वर्षांत समीक्षा-2022: सीएसआईआर (विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय)
सीएसआईआर ने देहरादून से दिल्ली के लिए जैव ईंधन से संचालित पहली उड़ान को हरी झंडी दिखाते हुए भारत की पहली जैव ईंधन-संचालित उड़ान की सुविधा प्रदान की। जैव-विमानन ईंधन का उत्पादन सीएसआईआर-आईआईपी द्वारा जेट्रोफा ईधन से स्वदेशी रूप से तैयार किया गया और यह संस्थान की पेटेंट तकनीक पर आधारित था। पहली बार, जैव ईंधन के 10 प्रतिशत मिश्रण से संचालित एक आईएएफ एएन-32 विमान ने लेह में उड़ान भरी, जो दुनिया के सबसे ऊंचे हवाई अड्डों में से एक है।
- सीएसआईआर ने 2016 में सीएसआईआर-अरोमा मिशन का शुभारंभ किया था, जो सुगंध उद्योग के विकास और ग्रामीण रोजगार को बढ़ावा देने के लिए कृषि, प्रसंस्करण और उत्पाद विकास में हस्तक्षेप के माध्यम से सुगंध क्षेत्र में परिवर्तनकारी बदलाव लाने का प्रयास करता है। इस मिशन के तहत 6000 हेक्टेयर को खेती के दायरे में लाया गया है, जिसमें 46 आकांक्षी जिले शामिल हैं। लगभग 44,000+ लोगों को प्रशिक्षित किया गया और 231 डिस्टलेशन इकाइयां स्थापित की गईं और 500 टन आवश्यक तेल तैयार किया गया।
- सीएसआईआर-एनएएल ने उन्नत हल्के वजन वाले कंपोजिट के प्रसंस्करण के लिए अत्याधुनिक स्वदेशी आटोक्लेव प्रौद्योगिकी का सफलतापूर्वक विकास किया है जो आधुनिक दौर के नागरिक और सैन्य एयरफ्रेम के अभिन्न अंग हैं।
- सीएसआईआर-आईआईपी और गेल ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जो 1 टन प्लास्टिक अपशिष्ट और अन्य पॉलीओलेफ़िन उत्पादों को 850 लीटर के सबसे स्वच्छ ग्रेड डीजल में परिवर्तित कर सकती है।
- सीएसआईआर-आईआईसीटी ने हाइड्राज़ीन हाइड्रेट के निर्माण के लिए एक तकनीक विकसित की है, जिसका उपयोग एग्रोकेमिकल्स, फार्मास्यूटिकल्स और जल उपचार में किया जाता है। प्रौद्योगिकी के पायलट प्रोजेक्ट का प्रदर्शन गुजरात अल्कलीज़ एंड केमिकल्स लिमिटेड, वडोदरा (जीएसीएल) में किया गया था। 10 अक्टूबर 2022 को, भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आईआईसीटी प्रौद्योगिकी पर आधारित 10,000 टीपीए वाणिज्यिक संयंत्र राष्ट्र को समर्पित किया।
- सीएसआईआर-आईआईसीटी ने पोल्ट्री अपशिष्ट, खाद्य अपशिष्ट, प्रेस मिट्टी, मवेशी खाद, नगर निगम ठोस अपशिष्ट के जैविक अंश, (ओएफएमएसडब्ल्यू), सीवेज अपशिष्ट आदि जैसे जैविक ठोस अपशिष्ट से बायोगैस और जैव खाद के उत्पादन के लिए एनारोबिक गैस लिफ्ट रिएक्टर (एजीआर) के रूप में जानी जाने वाली एक उच्च दर बायोमिथेनेशन तकनीक का विकास करते हुए इसका पेटेंट कराया है। इसे हैदराबाद में बोवेनपल्ली सब्जी बाजार सहित देश भर में 20 से अधिक स्थानों पर कार्यान्वित किया गया है।
