पीएम मोदी ने बजट के बाद ‘गतिशक्ति’ के विज़न पर आयोजित वेबिनार को संबोधित किया

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अवसंरचना योजना, कार्यान्वयन, और निरीक्षण को पीएम गतिशक्ति से नई दिशा मिलेगी। इससे परियोजनाओं के पूरा होने के समय और लागत में भी कमी आएगी: प्रधानमंत्री

गुवाहाटी में पीएम गतिशक्ति के लिए उत्तर-पूर्व क्षेत्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया

श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा – पीएम गतिशक्ति एक उल्लेखनीय पहल है, जिसका उद्देश्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को सुव्यवस्थित और एकीकृत करके लॉजिस्टिक लागत को कम करना है

असम के मुख्यमंत्री ने कहा – पीएम गतिशक्ति प्रधानमंत्री की बड़ी दृष्टि को दर्शाती है और इसे पर्याप्त बजटीय संसाधन प्राप्त है

पूर्वोत्तर भारत में तेजी से ढांचागत विकास सुनिश्चित करने और इस क्षेत्र को राष्ट्रीय गैस ग्रिड में शामिल करने के भारत सरकार के उद्देश्य के साथ पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने आज गुवाहाटी में पीएम गतिशक्ति (पीएमजीएस) के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। इस सम्मेलन का उद्देश्य विभिन्न हितधारकों को एक साथ लाना और बुनियादी ढांचे के विकास को गति देना तथा पूर्वोत्तर क्षेत्र में पर्यावरण के अनुकूल प्राकृतिक गैस को अपनाने में तेजी लाना है।

 

इस सम्मेलन में असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा, केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी, केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री श्री रामेश्वर तेली, असम सरकार के उद्योग एवं वाणिज्य, सार्वजनिक उद्यम, परिवहन, कौशल, रोजगार एवं उद्यमिता, एक्ट ईस्ट नीतियां, कल्याण अल्पसंख्यक मंत्री श्री चंद्र मोहन पटोवरी, त्रिपुरा सरकार के एफसीएस एवं सीए, उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री श्री मनोज कांति देब, नगालैंड सरकार के मृदा और जल संरक्षण मंत्री श्री. वी. काशीहो संगतम, सिक्किम सरकार के शिक्षा, कानून, विधायी एवं संसदीय कार्य मंत्री, भू-राजस्व एवं आपदा प्रबंधन, खेल एवं युवा मामले के मंत्री श्री कुंगा नीमा लेप्चा ने भाग लिया। केंद्र सरकार के बुनियादी ढांचा से जुड़े विभिन्न मंत्रालयों, पूर्वोत्तर राज्यों और अन्य हितधारकों के प्रतिनिधियों ने भी इस सम्मेलन में भाग लिया।

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सम्मेलन की शुरुआत से पहले, गणमान्य व्यक्तियों ने गति शक्ति के दृष्टिकोण और केंद्रीय बजट 2022 के साथ इसके सम्मिलन पर आयोजित वेबिनार में भाग लिया, जिसे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने संबोधित किया।

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प्रधानमंत्री ने कहा कि इस वर्ष के बजट ने 21वीं सदी में भारत के विकास की गति (गतिशक्ति) निर्धारित की है। उन्होंने कहा कि ‘अवसंरचना आधारित विकास’ की इस दिशा से हमारी अर्थव्यवस्था की ताकत में असाधारण वृद्धि होगी, जिससे रोजगार की कई नई संभावनाएं पैदा होंगी।

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प्रधानमंत्री ने परियोजनाओं को पूरा करने के पारंपरिक तरीकों में हितधारकों के बीच समन्वय की कमी को रेखांकित करते हुए कहा कि ऐसा विभिन्न संबंधित विभागों के बीच स्पष्ट जानकारी के अभाव की वजह से था। उन्होंने कहा, “पीएम गतिशक्ति के कारण अब हर कोई पूरी जानकारी के साथ अपनी योजना बना सकेगा। इससे देश के संसाधनों का अधिकतम उपयोग भी होगा।”

