केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने लोक सभा में जम्मू और कश्मीर आरक्षण विधेयक, 2023 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक, 2023 पर चर्चा का जवाब दिया और यह बिल हुए पारित

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नई दिल्ली, 7 दिसंबर। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने लोक सभा में जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 पर चर्चा का जवाब दिया।चर्चा के बाद लोक सभा ने जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 तथा जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 को ध्वनि मत से पारित कर दिया।

लोक सभा में अमित शाह ने कहा कि कुल 29 वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए लेकिन बिल के उद्देश्यों के साथ सभी ने सहमति जताई। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में लाए गए सैकड़ों प्रगतिशील परिवर्तनों की कड़ी में ये विधेयक एक और मोती जोड़ने का काम करेंगे। अमित शाह ने कहा कि 70 सालों से जिन लोगों के साथ अन्याय हुआ, जो अपमानित हुए और जिनकी अनदेखी हुई, ये विधेयक उन्हें अधिकार और न्याय दिलाने वाले हैं। जो लोग इन्हें वोट बैंक के रूप में उपयोग कर, अच्छे भाषण देकर राजनीति में वोट हासिल करने का ज़रिया समझते हैं वे इसके नाम के बारे में नहीं समझ सकते। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक ऐसे नेता हैं जो स्वयं गरीब घर में जन्म लेकर आज देश के प्रधानमंत्री बने हैं औऱ वे पिछड़ों औऱ गरीबों का दर्द जानते हैं। जब ऐसे लोगों को आगे बढ़ाने की बात होती है, तब मदद से ज़्यादा सम्मान के मायने होते हैं।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि जम्मू और कश्मीर में 1980 के दशक के बाद आतंकवाद का दौर आया और जो लोग पीढ़ियों से वहां रहते थे, वे समूल वहां से विस्थापित हो गए लेकिन किसी ने उनकी परवाह नहीं की। उन्होंने कहा कि जिनकी ज़िम्मेदारी ये सब रोकने की थी, वे इंग्लैंड में छुट्टियां मना रहे होते थे। अगर उन लोगों ने वोट बैंक की राजनीति के बिना और सख्ती के साथ सटीक उपाय कर आतंकवाद को शुरूआत में ही खत्म कर दिया होता तो आज इस बिल को लाने की ज़रूरत ही नहीं होती। अमित शाह ने कहा कि विस्थापितों को अपने ही देश के अन्य हिस्सों में शरणार्थी बनकर रहना पड़ा और वर्तमान आंकड़ों के अनुसार लगभग 46,631 परिवारों के 1,57,967 लोग अपने ही देश में विस्थापित हो गए। उन्होंने कहा कि ये विधेयक उन्हें अधिकार औऱ प्रतिनिधित्व देने वाला बिल है।

अमित शाह ने कहा कि 1947 में 31,779 परिवार पाक-अधिकृत कश्मीर से जम्मू और कश्मीर में विस्थापित हुए और इनमें से 26,319 परिवार जम्मू और कश्मीर में और 5,460 परिवार देशभर के अन्य हिस्सों में रहने लगे। उन्होंने कहा कि 1965 और 1971 में हुए युद्धों के बाद 10,065 परिवार विस्थापित हुए और कुल मिलाकर 41,844 परिवार विस्थापित हुए। उन्होंने कहा कि 5-6 अगस्त, 2019 को प्रधानमंत्री मोदी ने इन विस्थापितों की दशकों से ना सुनाई देने वाली आवाज़ को सुना और इन्हें अधिकार दिए। अमित शाह ने कहा कि न्यायिक डिलिमिटेशन 5 और 6 अगस्त, 2019 को पारित बिल का ही हिस्सा था। उन्होंने कहा कि डिलिमिटेशन कमीशन, डिलिमिटेशन और डिमार्केटेड असेंबली लोकतंत्र का मूल और जनप्रतिनिधि को चुनने की इकाई तय करने की प्रक्रिया है। अगर डिलिमिटेशन की प्रक्रिया ही पवित्र नहीं है, तो लोकतंत्र कभी पवित्र नहीं रह सकता इसीलिए इस बिल में प्रावधान किया गया है कि न्यायिक डिलिमिटेशन फिर से किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विस्थापितों के सभी समूहों ने डिलिमिटेशन कमीशन से कहा कि उनके प्रतिनिधित्व के बारे में संज्ञान लिया जाए और ये हर्ष का विषय है कि कमीशन ने प्रावधान किया है कि 2 सीटें कश्मीरी विस्थापितों और 1 सीट पाक-अधिकृत कश्मीर से विस्थापित लोगों के लिए नामांकित की जाए। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने इस व्यवस्था को कानूनी जामा पहनाया है।

गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि घाटी में जब आतंकवाद शुरू हुआ, लोगों को निशाना बनाकर वहां से भगाने की शुरुआत हुई, उस समय से लेकर अब तक घड़ियाली आंसू बहाने वाले तो अब देखे, लेकिन अगर किसी व्यक्ति ने सही मायने में लोगों के आंसू पोंछने का काम किया तो वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। उन्होंने कहा कि हम उन लोगों की पीड़ा की कल्पना नहीं कर सकते, जो अपनी जान बचाने की खातिर कश्मीर में अपनी करोड़ों रुपए की प्रॉपर्टी छोड़कर बेंगलुरु, अहमदाबाद जम्मू या दिल्ली जैसे शहरों में जाकर कैंप में रहे हैं। जब उन लोगों ने कश्मीर से पलायन किया तो वहां उनकी संपत्ति पर कब्जा कर लिया गया और फिर औने—पौने दाम में उन्हें अपनी जमीन बेचने को विवश किया गया, एक प्रकार से उनकी संपत्ति छीन ली गई और प्रशासन चुपचाप बैठा रहा, उसने कोई कदम नहीं उठाया।

अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने इस मामले में न्याय दिलाने के लिए नया कानून बनाया और इसे Retrospective Effect यानी पिछली तारीख से लागू कर उन्हें उनकी संपत्ति वापस देने का काम किया। अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने लगभग 1.6 लाख लोगों को अधिवास प्रमाण—पत्र देने का काम किया है। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद प्रति व्यक्ति 3250 रुपये और प्रति परिवार अधिकतम 13 हजार रुपये की नगद सहायता राशि दी जाती है। उन्होंने कहा कि हर महीने प्रति व्यक्ति नौ किलो चावल, दो किलो आटा और एक किलो चीनी देने का काम हमारी सरकार कर रही है। गृह मंत्री ने कहा कि पाक अधिकृत कश्मीर से आए लोगों को एकमुश्त साढ़े पांच लाख रुपये देने का काम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने किया है। पिछले कुछ सालों में कोई काम नहीं होने के दावे करने वालों से गृह मंत्री ने कहा कि जड़ से कटे लोगों को इस बदलाव का पता कैसे लगेगा। उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि इंग्लैंड में छुट्टियां मनाकर जम्मू—कश्मीर के बदलाव का अनुभव नहीं किया जा सकता।

