श्री पीयूष गोयल ने अगले पांच वर्षों में मसाला उद्योग क्षेत्र के निर्यात को दोगुना करके 10 बिलियन अमरीकी डॉलर करने की अपील की

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“उच्च मूल्य संवर्धन तथा नए उत्पाद विकास पर अतिरिक्त बल के साथ भारतीय मसाला उद्योग की प्रतिस्पर्धा लाभ को बनाये रखने का लक्ष्य”: श्री पीयूष गोयल ने मसाला बोर्ड को संदेश दिया

श्री गोयल ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को उद्धृत करते हुए कहा, “कोविड के दौरान, भारत की दवाओं और टीकों के साथ, विश्व ने हमारे मसालों और काढ़े के महत्व का अनुभव किया”

नए भारत के विजन को तड़का युक्त और मसालेदार होना चाहिए!… मसालों के बिना खाना रंगों के बिना जीवन के समान!: श्री पीयूष गोयल

श्री गोयल ने इलायची किसानों के लिए नवोन्मेषी मौसम आधारित फसल बीमा योजना की शुरूआत की
केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण और कपड़ा मंत्री, श्री पीयूष गोयल ने आज मसाला उद्योग से अगले पांच वर्षों में क्षेत्र के निर्यात को दोगुना करके 10 बिलियन अमरीकी डालर करने की अपील की

श्री पीयूष गोयल ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए मसाला बोर्ड की 35वीं वर्षगांठ समारोह को संबोधित करते हुए कहा, “अब हम मसालों के निर्यात के अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा करने की आकांक्षा रखते हैं – 2030 तक नहीं बल्कि और भी पहले हम 10 बिलियन अमरीकी डॉलर का लक्ष्य अर्जित कर सकते हैं; क्या अगले पांच वर्षों में इस तक पहुंचने की आकांक्षा कर सकते हैं। मैं समझता हूं हम ऐसा कर सकते हैं! आइए, हम अपने निर्यात को दोगुना कर अगले पांच वर्षों में, 2027 तक 10 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने की आकांक्षा रखते हैं और फिर अगले पांच वर्षों में अपने निर्यात को 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर और बढ़ा देना चाहते हैं।”

श्री गोयल ने 2014-21 के बीच मात्रा में 115 प्रतिशत और मूल्य (अमेरीकी डॉलर) में 84 प्रतिशत की वृद्धि के साथ मसाला निर्यात पर संतोष व्यक्त किया, जो 2020-21 में 4.2 बिलियन अमरीकी डॉलर के ऐतिहासिक उच्च स्तर पर पहुंच गया। उन्होंने कहा, “अब भारतीय मसाले और मसालों के उत्पाद विश्व भर में 180 से अधिक गंतव्यों तक पहुंच रहे हैं।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को संदर्भित करते हुए, श्री गोयल ने कहा, “कोविड के दौरान, भारत की दवाओं और टीकों के साथ, दुनिया ने हमारे मसालों और काढ़े के महत्व का अनुभव किया।”

श्री गोयल ने कहा, “हमारी दादी के घरेलू उपचार जैसे हल्दी दूध हल्दी लत्ती और मसाले जैसे दालचीनी, तुलसी (तुलसी के पत्ते), आदि दुनियाभर में घरेलू नुस्खे बन गए। वास्तव में, भारत ने पिछले वर्ष हल्दी के निर्यात में 42 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की।”

उन्होंने कहा, “महामारी के इस चुनौतीपूर्ण समय में विश्व ने आयुर्वेद की सदियों पुरानी और समय की कसौटी पर खरी आयुर्वेद की प्रक्रियाओं पर ध्यान दिया जिसमें चिकित्सकीय उत्पादों- आयुष क्वाथ जो दालचीनी, तुलसी, सूखी अदरक और काली मिर्च की चिकित्सीय शक्तियों को मिश्रित करती है और सुनहरा दूध जो हल्दी और काली मिर्च आदि का उपयोग करके बनाया जाता है, कोविड महामारी के दौरान प्रतिरक्षा बढ़ाने के लिए सबसे अधिक खोजे जाने वाले व्यंजनों में शामिल हो गए हैं।”

श्री गोयल ने कहा कि हालांकि भारत वैश्विक मसालों में अग्रणी है, लेकिन यह क्षेत्र चुनौतियों का भी सामना कर रहा है।

