जनजातीय शिल्प, संस्कृति, व्यंजन और वाणिज्य की भावना का उत्सव- आदि बाजार- का भोपाल के भोपाल हाट में उद्घाटन
सालभर चलने वाले आजादी का अमृत महोत्सव के उत्सव को जारी रखते हुए और कोविड-19 महामारी की तीसरी लहर का प्रभाव कम होने व वापस सामान्य स्थिति में लौटने का लाभ उठाते हुए जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ लिमिटेड (ट्राइफेड), जनजातीय कार्य मंत्रालय ने जनजातीय कला और शिल्प की प्रदर्शनी को “आदि बाजार” के रूप में पुनर्जीवित किया है।
आदि बाजार, जैविक जनजातीय उत्पादों और दस्तकारी के सामानों की एक जीवंत प्रदर्शनी है जिसका वर्चुअल माध्यम से ट्राइफेड के अध्यक्ष श्री रामसिंह राठवा ने 21 मार्च 2022 को ट्राइफेड के उपाध्यक्ष श्री पवित्र कुमार कनहर व ट्राइफेड की प्रबंध निदेशक श्रीमती आर जया और ट्राइफेड के अन्य वरिष्ठ अधिकारी की उपस्थिति में उद्घाटन किया। यह प्रदर्शनी 10 दिनों तक भोपाल के भोपाल हाट में 21 मार्च से 30 मार्च 2022 तक चलेगी। इसमें देश के 15 राज्यों का प्रतिनिधित्व करने वाले 70 से अधिक स्टॉल होंगे।
ये आदि बाजार वंचित जनजातीय लोगों की आजीविका में सुधार के लिए ट्राइफेड के संगठित प्रयासों का एक हिस्सा हैं, जो पिछले दो वर्षों में सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। वर्चुअल उद्घाटन समारोह के दौरान ट्राइफेड के अध्यक्ष श्री रामसिंह राठवा ने कहा कि मुझे खुशी है कि ट्राइफेड ने भारत के जनजातीय लोगों की आजीविका को बढ़ाने के लिए यह पहल की है। इस तरह के बाजार देशभर से जनजातीय संस्कृति को व्यापक स्तर पर दर्शकों तक पहुंचाने में भी मदद करेंगे।
आने वाले दिनों में एकता नगर, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, गुजरात, बीच रोड, पुडुचेरी और ओडिशा के राउरकेला में इसी तरह के आदि बाजारों का आयोजन करने की योजना है। उद्घाटन के अवसर पर श्री पवित्र कुमार कनहर ने कहा कि मुझे यह देखकर खुशी हो रही है कि इस तरह की प्रदर्शनी देश की पारंपरिक कला एवं हस्तशिल्प और सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने में मदद करेगी और भारत की जनजातियों की विविधता एवं समृद्धता पर ध्यान केंद्रित करेगी। जनजातीय कारीगरों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए ट्राइफेड के प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करते हुए ट्राइफेड की प्रबंध निदेशक श्रीमती आर जया ने कहा कि आदि बाजार जैसी प्रदर्शनियां जनजातीय आबादी के सामाजिक आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ये प्रदर्शनियां जनजातीय कारीगरों को बड़े, अछूते बाजारों से जोड़ने में मदद करेंगी।
जनजातीय जीवन के मूल लोकाचार का प्रतिनिधित्व करते हुए, 10 दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में देश के 15 राज्यों के जनजातीय हस्तशिल्प, कला, पेटिंग, कपड़े, आभूषणों की प्रदर्शनी-सह-बिक्री होती है।
आदि बाजारों में, ट्राइब्स इंडिया और जनजातीय कारीगरों द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले उत्पाद का आगंतुक सबसे अच्छा सैंपल ले सकते हैं- मध्य प्रदेश की प्रसिद्ध माहेश्वरी साड़ियों से लेकर लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के गर्म ऊनी कपड़ों तक, तमिलनाडु के जनजातीय लोगों द्वारा खरीदी गई प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाली विभिन्न जड़ी-बूटियां और मसालें, उत्तर-पूर्वी भारत के विशेष शहद और जैविक उत्पाद; प्रतिष्ठित टोडा कढ़ाई से लेकर असम के मोगा रेशम और नागालैंड की काली मिट्टी के बर्तनों तक।
ट्राइफेड, जनजातीय लोगों के सशक्तिकरण की दिशा में काम करने वाली नोडल एजेंसी के रूप में विभिन्न पहल कर रहा है जो जनजातीय लोगों की आय और आजाविका में सुधार करने में मदद करती है वहीं उनके जीवन और परंपरा के तरीके को संरक्षित करती है। आदि बाजार एक ऐसी पहल है जो इन समुदायों के आर्थिक कल्याण को सक्षम बनाने और उन्हें मुख्यधारा के विकास से जोड़ने में मदद करती है।