टुडू ने कहा कि, “अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस बेहतर समाज और राष्ट्र के निर्माण में महिलाओं द्वारा निभाए गए प्रयासों और भूमिका का जश्न मनाने का एक अवसर है।”

ट्राइफेड के अध्यक्ष श्री रामसिंह राठवा ने उपलब्धि हासिल करने वाली महिलाओं के प्रयासों की सराहना की और कहा कि ट्राइफेड महिलाओं को उनकी अधिकतम क्षमता हासिल करने के लिए प्रोत्साहित करना जारी रखेगा।

जनजातीय मामलों के सचिव श्री अनिल कुमार झा ने कहा कि वन धन योजना जनजातीय मंत्रालय की एक महत्वपूर्ण योजना है जिसका उद्देश्य जनजातीय आबादी विशेष रूप से महिलाओं को आजीविका उत्पादन बढ़ाने के माध्यम से सशक्त बनाना है।

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इस मौके पर दूसरे आयोजन में, जनजातीय कार्य मंत्रालय (एमओटीए) के तहत स्थापित एक स्वायत्त संगठन राष्ट्रीय जनजातीय छात्र शिक्षा सोसायटी (एनईएसटीएस) ने एनईएसटी के आयुक्त श्री असित गोपाल और एनईएसटीएस के अधिकारियों की उपस्थिति में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया।

ईएमआरएस महिला स्कूल लीडर्स श्रीमती सुधा पेनुली, ईएमआरएस कलसी, उत्तराखंड जिन्होंने पिछले साल राष्ट्रपति पुरस्कार जीता है,ने अपने अनुभव साझा किए। श्रीमती विभा जोशी, ईएमआरएस लुमला, अरुणाचल प्रदेश; श्रीमती उषा शुक्ला, ईएमआरएस करपावंड, छत्तीसगढ़ और श्रीमती गीतांजलि भूषण, ईएमआरएस निचार, हिमाचल प्रदेश ने भी अपने अनुभव साझा किए और बताया कि कैसे उनके योगदान ने ईएमआरएस छात्रों की मदद की है। जनजातीय स्वास्थ्य प्रकोष्ठ की सलाहकार श्रीमती विनीता श्रीवास्तव ने महिलाओं से संबंधित स्वास्थ्य मुद्दों को साझा किया और इस बात पर जोर दिया कि परिवार की भलाई के लिए महिला का स्वास्थ्य कैसे महत्वपूर्ण है।

नारी शक्ति की भावना को बहाल रखते हुए राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थाननई दिल्ली ने आजादी का अमृत महोत्सव के एक भाग के रूप में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर “सेलेब्रेटिंग ट्राइबल वीमेंस अचीवर्स” विषय पर एक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया। इसमें असम, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, तमिलनाडु जैसे विभिन्न राज्यों की सफल आदिवासी महिलाओं ने अपनी कहानियां सुनाईं।

इस अवसर पर, जनजातीय कार्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव डॉ. नवलजीत कपूर ने कहा कि छात्रवृत्ति, ईएमआरएस, वंदन केंद्र जैसी मंत्रालय की विभिन्न योजनाएं शिक्षा और आजीविका के क्षेत्रों में महिलाओं को सशक्त बना रही हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि मंत्रालय ट्राइफेड के माध्यम से महिला आदिवासी कारीगरों के उत्पादों को बढ़ावा दे रहा है और उनके नृत्य, संस्कृति और परंपराओं का दस्तावेजीकरण कर रहा है।

 

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जनजातीय कार्य मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव श्रीमती आर. जया ने कहा कि कैसे पुरुष और महिलाएं एक वाहन के पहियों की तरह एक दूसरे के पूरक हैं। उन्होंने उपलब्धि हासिल करने वाली उन आदिवासी महिलाओं की सराहना की, जिन्होंने अपने अथक प्रयासों से हजारों महिलाओं के जीवन को प्रेरित और प्रभावित किया है।

डॉ. नूपुर तिवारी ने उपलब्धि हासिल करने वाली आदिवासी महिलाओं सुश्री जमुना टुडू (पद्मश्री पुरस्कार विजेता, झारखंड), सुश्री भुबनेश्वरी नेताम (छत्तीसगढ़), सुश्री शीला पॉवेल (तमिलनाडु), सुश्री बिधुलताहुइका (ओडिशा), सुश्री सुशी ध्रुव (छत्तीसगढ़), सुश्री रवीना बरिहा (छत्तीसगढ़) की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला जिन्होंने पेड़ों के संरक्षण, लोकतंत्र को मजबूत करने तथा शिक्षा में ट्रांसजेंडर अधिकारों तथा सरकार के अन्य कार्यक्रम के क्षेत्र में कार्य किया है। इन महिलाओं ने कड़ी मेहनत और समर्पण के साथजनजातीय समुदायों के जीवन में बदलाव लाने के लिए अपने अनुभव और संघर्ष को साझा किया।

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