उपराष्ट्रपति ने विधानमंडलों की बैठकें और अधिक तथा लम्बी अवधि के लिए बुलाने का आह्वान किया

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राज्य विधानसभाओं तथा संसद को नए भारत का आकार देने का प्रभावी साधन बनना चाहिए : उपराष्ट्रपति

कानून बनाने वाली संस्थाओं में महिलाओं की अधिक भागीदारी की आवश्यकता : उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति ने अत्यधिक अनुशासन, परिश्रम और शिष्टाचार के साथ सत्रों को चलाने के लिए मिजोरम विधानसभा की प्रशंसा की

हमारा लोकतंत्र विश्व के सबसे पुराने लोकतंत्रों में एक है और विश्व में सबसे बड़ा लोकतंत्र है, हमें इसे और अधिक अच्छा बनाना चाहिए : उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति ने संवाद की शक्ति तथा विवादों के शांतिपूर्ण समाधान दिखाने के लिए मिजो-शांति समझौता की सराहना की
उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने पूर्वोत्तर राज्यों के विधानमंडलों सहित सभी राज्यों के विधानमंडलों की बैठकें अधिक से अधिक तथा लम्बी अवधि के लिए बुलाने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि कानून बनाने के लिए पर्याप्त समय मिले, बड़े सार्वजनिक हित के विषयों पर चर्चा की जा सके और कार्यपालिका का दायित्व सुनिश्चित किया जा सके।

मिजोरम विधानसभा के सदस्यों को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने सुझाव दिया कि उचित अवधि के लिए विधानसभा सत्र की योजना बनाई जानी चाहिए ताकि विचार-विमर्श, चर्चा और बहस तथा अंतिम निर्णय लेने के लिए पर्याप्त समय मिल सके। उन्होंने कहा कि विधानमंडलों की और अधिक बैठकें होनी चाहिए और प्रत्येक सत्र में सार्थक बहस होनी चाहिए।

स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने पर आजादी का अमृत महोत्सव समारोहों की चर्चा करते हुए श्री नायडू कहा कि अपने देश की महान लोकतांत्रिक परंपरा को मजबूत बनाने के लिए हमें महान संकल्प लेना चाहिए। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि राज्य विधानसभाएं तथा संसद नए भारत को आकार देने के लिए प्रभावी औजार बन सकें। हम सभी यह सपना देख रहे हैं। हमारा लोकतंत्र विश्व के सबसे पुराने लोकतंत्रों में एक है और विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। हमें इसे और अच्छा बनाना चाहिए।

श्री नायडू ने कुछ विधानमंडलों में हाल की घटनाओं पर चिंता व्यक्त की और कहा कि संवैधानिक पदों का हमेशा सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विधायकों को सार्थक बहस करनी चाहिए और सदन की कार्यवाही में व्यवधान नहीं डालना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा कि जन आकांक्षा को सुना जाना चाहिए और उनका सम्मान किया जाना चाहिए।

संसद तथा पूर्वोत्तर राज्यों सहित देश के विधानमंडलों में महिलाओं के उचित प्रतिनिधित्व के विषय में उपराष्ट्रपति ने कहा कि कानून बनाने के कार्य में अधिक महिला सदस्यों को शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा यद्यपि मिजोरम तथा नगालैंड की विधानसभाओं में कोई महिला सदस्य नहीं हैं, लेकिन मणिपुर और त्रिपुरा विधासभाओं में क्रमशः दो और पांच महिला सदस्य हैं। क्षेत्र की 8 विधानसभाओं के कुल 498 सदस्यों में से केवल 20 महिला सदस्य हैं। यह केवल 4 प्रतिशत है। संसद में भी केवल 11 प्रतिशत महिला सदस्य हैं।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को हमारी विकास रणनीति में महिलाओं की पूर्ण भागीदारी को मान्यता देने का अवसर बताते हुए उन्होंने कहा कि जीवन के सभी क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी से विकास की गति तेज होगी और विकास की प्रक्रिया अधिक समावेशी होगी।