श्री गोयल ने कहा, “जब संपूर्ण कच्चे रूप में मसालों के निर्यात की बात आती है, तो हमारे पास वर्तमान में एशिया और अफ्रीका क्षेत्रों के कई देशों के मुकाबले लागत लाभ की सुविधा नहीं है, जिसका अर्थ है कि हमें मूल्य वर्धित मसाले उत्पादों के निर्यात को बढ़ाने पर फोकस करना चाहिए। इसके अतिरिक्त, हम कड़े गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा मानकों को पूरा करने के लिए अपनी उत्पादन प्रणाली और विनिर्माण प्रणालियों को तैयार करने में भी चुनौतियों का सामना करते हैं।”

उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य उच्च मूल्य संवर्धन तथा नए उत्पाद विकास पर अतिरिक्त बल के साथ भारतीय मसाला उद्योग की प्रतिस्पर्धा लाभ को बनाये रखना है, जिससे कि खाद्य सुरक्षा, गुणवत्ता और निर्वहनीयता सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता के साथ दुनिया भर में विविध उपभोक्ताओं की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।”

श्री गोयल ने कहा कि सरकार अनुकूल और दक्ष कार्यक्रमों तथा युक्तियों के माध्यम से देश से मसालों के निर्यात को बढ़ाने की इच्छुक है।

“बोर्ड ने विभिन्न परियोजनाओं और पहलों पर विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ सहयोगात्मक प्रयास शुरू किए हैं- (1) भारत में मसाला मूल्य श्रृंखला को मजबूत करने और क्षमता निर्माण और नवोन्मेषी युक्तियों के माध्यम से बाजार पहुंच में सुधार के लिए डब्ल्यूटीओ और एफएओ के एसटीडीएफ के साथ; (2) आईएनडीजीएपी (अच्छी कृषि पद्धतियां) प्रमाणन के लिए भारतीय गुणवत्ता परिषद के साथ; (3) मसाला उद्योग तथा राष्ट्रीय टिकाऊ मसाला कार्यक्रम पर आईडीएच तथा जीआईजेड, जर्मनी जैसी अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ और (4) “मसालों के लिए ब्लॉकचैन सक्षम ट्रैसेबिलिटी प्लेटफॉर्म के विकास पर यूएनडीपी की भारत स्थित एक्सेलेरेटर लैब।”

कार्यक्रम के दौरान श्री गोयल ने इलायची किसानों के लाभ के लिए भारतीय मसाला बोर्ड और भारतीय कृषि बीमा कंपनी की एक संयुक्त पहल, नवोन्मेषी मौसम आधारित फसल बीमा योजना का शुभारंभ किया। उन्होंने मसाला बोर्ड की कोरल जुबली के अवसर पर डाक टिकट भी जारी किया। श्री गोयल ने कहा कि सरकार ने मसालों के क्षेत्र में अग्रणी देश के रूप में भारत की स्थिति के विकास और विस्तार का मार्ग प्रशस्त किया है।

उन्होंने कहा, “मसालों का निर्यात विकास और संवर्धन योजना उच्च तकनीक प्रसंस्करण को अपनाने के लिए निर्यातकों का समर्थन करती है। बोर्ड ने उत्पादकों और उद्यमियों के लाभ के लिए भारत भर में प्रमुख उत्पादन केंद्रों (केरल में पुट्टडी, तमिलनाडु में शिवगंगा, आंध्र प्रदेश में गुंटूर, मध्य प्रदेश में छिंदवाड़ा और गुना, राजस्थान में कोटा और जोधपुर) में स्थापित आठ मसाला पार्कों के माध्यम से मसालों में प्राथमिक प्रसंस्करण और मूल्यवर्धन तक पहुंच की सुविधा प्रदान की है, जिससे कि बेहतर मूल्य प्राप्ति में सहायता प्राप्त हो सके।”

श्री गोयल ने बोर्ड से भारत के सभी क्षेत्रों में गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशाला नेटवर्क की पहुंच का विस्तार करने तथा सर्वश्रेष्ठ मानकों का अनुपालन करने का आग्रह किया ताकि सेवा की गुणवत्ता और दक्षता को रेखांकित किया जा सके।

उन्होंने कहा, “बोर्ड का गुणवत्ता मूल्यांकन प्रयोगशाला नेटवर्क भारत के प्रमुख बंदरगाहों में निर्यातकों और अन्य हितधारकों को विश्लेषणात्मक सेवाएं प्रदान करता है। वर्तमान में, अत्याधुनिक प्रयोगशालाएं बोर्ड के अंतर्गत 8 स्थानों (केरल में कोच्चि, आंध्र प्रदेश में गुंटूर, तमिलनाडु में तूतीकोरिन और चेन्नई, महाराष्ट्र में मुंबई, गुजरात में खंडला, दिल्ली के पास नरेला और पश्चिम बंगाल में कोलकाता) से काम कर रही हैं।”

श्री गोयल ने कहा कि भारत को मसालों के लिए वैश्विक गुणवत्ता मानकों को विकसित करने में नेतृत्व प्रदान करने पर गर्व है।

