कानपुर में 14 बच्चों को संक्रमित खून चढ़ाने के मामले पर जमकर हो रही राजनीती, कांग्रेस और सपा ने भाजपा पर साथा निशाना

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नई दिल्ली, 25अक्टूबर। उत्तर प्रदेश स्थित कानपुर के एक अस्पताल में 14 बच्चों को HIV संक्रमित खून चढ़ाने के मामले पर सियासत तेज हो गई है. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अब इस मामले में योगी सरकार को घेरा है.अखिलेश यादव ने बिना नाम लिए डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक पर भी सवाल उठाएं हैं.

जाने क्या है पूरा मामला?
कानपुर के लाला लाजपत राय अस्पताल में 14 बच्चों को HIV संक्रमित खून चढ़ा दिया गया. जिसके बाद जांच में पता चला कि इन बच्चों में हेपेटाइटिस बी, सी और एचआईवी एड्स का संक्रमण फैल गया है. डॉक्टर्स ने कहा कि ये खून रक्त दान के तहत लिया गया था. संक्रमित बच्चों में से सात में हेपेटाइटिस बी, पांच में हेपेटाइटिस सी और दो बच्चों में एचआईवी की पुष्टि की गई है. ये बच्चे उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात, फर्रुखाबाद, इटावा, औरैया और कन्नौज सहित अलग-अलग जिलों के रहने वाले हैं.

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखते हुए भाजपा सरकार पर निशाना साधा और लिखा कि “उप्र में संक्रमित खून चढ़ाने से 14 बच्चों को HIV और हेपेटाइटिस का संक्रमण होना बेहद गंभीर बात है. इस लापरवाही की तत्काल जांच हो और इस तरह की लापरवाही पर सख्त से सख्त सजा दी जाए. साथ ही उत्तरप्रदेश में चिकित्सा व्यवस्था देखने वाला कोई नहीं है.”

मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी घेरा यूपी सरकार को
कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने यूपी की स्वास्थ्य सेवाओं पर निशाना साधा है साथ ही उन्होंने X पर पोस्ट लिखते हुए भाजपा सरकार को घेरा और कहा कि “डबल इंजन की सरकार ने हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था को डबल बीमार कर दिया है.

इस मामले को लेकर उत्तरप्रदेश के डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की जा रही है. सरकार पूरी संवेदनशीलता के साथ बच्चों और उनके परिजनों के साथ है. निजी लैब से खून चढ़ाने की बात शुरुआती जांच में सामने आई है. बाकी विस्तृत रिपोर्ट सामने आने के बाद आगे की कार्रवाई करेंगे.

इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिल्कार्जुन खड़गे के बयान पर कहा कि उनसे निवेदन है कि ऐसे गंभीर मामलों पर राजनीतिक रोटियां न सेकें.

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