नमामि गंगे कार्यकारी समिति ने गंगा बेसिन के प्रदूषण में कमी और घाट का विकास करने के लिए 1,278 करोड़ रुपये की नौ परियोजनाओं को मंजूरी प्रदान की

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नई दिल्ली ,23 फरवरी। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के महानिदेशक जी अशोक कुमार की अध्यक्षता में एनएमसीजी कार्यकारी समिति की 47वीं बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में लगभग 1,278 करोड़ रुपये की नौ परियोजनाओं को मंजूरी प्रदान की गई, जिसमें से सात परियोजनाएं गंगा बेसिन के प्रदूषण में कमी लाने और दो घाट के विकास से संबंधित हैं।

पश्चिम बंगाल में चकदाहा नगरपालिका टाउन में 13 एमएलडी क्षमता वाले एसटीपी का निर्माण और 300 केएलडी विकेंद्रीकृत एसटीपी का निर्माण करने के लिए 123 करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी प्रदान की गई

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 422 करोड़ रुपये की तीन परियोजनाओं को मंजूरी प्रदान की गई, जिसमें सलोरी एसटीपी की सीवेज उपचार क्षमता को 43 एमएलडी बढ़ाकर 13 नालों को मोड़ने की परियोजना शामिल

.उत्तर प्रदेश में एक अन्य परियोजना को 95.47 करोड़ रुपये की लागत के साथ मंजूरी प्रदान की गई, जिसका उद्देश्य मुजफ्फरनगर, मेरठ, हापुड़ और बुलंदशहर में आठ स्थानों पर इन-सीटू निर्मित आर्द्रभूमि प्रणाली के विकास द्वारा पूर्वी काली नदी का कायाकल्प करना है

.बिहार में घाट का विकास करने के लिए, अटल घाट मांझी, सारण, बिहार के विकास के लिए 10 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से एक परियोजना को मंजूरी प्रदान की गई

.बिहार के लखीसराय शहर के लिए 94.12 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से गंगा नदी के प्रदूषण में कमी लाने के लिए दो सीवेज उपचार संयंत्र (10.91 एमएलडी और 10.66 एमएलडी) का विकास करने के लिए एक परियोजना को मंजूरी प्रदान की गई

.मध्य प्रदेश के इंदौर में केन और सरस्वती नदियों के प्रदूषण में कमी लाने के लिए 511 करोड़ रुपये की लागत वाली एक प्रमुख परियोजना को मंजूरी प्रदान की गई

.औद्योगिक प्रदूषण की निगरानी करने के लिए, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा संचालित ‘गंगा बेसिन पर प्रदूषण आविष्कारक, मूल्यांकन और निगरानी’ (पीआईएएस) नामक एक परियोजना को 114.42 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से अनुमोदित किया गया

.गंगा नदी के मुख्य क्षेत्र में, पश्चिम बंगाल के चकदाहा नगरपालिका टाउन में 13 एमएलडी क्षमता वाले एसटीपी का निर्माण और 300 केएलडी विकेंद्रीकृत एसटीपी का निर्माण करने के लिए 123 करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी प्रदान की गई है।

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 422 करोड़ रुपये की तीन परियोजनाओं को मंजूरी प्रदान की गई, जिसमें सलोरी एसटीपी की सीवेज उपचार क्षमता को 43 एमएलडी बढ़ाकर 13 नालों को मोड़ने की परियोजना शामिल है। एक 20 केएलडी मल कीचड़ सह-उपचार सुविधा का निर्माण भी इस परियोजना का हिस्सा है। उत्तर प्रदेश में एक अन्य परियोजना को 95.47 करोड़ रुपये की लागत के साथ मंजूरी प्रदान की गई है, जिसका उद्देश्य मुजफ्फरनगर, मेरठ, हापुड़ और बुलंदशहर में आठ स्थानों पर इन-सीटू निर्मित आर्द्रभूमि प्रणाली के विकास द्वारा पूर्वी काली नदी का कायाकल्प करना है। आर्द्रभूमि निर्माण में ऑक्सीकरण, फिल्ट्रेशन सेगमेंटों के साथ-साथ एक ही स्थान पर जलमार्ग के अंदर पौधारोपण करके क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर फिल्ट्रैशन की व्यवस्था शामिल है। अपनाई जाने वाली इस पद्धति का लाभ यह है कि इसमें नदी की आकृति में कोई परिवर्तन नहीं होता है और बाढ़ के दौरान इसके जलमार्ग में भी कोई बाधा उत्पन्न नहीं होती है। घाट के विकास के लिए, फतेहपुर में नागेश्वर धाम आश्रम घाट के लिए 2.84 करोड़ रुपये की एक परियोजना स्वीकृत की गई है।