- सीएसआईआर-नीरी ने आर्द्रभूमि के निर्माण के लिए आरईएनईयू प्रौद्योगिकी विकसित की है जो स्थायी अपशिष्ट जल उपचार प्रक्रियाएँ हैं। पवित्र धार्मिक त्यौहार के दौरान तीर्थयात्रियों के लिए गंगा को स्वच्छ रखने के राष्ट्रीय मिशन का हिस्सा होने के नाते, 2019 के कुंभ मेले की तैयारी में, झूंसी, प्रयागराज में आरईएनईयू को सफलतापूर्वक कार्यान्वित किया गया था।
- सीएसआईआर ने देश भर में विभिन्न आबादी के 1,008 भारतीयों का संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण किया है। प्रेसिजन मेडिसिन के उभरते हुए क्षेत्र में जानकारी, आधारभूत डेटा और स्वदेशी क्षमता के निर्माण के लिए संपूर्ण जीनोम डेटा महत्वपूर्ण है। इस जीनोम अनुक्रमण ने जीनोम अनुक्रमण की मापनीयता और एक परिभाषित समयरेखा में जनसंख्या पैमाने पर कम्प्यूटेशनल विश्लेषण को बेंचमार्किंग करने में सक्षम बनाया है।
- सीएसआईआर-आईजीआईबी द्वारा आनुवंशिक रोगों के लिए 27 नैदानिक परीक्षणों के लिए प्रौद्योगिकी लाल पैथ लैब्स को हस्तांतरित की गई।
- सीएसआईआर-आईआईसीटी ने त्वचाविज्ञान, नेत्र विज्ञान और कर्करोग विज्ञान पर पेटेंट के लिए सन फार्मा के साथ एक वैश्विक लाइसेंसिंग समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। सन फार्मा व्यावसायीकरण से सीएसआईआर-आईआईसीटी को 240 करोड़ रुपये तक के अग्रिम और माइलस्टोन से जुड़े भुगतान और रॉयल्टी का भुगतान करेगी।
- सीएसआईआर-सीएलआरआई ने चमड़ा निर्माण प्रक्रिया के प्री-टैनिंग चरण में इलेक्ट्रो-ऑक्सीडेशन (ईओ) पर आधारित एक शून्य-अपशिष्ट जल निर्वहन तकनीक विकसित की है।
- सीएसआईआर-एनएएल ने दृष्टि ट्रांसमिसोमीटर की तकनीक को विकसित और स्थानांतरित किया है जिसे भारत के कई हवाई अड्डों पर स्थापित किया गया है। ट्रांसमिसियोमीटर एक दृश्यता मापने की प्रणाली है, जो हवाई अड्डे के सुरक्षित संचालन और लैंडिंग के लिए उपयोगी है। दृष्टि को देश के कई हवाई अड्डों पर स्थापित किया गया है और हाल ही में केम्पेगौड़ा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (केआईए) के रनवे पर 50वीं दृष्टि स्थापित की गई है। बेंगलुरु हवाई अड्डे ने अपने नए रनवे पर स्वदेशी विमानन मौसम निगरानी प्रणाली (एडब्ल्यूएमएस) भी स्थापित की है।
- वाणिज्यिक उत्पादन के लिए तेजस लड़ाकू विमान के लिए हेड-अप डिस्प्ले (एचयूडी) के एक नए संस्करण के निर्माण हेतु सीएसआईआर-सीएसआईओ, चंडीगढ़ और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) के बीच एक हस्तांतरण समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
- भारतीय निर्देशक द्रव्य (बीएनडी 420) भारत का पहला घरेलू विकसित उच्च शुद्धता वाला स्वर्ण संदर्भ मानक है, जिसे भारत सरकार टकसाल (आईजीएम), भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी), सीएसआईआर-एनपीएल और सामग्रियों की संरचनागत विशेषता के लिए राष्ट्रीय केंद्र के सहयोग से विकसित किया गया है।
