नेताजी भारतीय लोगों के दिलों में थे, हैं और आगे भी रहेंगे: डॉ. अनीता बोस फाफ

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नेताजी चाहते थे कि युवा अपने जेहन में देश को सर्वोपरि रखें: सुश्री रेणुका मलाकर

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती समारोह के हिस्से के अवसर पर  भारत सरकार के पत्र सूचना कार्यालय और प्रादेशिक लोकसमपर्क ब्यूरो ने “पराक्रम दिवस” के संबंध में एक वेबिनार का आयोजन किया। भारत सरकार ने आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती दिवस 23 जनवरी को हर साल ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की है। डॉ. अनीता बी. फाफ (नेताजी सुभाष चंद्र बोस की बेटी) और सुश्री रेणुका मलाकर (नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रपोत्री) ने आज के वेबिनार में मुख्य वक्ता के रूप में भाग लिया। श्री महेश चंद्र शर्मा (वरिष्ठ पत्रकार) ने भी अतिथि वक्ता के रूप में वेबिनार को संबोधित किया।

 

(डॉ. अनीता बोस फाफ वेबिनार को संबोधित करते हुए)

 

इस वेबिनार में जर्मनी से शामिल हुईं नेताजी सुभाष चंद्र बोस की बेटी डॉ. अनीता बोस फाफ ने कहा कि नेताजी भारतीय लोगों के दिलों में थे, हैं और आगे भी रहेंगे। उन्होंने कहा कि हालांकि उनके पिता एक धर्मनिष्ठ हिंदू थे लेकिन उनके मन में सभी धर्मों के लिए सम्मान था। डॉ. अनीता ने कहा कि उनके पिता ने एक ऐसे भारत की कल्पना की थी जहां सभी धर्म के लोग शांतिपूर्वक सह-अस्तित्व में रहते हों। उन्होंने कहा कि नेताजी लैंगिक समानता के हिमायती थे। उनका दृष्टिकोण एक ऐसे राष्ट्र का निर्माण करना था जहां पुरुषों और महिलाओं को न केवल समान अधिकार हों, बल्कि वे समान कर्तव्यों का पालन भी कर सकें। यह महिलाओं पर है कि वे स्वयं दासत्व से मुक्ति पाएं, महिलाओं को जीतना चाहिए और वे जीत सकती हैं। डॉ. अनीता बोस ने स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्र निर्माण में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन और योगदान पर भी विस्तृत विवरण दिया। उन्होंने कहा कि नेताजी के पास भारत की वित्तीय और आर्थिक मजबूती के लिए एक विजन था और भारत को आजादी मिलने से पहले ही उन्होंने एक योजना आयोग का गठन कर लिया था।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रपोत्री और नेताजी सुभाष बोस आईएनए ट्रस्ट दिल्ली-इंडिया की पूर्व महासचिव व वर्तमान ट्रस्टी सुश्री रेणुका मलाकर ने अपने संबोधन में कहा कि नेताजी को अपने देशवासियों से अत्यधिक प्रेम था। भारत के युवा देश का भविष्य है। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि उन्हें देश को सर्वोपरि रखना चाहिए और यदि ऐसा होता है तो भारत को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता।

(सुश्री रेणुका मलाकर वेबिनार को संबोधित करते हुए)

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन पर विस्तार से जानकारी देते हुए वरिष्ठ पत्रकार और लेखक श्री महेश चंद्र शर्मा ने कहा कि जिस तरह नेताजी ने देश को सर्वोच्च प्राथमिकता दी, उसी तरह युवाओं को भी राष्ट्र के लिए प्रयासरत रहना चाहिए, ताकि देश एकजुट, शक्तिशाली तथा धार्मिक और जाति आधारित भेदभाव से मुक्त हो सके। उन्होंने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस का राष्ट्र के प्रति समर्पण, भारत में युवाओं के लिए निरंतर प्रेरणा का स्रोत है।

वेबिनार में इससे पहले पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) की अपर महानिदेशक डॉ. प्रज्ञा पालीवाल गौड़ ने उद्घाटन और स्वागत भाषण दिया। डॉ. पालीवाल ने सबसे पहले नेताजी की बेटी डॉ. अनीता बोस फाफ का स्वागत किया और अपना कीमती समय देने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि पत्र सूचना कार्यालय के इस वेबिनार में उनकी और सुश्री रेणुका मलाकर की उपस्थिति सम्मान की बात है। उन्होंने कहा कि नेताजी की अदम्य साहस व राष्ट्र के लिए नि:स्वार्थ सेवा का सम्मान करने और उन्हें स्मरण रखने को लेकर भारत सरकार ने देश के लोगों विशेषकर युवाओं, को प्रेरित करने के लिए हर साल 23 जनवरी यानी उनके जन्मदिन को “पराक्रम दिवस” के रूप में मनाने का निर्णय लिया है।

इस वेबिनार में देश के विभिन्न हिस्सों से 200 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इनमें बीएसएफ के जवान, एनसीसी के कैडेट, नेहरू युवा केंद्र संगठन के युवा स्वयंसेवक और अन्य अधिकारी शामिल थे। अंत में, भारत के स्वतंत्रता संग्राम में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की भूमिका पर बनाये गए एक वीडियो को वेबिनार के दौरान दिखाया गया। इस वीडियो का निर्माण सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने किया है। इस वेबिनार का संचालन पीआईबी जयपुर के उप निदेशक श्री पवन सिंह फौजदार ने किया।

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