“भारत ने 2014 में एफएओ और डब्ल्यूएचओ के कोडेक्स एलिमेंटेरियस कमीशन के तहत मसालों और रसोई से संबंधित जड़ी बूटियों पर कोडेक्स कमेटी (सीसीएससीएच) के गठन के प्रयासों में अग्रणी भूमिका निभाई। इस समिति की अध्यक्षता भारत ने की है और मसाला बोर्ड इसके सचिवालय के रूप में कार्य करता है। सीसीएचसीएच ने 8 मसालों-काली/सफेद/हरी मिर्च, जीरा, अजवायन, लहसुन, लौंग, अजवायन, तुलसी और अदरक के लिए वैश्विक गुणवत्ता मानकों को सफलतापूर्वक विकसित किया है।”

श्री गोयल ने कहा कि मसाला बोर्ड के पास पारदर्शिता और व्यवसाय करने में आसानी सुनिश्चित करने के लिए कई डिजिटल कार्यक्रम हैं, जैसे कि छोटी इलायची के लिए क्लाउड-आधारित लाइव ई-नीलामी सुविधा।

“बोर्ड ने अपनी अधिकांश सेवाओं को डिजिटल कर दिया है और उन्हें ऑनलाइन बना दिया है। बोर्ड ने हाल ही में स्पाइस एक्सचेंज इंडिया लॉन्च किया है जो मसालों के व्यापार को समर्पित अपनी तरह का पहला ऑनलाइन पोर्टल है, जो दुनिया भर में मसाला निर्यातकों और आयातकों के बीच बी2बी मैचमेकिंग को सक्षम करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल का उपयोग करता है। पोर्टल व्यापार करने में आसानी की सुविधा प्रदान करता है क्योंकि यह भारतीय निर्यातकों और वैश्विक खरीदारों को जोड़ने के लिए एक प्रौद्योगिकी से जुड़ा मंच प्रदान करता है और भारत से मसालों के निर्यात लेनदेन को मजबूत करने में एक बड़ी छलांग है।”

श्री गोयल ने कहा कि मसाले भारतीय भोजन और जीवन शैली का अभिन्न अंग हैं।

उन्होंने कहा, “सुबह की अदरक की चाय या इलायची की चाय से लेकर कॉस्मेटिक अनुप्रयोगों तक, हल्दी के उपयोग से लेकर दंत उत्पादों तक लौंग और मेन्थॉल का उपयोग करते हुए मसाले हमारे जीवन के हर पहलू में पाए जाते हैं। देश के कई हिस्सों में शादी के रीति-रिवाजों में, दूल्हा और दुल्हन के चेहरे पर हल्दी का लेप लगाया जाता है, एक प्रकार से, मसाले हम सभी के जीवन का एक हिस्सा हैं और भारतीय संस्कृति, इतिहास, परंपरा और विरासत में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत की कहानी मसालों की कहानी है।”

श्री गोयल ने कहा कि भारत सदियों से दुनिया का मसाला कटोरा रहा है, यह दुनिया का सबसे बड़ा मसालों का उत्पादक और उपभोक्ता है। केरल से काली मिर्च, गुजरात से अदरक और पूर्वोत्तर की नागा मिर्च के अतिरिक्त कश्मीर का केसर विश्व प्रसिद्ध है।

श्री गोयल ने कहा, “मसाले ही कारण थे कि वास्को डी गामा के भारत के लिए समुद्री मार्ग खोजने के प्रयासों के पीछे मसाले ही प्रमुख कारण थे और 1498 में केरल तट पर उतरने की उनकी सफलता ने विश्व इतिहास को हमेशा के लिए बदल दिया। भारतीय मसालों का उपयोग दुनिया के कुछ सबसे प्रसिद्ध खाद्य पदार्थों में किया जाता है जैसे – मैक्सिकन सॉस, ब्रिटेन में लोकप्रिय करी आइटम, कहवा (लोकप्रिय अरबी पेय) आदि।”

उन्होंने कहा, “भारत अपने अनूठे स्वादों और मसालों के साथ दुनिया में अग्रणी है- कोच्चि को अक्सर दुनिया की मसाला राजधानी के रूप में जाना जाता है! गुंटूर को दुनिया के सबसे बड़े मिर्च बाजार के रूप में जाना जाता है, जम्मू-कश्मीर में दुनिया के सबसे महंगे मसाले (केसर) मिलते हैं, दिल्ली की खारी बावली एशिया का सबसे बड़ा मसाला बाजार है और पूर्वोत्तर की नागा मिर्च दुनिया की सबसे गर्म मिर्च में से एक है।”

श्री गोयल ने मसाला उद्योग से अपने विशिष्ट उत्पादों के लिए जीआई टैग प्राप्त करने की अपील की।

उन्होंने कहा, “26 भारतीय मसालों को कूर्ग हरी इलायची, मिजो जिंजर, कन्याकुमारी लौंग आदि जैसे जीआई टैग प्राप्त हुए हैं, हमें पारंपरिक भारतीय उपज के लिए ऐसी और संभावनाओं पर विचार करना चाहिए।”

श्री गोयल ने कहा, “नए भारत के विजन को तड़का युक्त और मसालेदार होना चाहिए!… मसालों के बिना खाना रंगों के बिना जीवन के समान है!”