 

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि जिस पैमाने पर सरकार बुनियादी ढांचे के विकास का काम कर रही है, उसे देखते हुए अब गतिशक्ति की काफी आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2013-14 में भारत सरकार का प्रत्यक्ष पूंजीगत व्यय लगभग ढाई लाख करोड़ रुपये था जो वर्ष 2022-23 में बढ़कर साढ़े सात लाख करोड़ रुपये हो गया है। उन्होंने कहा, “पीएम गतिशक्ति से अवसंरचना योजना, कार्यान्वयन और निरीक्षण को नई दिशा मिलेगी। इससे परियोजनाओं के पूरा होने के समय और लागत में भी कमी आएगी।“

 

श्री मोदी ने कहा, “सहकारी संघवाद के सिद्धांत को मजबूत करते हुए हमारी सरकार ने इस वर्ष के बजट में राज्यों की सहायता के लिए एक लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। राज्य सरकारें इस राशि का उपयोग मल्टीमॉडल बुनियादी ढांचे और अन्य उत्पादक संपत्तियों के विकास पर कर सकेंगी। उन्होंने दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में कनेक्टिविटी में सुधार के लिए राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम और इस संबंध में प्रधानमंत्री की पूर्वोत्तर के लिए विकास पहल (पीएम-डिवाइन) का उल्लेख किया। प्रधान मंत्री ने पीएलआई पहल का उल्लेख करते हुए निजी क्षेत्र से देश के बुनियादी ढांचे में निवेश करने का आह्वान किया।

 

प्रधानमंत्री ने कहा कि “आज भी भारत में लॉजिस्टिक लागत को सकल घरेलू उत्पाद का 13 से 14 प्रतिशत माना जाता है। यह अन्य देशों की तुलना में अधिक है। बुनियादी ढांचे की दक्षता में सुधार करने में पीएम गति-शक्ति की बहुत बड़ी भूमिका है।“ प्रधानमंत्री ने इस बजट में प्रदान किए गए यूनिफाइड लॉजिस्टिक इंटरफेस प्लेटफॉर्म- यूलिप के बारे में बात की जिसे विभिन्न सरकारी विभागों द्वारा उनकी जरूरतों के अनुसार अपनाया जा रहा है और इससे लॉजिस्टिक्स लागत कम हो गई है। उन्होंने बताया कि “यूलिप के माध्यम से 6 मंत्रालयों के 24 डिजिटल सिस्टम को एकीकृत किया जा रहा है। यह एक राष्ट्रीय सिंगल विंडो लॉजिस्टिक्स पोर्टल बनाएगा जो लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने में मदद करेगा।”

 

प्रधानमंत्री ने बेहतर समन्वय के माध्यम से हर विभाग में लॉजिस्टिक्स डिवीजन और लॉजिस्टिक्स दक्षता के लिए सचिवों के अधिकार प्राप्त समूह के गठन जैसे कदमों की जानकारी दी। उन्होंने कहा, “हमारे निर्यात को भी पीएम गति-शक्ति से बहुत मदद मिलेगी, हमारे एमएसएमई वैश्विक स्तर पर टक्कर देने में सक्षम होंगे।”

 

बाद में पूर्वोत्तर क्षेत्रीय सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि पीएम गति शक्ति एक उल्लेखनीय पहल है। उन्होंने बताया कि इसका उद्देश्य विभिन्न केंद्र और राज्य सरकारों की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को सुव्यवस्थित और एकीकृत करके भारत में लॉजिस्टिक लागत को कम करना है। उन्होंने कहा कि इस सफल मास्टर प्लान के माध्यम से, पेट्रोलियम, रेलवे, राजमार्गों, उपयोगिताओं आदि जैसे क्षेत्रों की प्रमुख परियोजनाएं तेज और कुशलता से निष्पादन के लिए आपस में एक एकीकृत दृष्टि साझा करेंगी।

