‘कुरंगु पेडल’ साइकिल के साथ एक पीढ़ी के भावनात्मक जुड़ाव को दिखाती है

'कुरंगु पेडल' बचपन की मासूमियत और पिता-पुत्र के रिश्ते की भावनाओं तो दर्शाती है: कमलाकन्नन, निर्देशक

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‘कुरंगु पेडल’ साइकिल चलाना सीखने में एक बच्चे की रुचि को दर्शाती है जबकि उसके पिता को साइकिल चलानी नहीं आती है। फिल्म के निर्देशक कमलाकन्नन ने बताया कि, “ये कहानी मेरे दिमाग में घूमती रही क्योंकि साइकिल मेरे बचपन की सबसे ज्यादा आकर्षण वाली चीजों में से एक थी। साइकिल चलाना सीखने से एक आत्मविश्वास मिलता है, इसी ने मुझे ये फिल्म बनाने के लिए प्रेरित किया।”

गोवा में 53वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के दौरान पीआईबी द्वारा आयोजित किए जा रहे ‘टेबल टॉक्स’ सत्रों में से एक में मीडिया और इस महोत्सव के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करते हुए कमलाकन्नन ने कहा कि ‘कुरंगु पेडल’ साइकिल के साथ एक पीढ़ी के भावनात्मक जुड़ाव को दर्शाती है।

 

जब पूछा गया कि साइकिल के बारे में फिल्म बनाने में उनकी रुचि कैसे हुई तो कमलाकन्नन ने कहा, “साइकिल हमारे बचपन की याद दिलाती है और इस फिल्म के माध्यम से दर्शकों को भी उनके बचपन की याद दिलाई जाती है।” उन्होंने कहा कि बाल कलाकारों की मासूमियत जब उनकी चंचलता, दोस्ती के बंधन और भावनाओं के साथ प्रस्तुत होती है तो ये दर्शकों को उनके नॉस्टेलजिया से भर जाती है।

जब बड़े बजट की फिल्मों से उनकी इस फिल्म को मिलने वाली प्रतिस्पर्धा के बारे में पूछा गया तो निर्देशक ने कहा कि बड़े पैमाने पर दर्शकों तक पहुंचने के लिए जो चीज जरूरी है वो है फिल्म की कहानी, कसी हुई पटकथा और कलाकारों के प्रदर्शन।

फिल्म में अपने अनुभव के बारे में बोलते हुए अभिनेता काली वेंकट ने माना कि तमिल में 90 से अधिक फिल्मों में अभिनय करने के बावजूद उन्होंने इस फिल्म में डेब्यू करने वाले बाल कलाकारों से बहुत कुछ सीखा। इसी में अपनी बात जोड़ते हुए फिल्म की कहानी लिखने वाले रासी अलगप्पन ने प्रसन्नता व्यक्त की कि निर्देशक ने कहानी में भावनाओं को ईमानदारी से कैद करते हुए इसे खूबसूरती से पर्दे पर उतारा है।

रासी अलगप्पन की लघु कहानी साइकिल पर आधारित ये फिल्म अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता श्रेणी में 53वें इफ्फी के स्वर्ण मयूर पुरस्कार और यूनिसेफ – आईसीएफटी गांधी मेडल की दावेदार है। विज़ुअल तौर पर रमणीय और नॉस्टेलजिया से भरी इस फिल्म का संगीत गिब्रान द्वारा तैयार किया गया है, जिसमें बाल कलाकार संतोष “मारी” की मुख्य भूमिका निभा रहे हैं और अभिनेता काली वेंकट उनके पिता “कंडासामी” की भूमिका निभा रहे हैं।

फिल्म के बारे में –

निर्देशक: कमलाकन्नन एस

निर्माता: #मोंटाज, यूवीडब्ल्यू बिज़नेस प्रा. लि.

पटकथा: प्रभाकर, कमलाकन्नन

सिनेमैटोग्राफर: सुमी भास्करन

एडिटर: शिवनंदीश्वरन

कलाकार: काली वेंकट, संतोष, राघवन, ज्ञानसेकर, रतीश, ए.ई. साईं गणेश

2022 | तमिल | रंगीन | 119 मिनट

 

सारांश:

1980 के दशक में स्थित ये फिल्म, बाल सूत्रधार मरियप्पन (मारी) और साइकिल चलाना सीखने की उसकी खोज के बारे में है। गांव में पहली किराए पर साइकिल की दुकान खुली है। जब किराए पर साइकिल लेने के लिए पैसे देने से मारी को मना कर दिया जाता है तो वो चोरी-छिपे अपनी लाड जताने वाली मां से किराए पर साइकिल लेने के लिए पैसे लेता है और अब उसके साइकिलिंग सीखने के सत्रों में दिलचस्प घटनाएं घटती हैं और अजनबियों के साथ मुलाकातें होती हैं।

निर्देशक: कमलाकन्नन एस तमिल फिल्म उद्योग में फिल्म निर्देशक और निर्माता हैं। उनके निर्देशन की पहली फिल्म मधुबानकडई (2012) थी, उसके बाद वट्टम और कुरंगु पेडल (2022) आईं।

निर्माता: मोंटाज एक फिल्म प्रोडक्शन कंपनी है जो फीचर फिल्मों के प्रोडक्शन डिजाइन, विज्ञापन, बजट और रिलीज के कार्यों से जुड़ी है। इस कंपनी ने मधुबानकडई (2012), कादल कान कट्टूथे (2017) और कुरंगु पेडल (2022) का निर्माण किया है।

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