बिहार के लखीसराय शहर के लिए 94.12 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से गंगा नदी के प्रदूषण में कमी लाने के लिए दो सीवेज उपचार संयंत्र (10.91 एमएलडी और 10.66 एमएलडी) का विकास करने के लिए एक परियोजना को मंजूरी प्रदान की गई। बिहार में घाट का विकास करने के लिए, अटल घाट मांझी, सारण, बिहार के विकास के लिए 10.04 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से एक परियोजना को मंजूरी प्रदान की गई है। अटल घाट परियोजना में स्नान करने के लिए घाट क्षेत्र का विकास, सुविधाएं, पूजा एवं अन्य धार्मिक गतिविधियों के लिए जगह, पीने के पानी की जगह, रात्रि के लिए रोशनी की व्यवस्था, श्राद्ध और मुंडन के लिए जगह, भूदृश्य निर्माण और कचरे को अलग-अलग रखने के लिए गीले और सूखे कूड़ेदान शामिल हैं।

मध्य प्रदेश की कार्यकारी समिति के समक्ष दो परियोजनाओं को मंजूरी के लिए रखा गया, जिनमें से इंदौर में केन और सरस्वती नदियों में प्रदूषण में कमी लाने के लिए 511.15 करोड़ रुपये की लागत वाली एक बड़ी परियोजना को मंजूरी प्रदान की गई। इस परियोजना में 120 एमएलडी, 40 एमएलडी और 35 एमएलडी क्षमता वाली 2 एसटीपी के निर्माण की परिकल्पना की गई है। इस परियोजना का एक महत्वपूर्ण घटक 120 एमएलडी और 35 एमएलडी क्षमता वाले एसटीपी के साथ उपचारित जल पुन: उपयोग तंत्र का निर्माण करना है। मध्य प्रदेश में एक अन्य प्रस्तावित परियोजना उज्जैन शहर में 22 एमएलडी क्षमता वाला एसटीपी और 2.35 एमएलडी धारा उपचार संयंत्र का निर्माण करने के लिए है, जिसकी अनुमानित लागत 92.78 करोड़ रुपये है। हालांकि, इस परियोजना को अधिक स्पष्टीकरण के लिए भेजा गया।

औद्योगिक प्रदूषण की निगरानी करने के लिए, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा संचालित ‘गंगा बेसिन पर प्रदूषण आविष्कार, मूल्यांकन और निगरानी’ (पीआईएएस) नामक एक परियोजना को 114.42 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से अनुमोदित किया गया। इस परियोजना में इन्वेंट्री का वार्षिक अपडेशन, तीसरे पक्ष द्वारा सकल प्रदूषणकारी उद्योगों (जीपीआई) का वार्षिक निरीक्षण, सीपीसीबी द्वारा जीपीआई का वार्षिक निरीक्षण, अत्यधिक प्रदूषणकारी उद्योगों और औद्योगिक समूहों से जुड़े नालों की निगरानी, नालियों की निगरानी, एसटीपी की निगरानी, सीईटीपी की निगरानी, ऑनलाइन सतत उत्सर्जन निगरानी प्रणाली (ओसीईएमएस)/ डैशबोर्ड/ आईटी पोर्टल की परिकल्पना की गई है।

अपनी तरह की पहली परियोजना, जिसका नाम ‘प्रकृति आधारित उपचार के साथ शाहदरा नाले का कायाकल्प और संरक्षण के लिए सर्वेक्षण, अनुसंधान – मृदा जैव प्रौद्योगिकी (एसबीटी) है, को भी 1.9 करोड़ रुपये के साथ मंजूरी प्रदान की गई। इस परियोजना में ड्रोन सर्वेक्षण, बैथमेट्रिक सर्वेक्षण, फील्ड सर्वेक्षण/डेटा संग्रह और इन्वेस्टिगेशन ऑफ इनलेट ड्रेन डिस्चार्ज, जल गुणवत्ता एवं परीक्षण और मृदा/कीचड़ के गुणों की जांच की परिकल्पना की गई है।

इस बैठक में श्री हिमांशु बडोनी, कार्यकारी निदेशक (परियोजना), एनएमसीजी, श्री एस.पी.वशिष्ठ, कार्यकारी निदेशक (प्रशासन), एनएमसीजी, श्री भास्कर दासगुप्ता, कार्यकारी निदेशक (वित्त), एनएमसीजी, श्री डी.पी. मथुरिया, कार्यकारी निदेशक (तकनीकी), एनएमसीजी, सुश्री ऋचा मिश्रा, संयुक्त सचिव और वित्तीय सलाहकार, जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा कायाकल्प विभाग, जल शक्ति मंत्रालय और संबंधित राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित हुए।

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