अमित शाह ने कहा कि आम सभाओं में बैकवर्ड क्लास, बैकवर्ड क्लास बोलने वाले विपक्ष के नेताओं को जनता के सामने बताना चाहिए कि किसने काका कालेलकर कमीशन की रिपोर्ट को रोक कर रखा। मंडल कमीशन की रिपोर्ट आने के बाद जब तक वे सत्ता के बाहर नहीं गए, तब तक वह लागू नहीं हुआ और बाद में लागू हुआ भी तो विपक्ष के नेता ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि विपक्ष ने सेन्ट्रल एडमिशन स्कीम के तहत बैकवर्ड क्लास को रिजर्वेशन देने का काम कभी नहीं किया। यह काम सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में हुआ और अब सैनिक स्कूलों, नीट और केंद्रीय विद्यालयों में पिछड़ा वर्ग के बच्चों को को सम्मान के साथ पढ़ने का अवसर दिया गया है। अमित शाह ने कहा कि अब तक EWS यानी आर्थिक तौर पर पिछड़े वर्ग के लोगों को आरक्षण देने की बात कभी नहीं सोची गई। पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनारक्षित जातियों के गरीब बच्चों को 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया। गृह एवं सहकारिता मंत्री ने विपक्ष की ओर से उठाए गए कुछ कानूनी और संवैधानिक मुद्दे को लेकर भी विस्तार से जवाब दिया।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि कई सदस्यों ने जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद की चिंता करते हुए इसे सीधा धारा 370 को समाप्त करने से जोड़ दिया। अमित शाह ने कहा उन्होंने पहले कहा था कि आतंकवाद के मूल में धारा 370 के कारण खड़ी हुई अलगाववाद की भावना है और धारा 370 जाने से अलगाववाद में बहुत बड़ी कमी आएगी और इसके कारण आतंकवादी भावनाओं में कमी आएगी। उन्होंने कहा कि 1994 से 2004 के बीच कुल 40,164 आतंकवाद की घटनाएं हुईं, 2004 से 2014 के बीच ये घटनाएं 7,217 हुईं और नरेन्द्र मोदी सरकार के 9 सालों में 70 प्रतिशत की कमी के साथ ये घटनाएं सिर्फ 2,197 रह गईं।अमित शाह ने कहा कि इन घटनाओं में से 65 प्रतिशत पुलिस कार्यवाही के कारण घटित हुईं। उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार के 9 सालों में नागरिकों की मृत्यु की संख्या में 72 प्रतिशत और सुरक्षाबलों की मृत्यु की संख्या में 59 प्रतिशत की कमी आई है। अमित शाह ने कहा कि 2010 में जम्मू और कश्मीर में 2,654 पथराव की घटनाएं हुई थीं जबकि 2023 में एक भी पथराव की घटना नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि 2010 में 132 ऑर्गेनाइज़्ड हड़तालें हुई थीं, जबकि 2023 में एक भी नहीं हुई। 2010 में पथराव में 112 नागरिकों की मत्यु हुई थी जबकि 2023 में एक भी नहीं हुई। 2010 में पथराव में 6,235 सुरक्षाबलकर्मी घायल हुए थे, 2023 में एक भी नहीं हुआ। गृह मंत्री ने कहा कि इसी सदन में सारी मर्यादाएं तोड़कर जो लोग कहते थे कि धारा 370 खत्म होने से रक्तपात होगा, लेकिन नरेन्द्र मोदी सरकार ने इस प्रकार की व्यवस्था की है कि किसी की एक कंकड़ फेंकने की भी हिम्मत नहीं हुई। उन्होंने कहा कि 2010 में सीज़फायर उल्लंघन की 70 घटनाएं हुईं थी, 2023 में सिर्फ 2 घटनाएं हुईं। 2010 में घुसपैठ की 489 घटनाएं हुईं, 2023 में सिर्फ 48 घटनाएं हुईं।

गृह मंत्री ने कहा कि पूरे देश में सिर्फ गरीब व्यक्तियों के लिए 5 लाख रुपए तक के इलाज का पूरा खर्च सरकार उठाती है, लेकिन जम्मू—कश्मीर में सभी व्यक्तियों का 5 लाख का तक के इलाज का पूरा खर्च सरकार उठा रही है। उन्होंने कहा कि हमने बहुत संवेदनशीलता के साथ जम्मू—कश्मीर को संभाला है। मौजूदा सरकार के कार्यकाल के पहले पर्यटकों का अंतिम उपलब्ध आंकड़ा करीब 14 लाख था, जबकि अब वर्ष 2022-23 में 2 करोड़ पर्यटक जम्मू—कश्मीर पहुंचे और जून 2023 तक एक करोड़ का आंकड़ा पहुंच चुका है। उन्होंने विश्वास जताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में 2 करोड़ पर्यटकों के पहुंचने का रिकॉर्ड इस दिसंबर में टूटेगा। अमित शाह ने कहा कि जम्मू—कश्मीर एक ऐसा गंतव्य स्थान बना है जिसका वातावरण और प्रकृति वैश्विक एवं आधुनिक नजरिए वाला है। राज्य में होम स्टे नीति की बनी है, फिल्म की नीति बनी है, हाउस बोट के लिए भी एक पॉलिसी बनाने का काम किया गया है, जम्मू रोपवे परियोजना 75 करोड़ रुपए खर्च कर पूरा कर ली गई है और इंडस्ट्रियल पॉलिसी भी पूरी कर ली गई है।

अमित शाह ने कहा कि हम जो बिल लेकर आए हैं, वह ऐसे लोगों को अधिकार देने का बिल है जो सालों से वंचित थे, अधिकारों से वंचित थे, जो अपना देश अपना प्रदेश अपना घर अपनी भूमि अपनी जायदाद छूटने से अपने ही देश में निराश्रित हो गए। उन्होंने कहा कि यह पिछड़ा वर्ग के लोगों को संवैधानिक शब्द अन्य पिछड़ा वर्ग से सम्मानित करने का बिल है। गृह मंत्री ने सदन से निवेदन किया कि वह बिल पारित कराने में सहयोग करें, इस बिल का उद्देश्य बहुत पवित्र है।

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