- सीएसआईआर-सीएमईआरआई ने तीन भीड़ नियंत्रण वाहन (एमसीवी) विकसित किए हैं। पहला एमसीवी एक ट्रैक्टर पर बनाया गया है, जो हाइड्रॉलिक रूप से संचालित रिट्रेक्टेबल शील्ड से सुसज्जित है और पुलिस और बीएसएफ के लिए उपयुक्त है। अन्य विकसित एमसीवी हैवी श्रेणी (स्टैलियन चेसिस) एमसीवी 7.5टी पेलोड और मध्यम श्रेणी (एलपीटीए चेसिस) एमसीवी 2.5टी पेलोड हैं, जिसमें फ्रंट शोवेल, फ्रंट शील्ड; वाटर कैनन; फॉर्म स्प्रे सिस्टम; मल्टी-बैरल लॉन्चर्स (मैकेनाइज्ड शेल लोडिंग) आदि जैसी कई विशेषताएं हैं। भारी श्रेणी (स्टैलियन चेसिस) एमसीवी 7.5T पेलोड और ट्रैक्टर आधारित एमसीवी का मॉक परीक्षण और निरीक्षण सीआरपीएफ-आरएएफ टीम द्वारा किया गया है।
- सीएसआईआर-सीआईएमएफआर ने मध्य भारत में गोंडवाना बेसिन और गोदावरी बेसिन के दो क्षेत्रों में शेल गैस की खोज की है। इन दो बेसिनों में देश में अब तक खोजी गई कुल शेल गैस लगभग 63 ट्रिलियन क्यूबिक फीट (टीसीएफ) होने का अनुमान है। इसे गैर-पारंपरिक प्राकृतिक गैस के सर्वोत्तम स्रोतों में से एक माना जाता है।
- सीएसआईआर-सीएसआईओ द्वारा विकसित एक रीडिंग डिवाइस पाठ को जोर से पढ़कर नेत्रहीन दिव्यांगों की मदद करता है। “दिव्य नयन” नाम की उन्नत रीडिंग मशीन एक स्टैंड-अलोन, पोर्टेबल रीडिंग मशीन (पीआरएम) है। यह प्रौद्योगिकी सीईएल सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (सीईएल) को स्थानांतरित कर दी गई है।
- सीएसआईआर-एनसीएल ने मेथनॉल से डाइमिथाइल ईथर (डीएमई) बनाने के लिए एक स्वदेशी प्रक्रिया प्रौद्योगिकी स्थापित की है। डीएमई एक स्वच्छ ईंधन है जिसमें डीजल को बदलने की क्षमता है और यह एलपीजी गैस के लिए एक गैर-जीवाश्म योज्य के तौर पर काम करेगा। इससे एलपीजी आयात को कम करके प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना कार्यक्रम को भी मदद मिलेगी।
- सीएसआईआर-सीएसआईओ द्वारा अपनी तरह की पहली भूकंप चेतावनी प्रणाली विकसित की गई है। यह प्रणाली भूकंप के झटके को महसूस कर सकती है, उन्हें रिकॉर्ड कर सकती है और वास्तविक समय में संबंधित कार्रवाई बिंदुओं पर एक एसएमएस तैयार कर सकता है। इसे स्थापित कर दिया गया है और यह जुलाई 2015 से दिल्ली मेट्रो में काम कर रहा है।
- नुमालीगढ़ रिफाइनरी, बीपीसीएल में स्थापित सीएसआईआर-आईआईपी द्वारा विकसित वैक्स डिओलिंग तकनीक पर आधारित संयंत्र को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा राष्ट्र को समर्पित किया गया था। यह पूरी क्षमता से 50,000 एमएमटीपीए हाई वैल्यू पैराफिन वैक्स और 4,500 एमटीपीए माइक्रोक्रिस्टलाइन वैक्स का उत्पादन करेगा। इससे मोम के आयात में 50 प्रतिशत की कटौती करने में मदद मिलेगी और प्रति वर्ष लगभग 500 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत होगी।
- केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री श्री जितेंद्र सिंह द्वारा 2014 में देश में निर्मित पहला अनुसंधान पोत ‘सिंधु साधना‘ राष्ट्र को समर्पित किया गया था। सीएसआईआर-एनआईओ का मल्टी-डिसिप्लिनरी रिसर्च वेसल 80 मीटर लंबा और 17.6 मीटर चौड़ा है और इसमें 29 वैज्ञानिकों और 28 क्रू सदस्यों सहित 57 कर्मचारी बैठ सकते हैं। इसे 13.5 समुद्री मील की परिभ्रमण गति और 45 दिनों के स्थायित्व के लिए डिज़ाइन किया गया है। अनुसंधान पोत में 10 प्रयोगशालाएं हैं जो उच्च परिशुद्धता डेटा और नमूना अधिग्रहण की सुविधा प्रदान करने वाले अत्याधुनिक उपकरणों से सुसज्जित हैं।
- सीएसआईआर-नीरी ने वायु प्रदूषण को रोकने के लिए ग्रीन पटाखे विकसित किए। नकली पटाखों के निर्माण और बिक्री पर नज़र रखने के लिए ग्रीन लोगो और क्यूआर कोडिंग प्रणाली भी शुरू की गई।
- पहली बार, सीएसआईआर-आईएचबीटी ने भारतीय हिमालयी क्षेत्र में हींग की खेती शुरू की। चूंकि हींग भारतीय व्यंजनों में एक प्रमुख मसाला है, इसलिए सीएसआईआर-आईएचबीटी ने देश में इस महत्वपूर्ण फसल को पेश करने के लिए अथक प्रयास किए है।
- माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सीएसआईआर-एनपीएल के 75 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर राष्ट्रीय परमाणु टाइमस्केल और भारतीय निर्देशक द्रव्य प्रणाली को राष्ट्र को समर्पित किया और राष्ट्रीय पर्यावरण मानक प्रयोगशाला का शिलान्यास किया।
- सीएसआईआर-सीएसएमसीआरआई ने गन्ने के शीरे-आधारित अल्कोहल डिस्टिलरी में उत्पन्न स्पेंट वॉश से मूल्यवान पोटाश की रिकवरी के लिए एक तकनीक विकसित की है और विदेशी मुद्रा की बचत होती है और खतरनाक स्पेंट वॉश को त्यागने से रोकता है, जिसकी माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सराहना की थी।
- किसानों को आपूर्ति श्रृंखला और माल परिवहन प्रबंधन प्रणाली से जोड़ने के लिए सीएसआईआर-सीआरआरआई द्वारा किसान सभा ऐप विकसित किया गया है। यह पोर्टल किसानों, ट्रांसपोर्टरों और कृषि उद्योग से जुड़ी अन्य संस्थाओं के लिए वन-स्टॉप समाधान के रूप में कार्य करता है। इसे एक लाख से अधिक डाउनलोड किया गया है और यह क्षेत्रीय भाषाओं में भी उपलब्ध है।
- सीएसआईआर ने मिलावटी दूध का पता लगाने के लिए एक कम लागत और पोर्टेबल क्षीर स्कैनर विकसित किया है।
- सीएसआईआर के एनआईएमटीएलआई कार्यक्रम ने स्वदेशी दंत प्रत्यारोपण के विकास को उत्प्रेरित किया है। इसे आईआईटी दिल्ली, मौलाना आज़ाद इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल साइंसेज (एमएआईडीएस) द्वारा विकसित किया गया है। इस चिकित्सा उपकरण को मौलाना आज़ाद इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल साइंसेज (एमएआईडीएस) के सहयोग से आईआईटी दिल्ली में अवधारणा, डिजाइन और निर्मित किया गया। माननीय प्रधानमंत्री द्वारा मिले प्रशंसा पत्र के साथ इसकी सराहना की गई।
- हैदराबाद में भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान के सहयोग से सीएसआईआर-सीसीएमबी ने चावल की एक नई किस्म जारी की है जो कीटों का प्रतिरोध करती है और मधुमेह से ग्रस्त लोगों के लिए भी लाभकारी है। नई उन्नत सांबा मसूरी (आईएसएम) चावल की किस्म बैक्टीरियल ब्लाइट (बीबी) के लिए प्रतिरोधी है और साथ ही सभी प्रमुख चावल किस्मों में 50.9 पर सबसे कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) है।