श्री गोयल ने कहा, पिछले कुछ वर्षों में, भारत ने मसालों और मसाला उत्पादों के अग्रणी उत्पादक, उपभोक्ता और निर्यातक के साथ-साथ मसालों के प्रसंस्करण और मूल्यवर्धन में एक वैश्विक केंद्र के रूप में वैश्विक मसाला क्षेत्र में अपना शीर्ष स्थान बनाए रखा है।

उन्होंने कहा, “वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत मसाला बोर्ड, सक्रिय कदम उठाता रहा है और उसने भारतीय मसालों को बढ़ावा देने के लिए इस उद्योग के सभी वर्गों – विभिन्न हितधारकों, मसाला उत्पादकों, निर्यातकों, आयात करने वाले देशों के व्यापार संवर्धन तथा नियामक निकायों, अंतर-सरकारी संगठनों आदि के साथ काम किया है।”

मसाला क्षेत्र के दो विख्यात व्यक्तित्वों एमडीएच के महाशय धर्मपाल और एवरेस्ट मसाला के वाडीलाल शाह जिनका पिछले साल निधन हो गया, को श्रद्धांजलि देते हुए श्री गोयल ने कहा, “भारतीय मसाले दुनिया में भारत का स्वाद, रंग और सुगंध फैला रहे हैं, चाहे यह एमडीएच मसाला या लिज्जत पापड़ हो या एवरेस्ट हो, इन्होंने दुनिया के स्वाद में विविधता ला दी है।”

श्री गोयल ने इस क्षेत्र को और अधिक मसालेदार बनाने के लिए मसाला उद्योग के सामने 4 मसालों की रुपरेखा रखी:

भारतीय मसाले गुणवत्ता के ब्रांड एंबेसडर होंगे: “मसाला बोर्ड को सर्वोच्च गुणवत्ता मानकों को सुनिश्चित करने के लिए भारत के सभी क्षेत्रों में लैब नेटवर्क की पहुंच का विस्तार करना चाहिए।”
ब्रांड इंडिया को बढ़ावा देने के लिए पैकेजिंग पर फोकस: “जो अच्छा दिखता है, वो और भी बिकता है। पैकेजिंग पहली मजबूत छाप छोड़ती है। यह भारतीय मसालों की ‘ब्रांड इक्विटी’ को बढ़ाने में मदद करेगा।”
मसाला पर्यटन को बढ़ावा देना: “भारत और विश्व में भारतीय मसालों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए पर्यटन, स्वाद उत्सव और प्रदर्शनियों के संचालन के लिए राज्य सरकारों के साथ सहयोग करने की आवश्यकता है।”
आइए मसाले क्षेत्र में यूनिकॉर्न का निर्माण करें: “मसालों के क्षेत्र में हमारे पास कई करोड़पति (गुलाटी, वाडीलाल शाह परिवार) हैं। हम इसे अगले स्तर पर क्यों नहीं ले जा सकते? श्रेणी II और III शहरों में रोजगार सृजित करते हुए मसाला क्षेत्र को अगले यूनिकार्न का निर्माण करने वाला क्षेत्र बनाने का लक्ष्य।”
श्री गोयल ने कहा, जब भारत India@2047 के विजन के साथ अमृत काल की ओर बढ़ रहा है, देश का मसाला क्षेत्र इस नए भारत के विजन में आवश्यक तड़का लगाएगा।

उन्होंने कहा, “हमें मसाला क्षेत्र को भारत के निर्यात का ध्वजवाहक बनाने के लिए सामूहिक रूप से कार्य करना चाहिए और विश्व को हमारे स्वादिष्ट मसालों के उत्पादों के साथ ब्रांड इंडिया को स्वीकार करना चाहिए।”

श्री गोयल ने मिशेलिन स्टार भारतीय शेफ विकास खन्ना को उद्धृत किया, – “भारतीय मसाले न केवल हमारे उद्भव को बल्कि भारत की आस्था तथा परंपराओं को भी दर्शाते हैं।”

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