मिजोरम विधानसभा के सदस्यों को मई में मनाए जाने वाले स्वर्ण जयंती समारोह की बधाई देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में विकास का 75 वर्ष मना रहा है। उन्होंने कहा कि मिजोरम विधानसभा की स्वर्ण जयंती समारोह तथा देश का आजादी का अमृत महोत्सव दोनों भारत की लोकतांत्रिक यात्रा की प्रगति के समारोह हैं।

उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि पिछले पांच दशकों में शांतिपूर्ण निर्वाचन प्रक्रिया, विधानसभा में विधायकों का सम्मानजनक आचरण तथा सतत समावेशी विकास से मिजोरम ने देश के लोकतांत्रिक जड़ों को गहरा बनाया है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह प्रसन्नता की बात है कि सर्वाधिक अनुशासन, परिश्रम और शिष्टाचार के साथ सदन का सत्र संचालित किया जाता है। उन्होंने विधायकों से कहा-“ आपने वास्तव में जनता द्वारा अपने प्रतिनिधि के रूप में व्यक्त विश्वास, आशा और आकांक्षाओं को ऊपर रखा है। आप सभी को मैं उच्च मानक स्थापित करने के लिए बधाई देता हूं जिसका अनुसरण राज्य विधानमंडलों और संसद भी कर सकती है।”

भारत सरकार, मिजोरम सरकार तथा मिजो नेशनल फ्रंट के बीच 1986 में हुए ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर की चर्चा करते हुए श्री नायडू ने कहा कि मिजोरम ने संवाद की शक्ति तथा विवादों के शांतिपूर्ण समाधान का रास्ता दिखाया है जो लोकतंत्र में आवश्यक है। इस ऐतिहासिक समझौते ने दो दशक पुरानी अशांति और संघर्ष को समाप्त किया और शांति तथा प्रगति प्रारंभ हुई।

उन्होंने कहा कि शांति समझौता एक उदाहरण है जिसके आधार पर पूर्वोत्तर क्षेत्र के अन्य हिस्सों में इसी तरह के शांति समझौते वास्तविकता में बदले हैं।

देश में सर्वाधिक शांतिपूर्ण राज्यों में एक गिने जाने तथा गंभीरता के साथ विकास यात्रा पर चलने के लिए मिजोरम की प्रशंसा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारे संविधान निर्माताओं ने अंतिम रूप से इस सपने को देखा था। संविधान निर्माता लोगों की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं के प्रति जवाबदेह शासन संचालन और शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक बातचीत के माध्यम से मतभेदों का समाधान चाहते थे।

ताजा सतत विकास लक्ष्य-एसडीजी भारत सूचकांक 2021 में 2019-20 के 21वें स्थान से 12वें स्थान पर पहुंचने के लिए मिजोरम की प्रशंसा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि राज्य सरकार कृषि तथा बागबानी, फूलों की खेती के अतिरिक्त आधारभूत विकास पर फोकस कर रही है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी अकसर पूर्वोत्तर क्षेत्र की शक्ति और संभावनाओं तथा अपार क्षमता की चर्चा करते हैं। उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत सरकार की एक्ट ईस्ट नीति के अंतर्गत मिजोरम केंद्रीय स्थान प्राप्त करने के लिए तैयार और यह राज्य दक्षिण पूर्ण एशिया की अर्थव्यवस्थाओं तथा देश के महत्वपूर्ण द्वार के रूप में सेवा प्रदान करेगा।

इस अवसर पर मिजोरम के राज्यपाल डॉ. हरि बाबू कम्भमपति, मुख्यमंत्री श्री जोरामथंग, विधानसभा अध्यक्ष श्री लालरिनलियाना सैलो, उपमुख्यमंत्री, विधायक, आयुक्त तथा विधानसभा के सचिव उपस्थित थे।

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