वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 23.56 बिलियन डॉलर का लक्ष्य अर्जित करने के लिए कृषि निर्यात संवर्धन पर नए सिरे से प्रोत्‍साहन

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पूर्वोत्तर क्षेत्र में भौगोलिक संकेतक टैग किए गए उत्पादों के लिए जागरूकता बढ़ाने के लिए अनुकूलन कार्यक्रम
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के कृषि उत्पादों के लिए एक निर्यात प्रोत्साहन निकाय, एपीडा ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए 23.56 बिलियन डॉलर के निर्यात लक्ष्य को अर्जित करने के लिए कृषि निर्यात संवर्धन के लिए एक लोक संपर्क कार्यनीति बनाई है। निर्यात को बढ़ावा देने के लिए चालू वर्ष में इस योजना के तहत 300 कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

यह देखते हुए कि स्‍वच्‍छता और पादप स्‍वच्छता उपायों का उपयोग उन देशों द्वारा व्यापार में तकनीकी बाधा के रूप में किया जाता है, जो विशेष रूप से विकसित देशों में खाद्य उत्पादों के निर्यात में एक बड़ी चुनौती पेश करते हैं, एपीडा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सहित विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से मानव जीवन पर इसके प्रभाव को उजागर करके खाद्य निर्यात के हितधारकों के बीच जागरूकता पैदा करने की योजना बनाई है।

प्रस्तावित लोक संपर्क कार्यनीति के अनुसार, ऐसे संभावित उत्पादों की सूची, जिनमें प्रचुर मात्रा में निर्यात क्षमता है, को रेखांकित करने के जरिए प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में विभिन्न मुख्यधारा के प्रकाशनों और इलेक्ट्रॉनिक चैनलों की सहायता से निर्यातकों, किसानों, कृषि उद्यमों, खाद्य प्रसंस्करणकर्ताओं, रसद प्रदाताओं, विदेशी मुद्रा प्रबंधन कंपनियों आदि के साथ एक मजबूत और नियमित संबंध स्थापित करने की योजना है।

विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर संभावित बाजारों की सूची भी प्रदर्शित की जाएगी। इसके अतिरिक्‍त, भारत के निर्यात संभावित उत्पादों की देश-वार और उत्पाद-वार विशिष्ट आवश्यकताओं को विशेष रूप से निर्यातकों के लिए एपीडा पोर्टल पर रेखांकित किया जाएगा।

इसके अतिरिक्‍त, आयातक देशों की आवश्यकताओं के त्वरित अद्यतन को शीघ्र ही हितधारकों के बीच साझा किया जा सकता है और अपने वरीयता वाले भागीदार देशों को भारत के निर्यातों के उत्पाद-वार लाभों को भी भागीदार देशों में अधिक अवसर प्राप्‍त करने के लिए रेखांकित किया जाएगा।

और अधिक निर्यातकों को आकर्षित करने के लिए, एपीडा निर्यात प्रक्रियाओं को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में विभिन्न प्लेटफॉर्मों पर विशेष रूप से प्रसारित किया जाएगा और इसके लाभों के साथ-साथ जमीनी और ग्राम स्तर पर निर्यात के लिए इसकी प्रक्रिया के बारे में एक पेजर समाचार प्रसारित किया जाएगा।

आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की दिशा में प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अपील के अनुरूप काम करते हुए, व्यावहारिक और तकनीकी प्रशिक्षण के माध्यम से संभावित उभरते कृषि उद्यमों को पोषित करने और उन्हें एक आकर्षक करियर के रूप में कृषि निर्यात को चुनने के लिए प्रेरित करने पर ध्यान केन्द्रित किया गया है।

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के शीर्ष कृषि निर्यात संवर्धन निकाय ने भारत में विविधीकृत कृषि जलवायु क्षेत्रों से निर्यात के अवसरों का लाभ उठाने के लिए कृषि उद्यमियों के लिए एक कार्यक्रम आयोजित करने का भी प्रस्ताव रखा है।

कृषि आपूर्ति श्रृंखला में किसानों, छात्रों, अधिकारियों, आदि जैसे हितधारकों को कृषि निर्यात प्रक्रियाओं, दिशा-निर्देशों, सरकार से कृषि आपूर्ति श्रृंखला में राजकोषीय और वित्तीय प्रोत्साहन, आपूर्ति श्रृंखला अर्थात अवशेषों, अधिकतम अवशेष सीमा, ट्रेसबिलिटी यानी पता लगाने की क्षमता, आदि में स्वच्छता और पादप स्‍वच्‍छता मुद्दों के बारे में अनुकूलित किया जाएगा।

चूंकि भारत में अपने चिकित्सीय और स्वास्थ्य मूल्यों के कारण भौगोलिक संकेतक (जीआई) टैग किए गए उत्पादों के निर्यात की अच्छी संभावना है, इसलिए पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) में जीआई उत्पादों के लिए हितधारकों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए अनुकूलन कार्यक्रमों की योजना बनाई गई है।

भारत में 140 से अधिक जीआई पंजीकृत कृषि उत्पाद हैं और उनमें से 123 कृषि उत्पाद एपीडा के अनुसूचित उत्पाद हैं। भारत में जैव विविधता को ध्यान में रखते हुए, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ज्ञान भागीदारों के रूप में विश्वविद्यालयों, संगठनों, गैर सरकारी संगठनों आदि को शामिल करने करते हुए दुनिया भर में जीआई उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों और कार्यशालाओं की एक श्रृंखला आयोजित करने की योजना बनाई गई है।

लोक संपर्क कार्यनीति के अनुसार, बेहतर समन्वय करने तथा जीआई हितधारकों और सरकार के बीच की कड़ी को पाटने के लिए जीआई रजिस्ट्री मालिकों का एक संघ बनाने का प्रस्ताव रखा गया है। इस कदम का उद्देश्य जीआई उत्पादों की अखंडता और प्रमाणिकता स्थापित करना है क्योंकि जीआई उत्पादों के पंजीकरण के लिए एक संगठन है, लेकिन इसकी प्रमाणिकता को सत्यापित करने के लिए कोई एजेंसी नहीं है।

लोक संपर्क कार्यनीति के तहत आयोजित किए जाने वाले प्रस्तावित कार्यक्रम भारत में निर्यात उन्मुख कृषि आपूर्ति श्रृंखला में चुनौतियों, कृषि आपूर्ति श्रृंखला के ऑटोमेशन और मशीनीकरण, कृषि और खाद्य प्रसंस्करण में नई प्रौद्योगिकियों के प्रभावी कार्यान्वयन, कृषि निर्यात नीति, एक जिला और एक उत्पाद, एसपीएस और ग्लोबल जीएपी के समान फसल पूर्व और फसल उपरांत पद्धतियों, समेकित शीत श्रृंखला प्रबंधन के लिए लॉजिस्टिक्‍स और अवसंरचना की आवश्यकताओं और सुरक्षित अवशेष क्षेत्रों, विशेष रूप से कीटनाशकों तथा विषाक्त अवशेषों के उपायों पर केन्द्रित होंगे।

निर्यातकों की सफलता की गाथाओं के बारे में वीडियो और इंफो-ग्राफिक्स सामग्री बनाने और इसे नियमित रूप से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रचारित करने का प्रस्ताव किया गया है। कृषि निर्यात संवर्धन निकाय ने विभिन्न प्रिंट और सोशल मीडिया में किसानों, स्टार्ट-अप, निर्यातकों आदि की प्रेरक सफलता की गाथाओं को प्रकाशित करने का भी प्रस्ताव रखा है।

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