- सीएसआईआर-एनएएल द्वारा विकसित 14-सीटर यात्री विमान सारस पीटी1एन के नए उन्नत संस्करण ने 24 जनवरी 2018 को एक सफल पहली उड़ान पूरी की।
- “जिज्ञासा” सीएसआईआर द्वारा स्कूली छात्रों को सीएसआईआर में वैज्ञानिकों से जोड़कर सीएसआईआर के वैज्ञानिक सामाजिक उत्तरदायित्व (एसएसआर) को व्यापक और गहरा करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर की गई प्रमुख पहलों में से एक है। सीएसआईआर ने केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस), जवाहर नवोदय विद्यालय के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। कार्यक्रम से 3,00,000 से अधिक छात्र लाभान्वित हुए हैं। हाल ही में, सीएसआईआर ने नीति आयोग की अटल टिंकरिंग लैब्स और उद्देश्यों के साथ साझेदारी की है।
- देश भर में अटल इनोवेशन मिशन द्वारा स्थापित 295 अटल टिंकरिंग लैब्स को अपनाने के लिए अपने वैज्ञानिकों और प्रयोगशालाओं का लाभ उठाने वाले छात्रों में एसटीईएम आधारित अनुसंधान और नवाचार रुचि को बढ़ावा देना।
सार्स-सीओवी2 महामारी और शमन की दिशा में सीएसआईआर का योगदान:
- सीआरआईएसपीआर/सीएएस आधारित पेपर डायग्नोस्टिक टेस्ट (एफईएलयूडीए)
- ड्राई-स्वैब-डायरेक्ट-आरटीपीसीआर डायग्नोस्टिक
- आयुर्वेद आधारित औषधियों का नैदानिक परीक्षण
- स्वस्थ वायु नॉन-इनवेसिव वेंटिलेटर
- ऑक्सीजन संयंत्र
- कोविड-19 रोगियों के लिए मेक-शिफ्ट अस्पताल
- यूवी-सी वायरस कीटाणुशोधन प्रणाली जिसे संसद के सेंट्रल हॉल, बसों, रेलवे कोच जैसी जगहों पर स्थापित किया गया है
- अस्पतालों और घर की सेटिंग में सार्स-सीओवी2 के लिए हवाई निगरानी
- टीके की डिलीवरी के लिए ऑक्टाकॉप्टर ड्रोन
- सीएसआईआर अरोमा मिशन और पुष्पखेती मिशन (एपीकल्चर): कृषक समुदाय के बीच आमूल-चूल परिवर्तन लाने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए, सीएसआईआर के अरोमा और पुष्पखेती मिशनों ने सुगंधित फसलों की खेती के तहत 14,500 से 27,500 हेक्टेयर क्षेत्र पर कार्य किया। सीएसआईआर ने उन तकनीकों के माध्यम से उद्यमशीलता (110) भी विकसित की है जो सुगंधित फसलों की खेती और प्रसंस्करण, उच्च सुगंध वाले रसायनों और उत्पादों के लिए मूल्यवर्धित सुगंधित फसलों को बढ़ावा देती हैं। भारत में पहली बार हींग की खेती शुरू की गई है और केसर की खेती का दायरा बढ़ाया गया है। सीएसआईआर ने जम्मू-कश्मीर के 10 जिलों में 1000 से अधिक कृषक परिवारों को लाभान्वित करते हुए लैवेंडर की खेती शुरू करके प्रसिद्ध बैंगनी क्रांति को सक्षम किया। भारत कुछ वर्ष पूर्व तक लेमनग्रास आवश्यक तेल के आयातकों में से एक था, अब दुनिया के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक बन गया है। फ्लोरीकल्चर मिशन के तहत लाहौल और स्पीति में ट्यूलिप कंद उत्पादन के स्वदेशी विकास ने रोपण सामग्री के आयात को कम करने में मदद की।
