धधकता रहा सतपुड़ा भवन, लेकिन आग बुझाने वाली करोड़ों की हाइड्रोलिक मशीन 40 मीटर दूर ही खड़ी रह गई
भोपाल, 14जून। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के सतपुड़ा भवन में लगी आग को तकरीबन 15 घंटे की मशक्कत के बाद बुझा लिया गया है. आग को लेकर राज्य में सियासत भी गरमाई हुई है. विपक्षी कांग्रेस ने भीषण आग को लेकर सरकार पर ‘भ्रष्टाचार’ और ‘गड़बड़ी’ का आरोप लगाया है. मंगलवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सतपुड़ा भवन में लगी आग को लेकर समीक्षा बैठक बुलाई. बैठक में वरिष्ठ अधिकारियों ने मुख्यमंत्री और मंत्रियों को सतपुड़ा भवन में लगी आग को लेकर तथ्य सामने रखे.
इन सबके बीच एक सवाल यह भी उठता है कि अग्निशमन के लिए इस्तेमाल की जाने वाली अत्याधुनिक ‘हाइड्रोलिक लैडर’ सतपुड़ा भवन से महज 40 मीटर की दूरी पर खड़ी थी, लेकिन इसका इस्तेमाल क्यों नहीं किया गया? NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘आधुनिक हाइड्रोलिक लैडर को तकरीबन 9 महीने पहले 18 मंजिल तक ऊंची इमारतों में आग बुझाने में मदद के लिए साढ़े 5 करोड़ की लागत से खरीदा गया था
NDTV ने सूत्रों के हवाले से बताया कि, क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय से मंजूरी नहीं मिलने और योग्य कर्मियों की कमी के कारण यह भोपाल में हालिया सालों में लगी सबसे बड़ी आग से लड़ने में कोई भूमिका नहीं निभा सकी. उधर, मध्यप्रदेश के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कहा, ‘हाइड्रोलिक मशीन के अंदर जाने के लिए जगह नहीं थी. रास्ता रोकते हुए वहां पार्किंग बना दी गई है. आज सुबह ही सीएम शिवराज ने बड़े भवनों (अग्निशमन वाहनों के प्रवेश के लिए) में पर्याप्त जगह सुनिश्चित करने की व्यवस्था करने का आदेश दिया है.’
मध्यप्रदेश कांग्रेस ने सतपुड़ा भवन में लगी भीषण आग के पीछे ‘भ्रष्टाचार’ और ‘गड़बड़ी’ का आरोप लगाया. हालांकि सरकार ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है. सतपुड़ा भवन में लगी आग से हजारों फाइलों और फर्नीचर खाक बन गए. प्रदेश की भाजपा सरकार ने आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि विपक्ष द्वारा लगाए गए आरोप में कोई दम नहीं है, क्योंकि सोमवार को आग लगने के समय लगभग चार हजार कर्मचारी इमारत में मौजूद थे. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा, ‘यह भ्रष्टाचार का एक और उदाहरण है. सवाल यह है कि आग लगी थी या लगाई गई थी? अब तक कहा जा रहा है कि 12 हजार फाइलें जल गईं. न जाने कितनी हजारों फाइलें जल चुकी हैं. इसका लक्ष्य क्या था? उद्देश्य क्या था? यह एक बड़ा भ्रष्टाचार का मामला है.’
कमलनाथ ने एक स्वतंत्र एजेंसी से इसकी जांच कराने की मांग की. उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारी ऐसी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार नहीं थे. उन्होंने कहा, ‘उनकी तैयारी केवल पैसा बनाने के लिए है.’ कांग्रेस के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा, ‘कांग्रेस मदद में शामिल नहीं होती है, लेकिन इसमें में भी अवसर तलाश रही है. कार्यालय में करीब चार हजार कर्मचारी थे. अब इसमें कैसे आग लग जाएगी, कौन मिट्टी का तेल और पेट्रोल अंदर ले जाएगा? मुझे उनकी (कांग्रेस नेता) बुद्धि पर तरस आता है.’
मंत्री ने कहा कि नष्ट की गई फाइलों को फिर से बनाया जाएगा, क्योंकि डेटा विभिन्न स्थानों पर इलेक्ट्रॉनिक रूप में उपलब्ध हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि इसमें समय और मेहनत लगेगी, लेकिन सभी फाइलें बन जाएंगी. उन्होंने कहा कि एक उच्च स्तरीय समिति आग की घटना की जांच करेगी और तीन दिनों में अपनी रिपोर्ट देगी. मिश्रा ने कहा कि प्रथम दृष्टया एयर कंडीशनिंग यूनिट में शॉर्ट-सर्किट से आग लगी है. गृह मंत्री ने कहा कि अग्नि प्रभावित कार्यालय के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है.