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श्री पुरी ने कहा कि हम जीवन की सुगमता और व्यवसाय करने में आसानी दोनों में बदलाव लाने के लिए मल्टी-मॉडल परिवहन, लॉजिस्टिक एवं आपूर्ति श्रृंखला, शहरी विकास, बंदरगाहों और उपयोगिताओं एवं सेवाओं के बीच तालमेल लाने में सक्षम होंगे। उन्होंने कहा कि भारतीय सामान और सेवाएं एक एक्सप्रेस लेन पर आगे बढ़ेंगी और भारतीय उद्योग चीन, ताइवान और दक्षिण कोरिया जैसे विनिर्माण केंद्रों की निर्यात क्षमताओं से बराबरी करने में सक्षम होंगे। श्री पुरी ने कहा, “पीएम गतिशक्ति मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी सुनिश्चित करेगी। उदाहरण के लिए, उत्तर पूर्व भारत में उगाए गए ताजे फल तेजी से उपभोक्ता बाजारों और खाड़ी देशों की जरूरतों को पूरा करने के लिए पहुंच जाएंगे।

 

श्री पुरी ने कहा कि पेट्रोलियम क्षेत्र पूर्वोत्तर भारत के औद्योगिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने बताया कि पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) से तेल उत्पादन 2020-21 में 4.11 एमएमटी से 67% बढ़कर अगले 4 वर्षों में 6.85 एमएमटी होने की उम्मीद है। श्री पुरी ने कहा कि निकट भविष्य में इस क्षेत्र में अन्वेषण का क्षेत्र दोगुना होने जा रहा है जिससे अगले 4 वर्षों में कच्चे तेल के उत्पादन में 45% और इसी अवधि में गैस उत्पादन में लगभग 90% की वृद्धि होने की उम्मीद है।

 

श्री पुरी ने सभी राज्य सरकारों के नेताओं से अनुरोध करते हुए कहा कि वे आवश्यक परियोजना मंजूरी और राज्य एजेंसियों के सहयोग के जरिए इस परिवर्तनकारी मिशन को अपना समर्थन दें। श्री पुरी ने कहा कि सफल होने के लिए सहकारी संघवाद की भावना के साथ इस सपने को राज्य और केंद्र सरकारों के बीच टीम वर्क से पूरा करने की आवश्यकता है।

 

डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि प्रधानमंत्री ने देश के विकास में एक बड़ा बदलाव किया है और पीएमजीएस लोगों को बहुत लाभ पहुंचाएगा। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र देश के बाकी हिस्सों से चिकन-नेक के माध्यम से जुड़ा हुआ है, और इसलिए कनेक्टिविटी के लिए यह मास्टर प्लान प्रकृति में अद्वितीय है। उन्होंने कहा कि यह न केवल प्रधानमंत्री के विशाल दृष्टिकोण को दर्शाता है, बल्कि इसे पर्याप्त बजटीय संसाधन भी प्राप्त है। डॉ. सरमा ने यह कहते हुए कि असम सरकार इस योजना के लिए पूरी तरह से तैयार है, बताया कि राज्य ने इसके लिए एक संस्थागत ढांचा तैयार कर लिया है और क्षमता निर्माण भी शुरू कर दिया है। उन्होंने मास्टर प्लान तैयार करने में पूर्ण सहयोग का आश्वासन देते हुए कहा कि राज्य द्वारा उठाए गए कदमों के ठोस परिणाम सामने आएंगे। असम के मुख्यमंत्री ने पूंजीगत व्यय के लिए धन उपलब्ध कराने के लिए भी केंद्र सरकार को धन्यवाद दिया। डॉ. सरमा ने कहा कि राज्य तेल और गैस क्षेत्र में खोज एवं उत्पादन (ई एंड पी) गतिविधियों को बढ़ाने के लिए सभी हितधारकों के साथ पूरा सहयोग कर रहा है।