- गाँव का पानी गाँव में: सीएसआईआर ने चयनित गाँवों में जल संसाधन बढ़ाने के लिए ग्राम स्तरीय जल प्रबंधन (वीएवडब्ल्यूएम) योजनाओं को विकसित करने के लिए एक मिशन मोड परियोजना का नेतृत्व किया है। जल जीवन मिशन के तहत जल शक्ति मंत्रालय के सहयोग से उत्तर-पश्चिमी भारत के शुष्क क्षेत्रों में उच्च-रिज़ॉल्यूशन एक्विफर मैपिंग और प्रबंधन पर मिशन का शुभारंभ और इसे कार्यान्वित भी किया गया है। मिशन के एक्विफर मैपिंग कार्यक्रम के तहत उन्नत हेलिबॉर्न भूभौतिकीय सर्वेक्षण और अन्य वैज्ञानिक अध्ययनों का उपयोग प्रारंभ किया गया है। अब तक 1 लाख वर्ग किलोमीटर हेलिबॉर्न भूभौतिकीय सर्वेक्षण डेटा राजस्थान, हरियाणा और गुजरात राज्यों में एकत्र किया गया है। इस सर्वेक्षण से मुंजासर, लोहावत ब्लॉक, जिला जोधपुर, राजस्थान में जल स्रोत की पहचान हुई है।
- तकनीकी नवाचार ऊर्जा भंडारण उपकरण: सीएसआईआर की अगली पीढ़ी के ऊर्जा भंडारण समाधान (आईसीईएनजीईएसएस) परियोजना हेतु नवाचार केंद्र के तहत, लिथियम-आयन बैटरी प्रौद्योगिकी पर सीएसआईआर-सीईसीआरआई की जानकारी मैसर्स टाटा केमिकल्स लिमिटेड, मुंबई को स्थानांतरित की गई थी। परियोजना का प्रमुख उद्देश्य 100 मेगावाट ली-आयन बैटरी उत्पादन सुविधा के साथ अगली पीढ़ी के लिए ऊर्जा भंडारण समाधान विकसित करना और मौजूदा सुविधा को प्रतिदिन 1000 सेल तक बढ़ाना है, इस परियोजना का उद्देश्य आईपीआर और प्रौद्योगिकी विकास, बैटरी सामग्री की वृद्धि और उत्पादन, आपूर्ति श्रृंखला निर्माण और स्वदेशीकरण, कोयले से लिथियम की स्थिरता और सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) विकसित करना भी है।
- भारत की पहली स्वदेशी रूप से विकसित हाइड्रोजन ईंधन सेल बस का शुभारंभ: हाइड्रोजन ईंधन सेल पर चलने वाली भारत की पहली स्वदेशी बस को सीएसआईआर-एनसीएल और सीएसआईआर-सीईसीआरआई ने सेंटिएंट लैब्स के सहयोग से डिजाइन और विकसित किया है। सेंट्रल एयर कंडीशनिंग सुविधा से लैस 32-सीटर बस को 30 किलो हाइड्रोजन से 450 किलोमीटर तक की दूरी तय करने की क्षमता के साथ डिज़ाइन किया गया है। बस बिजली पैदा करने के लिए हाइड्रोजन ईंधन कोशिकाओं और वायु का उपयोग करती है और बिना रुके 600 किमी तक चल सकती है। बस से निकलने वाला एकमात्र उत्सर्जन पानी है, इस प्रकार, यह परिवहन का सबसे पर्यावरण अनुकूल तरीका है। ‘मेड इन इंडिया’ हाइड्रोजन फ्यूल सेल बस को 15 दिसंबर, 2021 को पुणे में लॉन्च किया गया था।
