दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में 13 भारत के, दिल्ली सबसे ऊपर

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नई दिल्ली,11 मार्च।भारत में वायु प्रदूषण की स्थिति लगातार गंभीर होती जा रही है। हाल ही में जारी एक वैश्विक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से 13 भारत के हैं। यह रिपोर्ट वायु गुणवत्ता पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय एजेंसी IQAir द्वारा जारी की गई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बन गया है।

भारत के शहरों की खतरनाक स्थिति

रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 13 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) बेहद खतरनाक स्तर पर है। दिल्ली के अलावा नोएडा, गाजियाबाद, लखनऊ, पटना, कानपुर, वाराणसी, आगरा, फरीदाबाद, जयपुर, मेरठ, जोधपुर और लुधियाना इस लिस्ट में शामिल हैं।

दिल्ली सबसे प्रदूषित शहर

दिल्ली ने एक बार फिर सबसे प्रदूषित शहर का तमगा हासिल किया है। दिल्ली का औसत AQI स्तर 350 से 400 के बीच दर्ज किया गया है, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। दिल्ली में बढ़ते वाहन, निर्माण कार्य, पराली जलाना और औद्योगिक उत्सर्जन इसके मुख्य कारण माने जा रहे हैं।

भारत के अन्य शहरों की स्थिति

  • गाजियाबाद – AQI स्तर 340
  • नोएडा – AQI स्तर 330
  • पटना – AQI स्तर 320
  • लखनऊ – AQI स्तर 310
  • कानपुर – AQI स्तर 305

इन शहरों में वायु प्रदूषण के कारण लोगों को सांस लेने में दिक्कतें, आंखों में जलन और अन्य श्वसन संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

प्रदूषण के मुख्य कारण

विशेषज्ञों के अनुसार भारत में बढ़ते वायु प्रदूषण के पीछे कई प्रमुख कारण हैं:
✅ पराली जलाना
✅ वाहन और औद्योगिक उत्सर्जन
✅ निर्माण कार्यों से निकलने वाली धूल
✅ ठंड के मौसम में हवा की कम गति
✅ कोयला और अन्य जीवाश्म ईंधनों का उपयोग

सरकार के प्रयास

सरकार ने वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे:

  • ग्रीन क्रैकर्स का उपयोग बढ़ावा देना
  • पराली जलाने पर प्रतिबंध
  • पब्लिक ट्रांसपोर्ट को मजबूत करना
  • निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण उपाय
  • वाहनों पर सख्ती

विशेषज्ञों की राय

पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि अगर प्रदूषण पर काबू नहीं पाया गया तो आने वाले वर्षों में स्थिति और भी खराब हो सकती है। विशेषज्ञों ने सरकार से सख्त कानून लागू करने और लोगों को जागरूक करने की अपील की है।

निष्कर्ष

भारत के 13 शहरों का दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट में शामिल होना एक गंभीर चिंता का विषय है। अगर सरकार और जनता ने मिलकर तुरंत ठोस कदम नहीं उठाए तो आने वाले समय में देश को स्वास्थ्य और पर्यावरण से जुड़ी बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

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