रामनवमी पर रामलला के मस्तक पर होगा सूर्य किरणों का तिलक, राममंदिर में उपकरण लगाने में जुटे वैज्ञानिक

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नई दिल्ली, 8अप्रैल। राम नवमी इस बार 17 अप्रैल 2024 को मानाई जाएगी. इस साल की रामनवनी बेहद खास होने वाली है. क्योंकि अब रामलला अपने जन्म स्थल पर भव्य मंदिर में विराजमान हैं. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहली रामनवमी कई मायनों में ऐतिहासिक बनेगी. 500 साल बाद रामलला का भव्य जन्मोत्सव मनाने की तैयारी हो रही है. इसे खास बनाने के लिए जो आयोजन किए जा रहे हैं उसमें रामलला के माथे पर सूर्य किरणों को पहुंचाने के लिए वैज्ञानिकों की मदद ली जा रही है. जानिए ये कैसे मुमकिन होगा, इसके लिए क्या किया जा रहा है.

जन्म की घड़ी दोपहर 12 बजे सूर्य तिलक
इसी क्रम में रामनवमी के दिन रामलला के जन्म की घड़ी दोपहर ठीक 12 बजे सूर्य की रश्मियों से रामलला का अभिषेक यानी सूर्य तिलक होगा. सूर्य की किरणें करीब चार मिनट तक रामलला के मुख मंडल को प्रकाशित करेंगी. यह सर्कुलर सूर्य तिलक 75 मिमी का होगा. इसी रामनवमी को रामलला का सूर्य तिलक करने की तैयारी में वैज्ञानिक जुटे हुए हैं. राममंदिर में उपकरण लगाए जा रहे हैं, जल्द ही इसका ट्रायल भी किया जाएगा.

खास तिलक हर साल रामनवमी के मौके पर
यह खास तिलक हर साल सिर्फ रामनवमी के मौके पर ही दिखाई देगा. मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थापित किए जाने वाले ऑप्टोमैकेनिकल सिस्टम में हाई क्वालिटी मिरर, एक लेंस और खास कोणों पर लगे लेंस के साथ वर्टिकल पाइपिंग शामिल है. मंदिर के ग्राउंड फ्लोर पर दो मिरर और एक लेंस फिट किए जा चुके हैं. तीसरे फ्लोर पर जरूरी उपकरण लगाए जा रहे हैं.

मिनट तक रामलला के माथे पर रहेगा
सूर्य की रोशनी तीसरे फ्लोर पर लगे पहले दर्पण पर गिरेगी और तीन लेंस व दो अन्य मिरर से होते हुए सीधे ग्राउंड फ्लोर पर लगे आखिरी मिरर पर पड़ेगी. इससे रामलला की मूर्ति के मस्तक पर सूर्य किरणों का एक तिलक लग जाएगा. यह दो से तीन मिनट तक रामलला के माथे पर रहेगा.

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