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श्री रामेश्वर तेली ने कहा कि सड़क, रेल, पाइपलाइन और जलमार्ग के माध्यम से संपर्क विकास की एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पीएम गतिशक्ति आपूर्ति श्रृंखला में शामिल सभी एजेंसियों को एक साथ लाएगी। इससे देश मजबूत से आगे बढ़ेगा और वैश्विक मानकों की बराबरी कर सकेगा। श्री तेली ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि गुवाहाटी में प्रधानमंत्री गति शक्ति सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि तेल और गैस के मामले में पूर्वोत्तर क्षेत्र हमेशा सबसे आगे रहा है। उन्होंने कहा कि तेल और गैस की खोज, परिवहन और विपणन से रोजगार सृजन के साथ-साथ कौशल विकास भी होता है। उन्होंने कहा कि पीएम गतिशक्ति से देश का संतुलित विकास होगा। उन्होंने कहा कि यह बेहद महत्वपूर्ण है कि राज्य सरकारें पीएम गतिशक्ति के बारे में अधिक जागरूकता पैदा करें। उन्होंने कहा कि उन्हें सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करना चाहिए, जिसकी योजना में बड़ी भूमिका होगी।

 

श्री मनोज कांति देब ने कहा कि यह योजना बुनियादी ढांचे के विकास और सभी प्रकार की कनेक्टिविटी के साथ-साथ किसानों की आय को दोगुना करने में मदद करेगी। उन्होंने कहा कि त्रिपुरा मुख्य रूप से एक कृषि आधारित राज्य है, और पीएमजीएस के माध्यम से बेहतर कनेक्टिविटी से वहां और अधिक उद्योग स्थापित करने में मदद मिल सकती है। उन्होंने कहा कि इससे देश के हर नागरिक को फायदा होगा और देश को एक नई दिशा मिलेगी।

 

श्री वी. काशीहो संगतम ने कहा कि पीएम गतिशक्ति नगालैंड में खनिज संसाधनों की खोज में बेहतर मदद करेगी। इससे व्यापार करने में आसानी होगी और नए अवसर मिलेंगे। उन्होंने कहा कि उत्तर पूर्वी राज्यों को इससे बहुत लाभ होगा, इससे परियोजनाओं को समय पर पूरा किया जाएगा और आर्थिक लाभ होगा।

 

श्री कुंगा नीमा लेप्चा ने कहा कि बड़ी संख्या में एजेंसियों के कारण खराब योजना और खराब क्रियान्वयन होता है। गति शक्ति सकारात्मक बदलाव लाएगी, और देश के खासकर पहाड़ी और छोटे राज्यों के विकास में मदद करेगी। उन्होंने कहा कि सिक्किम योजना का लाभ उठाने के लिए पूरा प्रयास करेगा।

 

मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए राष्ट्रीय मास्टर प्लान पीएम गतिशक्ति एकीकृत योजना और बुनियादी ढांचा कनेक्टिविटी परियोजनाओं के समन्वित कार्यान्वयन के लिए आवश्यक रूप से 16 मंत्रालयों को एक साथ लाने वाला एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है। संतुलित और बारीक दृष्टिकोण के लिए प्रत्येक मंत्रालय और सरकारी विभाग जारी और आगामी परियोजनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त करने में सक्षम होंगे।

 

प्रधानमंत्री ने 13 अक्टूबर, 2021 को नई दिल्ली में एक समारोह में मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए पीएम गति शक्ति – राष्ट्रीय मास्टर प्लान (एनएमपी) का शुभारंभ किया था। इसके बाद, 21 अक्टूबर, 2021 को आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए रोल आउट, कार्यान्वयन, निगरानी और समर्थन तंत्र के लिए संस्थागत ढांचे सहित पीएम गतिशक्ति – राष्ट्रीय मास्टर प्लान को मंजूरी दी।

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