- कैबिनेट ने पेटेंट कार्यालयों के अलावा उपयोगकर्ताओं के लिए टीकेडीएल डेटाबेस की पहुंच बढ़ाने को मंजूरी दी: माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने 17 अगस्त 2022 को पेटेंट कार्यालयों के अलावा उपयोगकर्ताओं के लिए पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी (टीकेडीएल) डेटाबेस तक पहुंच बढ़ाने को मंजूरी दे दी है। उपयोगकर्ताओं के लिए टीकेडीएल डेटाबेस के खुलने से विभिन्न क्षेत्रों में भारत की मूल्यवान विरासत के आधार पर अनुसंधान और विकास और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।
- भूकंप और प्राकृतिक आपदाएँ- संपत्ति के नुकसान को कम करने के लिए विकसित तकनीक: सीएसआईआर-सीबीआरआई और सीएसआईआर-एसईआरसी भूकंप का सामना करने वाली संरचनाओं को डिजाइन कर रहे हैं, और इस तकनीक को सभी डिजाइनों में शामिल करने पर उचित जोर और महत्व दिया जा रहा है।
- सीएसआईआर स्वच्छता अभियान के प्रयासों को पूरा करने के लिए ‘वेस्ट टू वेल्थ‘ तकनीकों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है: सीएसआईआर ने वेस्ट टू वेल्थ प्रौद्योगिकियों और उत्पादों जैसे आसवनी से स्पेंट वॉश, औद्योगिक ठोस अपशिष्ट, ई-कचरा, कोयला आधारित बिजली उद्योग अपशिष्ट, बायोमास/कृषि अपशिष्ट, उर्वरक उद्योग अपशिष्ट, लाइम अपशिष्ट, मार्बल अपशिष्ट आदि विकसित किया है और ये प्रौद्योगिकियां एमएसएमई, उद्योगों और अन्य भागीदारों के साथ कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं।
- स्टील स्लैग स़ड़क: सड़क निर्माण एग्रीगेट्स के रूप में स्टील स्लैग के रूपांतरण के लिए स्टील स्लैग वेलोराइजेशन टेक्नोलॉजी: सीएसआईआर ने स्टील स्लैग वेलोराइजेशन तकनीक को सड़क बनाने के लिए अपशिष्ट स्टील स्लैग को परिवर्तित करने के लिए विकसित किया। अपशिष्ट स्टील स्लैग के माध्यम से विकसित प्रसंस्कृत स्टील स्लैग का सूरत के हजीरा में भारत की पहली स्टील स्लैग रोड के निर्माण में सफलतापूर्वक उपयोग किया गया है। लगभग एक लाख टन प्रसंस्कृत स्टील स्लैग सामाग्री का उपयोग स्टील स्लैग रोड निर्माण में प्राकृतिक एग्रीगेट के 100 प्रतिशत विकल्प के रूप में किया गया। इसकी अनूठी डिजाइन सुविधाओं के लिए सीआरआरआई तकनीक के माध्यम से निर्मित स्टील स्लैग रोड को इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में फर्स्ट स्टील स्लैग रोड के रूप में शामिल किया गया है। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने सीएसआईआर-सीआरआरआई तकनीक का उपयोग करते हुए अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्र में एक किलोमीटर की सड़क का निर्माण किया है।
- सीएसआईआर- टेक्नोएस रमन स्पेक्ट्रोमीटर (सीटीआर सीरीज) का डिजाइन और विकास: सीएसआईआर-एएमपीआरआई, भोपाल और मैसर्स टेक्नोएस इंस्ट्रूमेंट्स, जयपुर के सहयोग से सार्वजनिक-निजी भागीदारी में सीएसआईआर ने रमन स्पेक्ट्रोमीटर का विकास और व्यवसायीकरण किया है। हाई-एंड कमर्शियल ग्रेड रमन स्पेक्ट्रोमीटर, सीटीआर-300 और सीटीआर-150 के दो मॉडल जनवरी 2022 में उद्योग भागीदार, मैसर्स टेक्नोएस इंस्ट्रूमेंट्स द्वारा विपणन के लिए विकसित और अनुमोदित किए गए हैं।
- हंसा एनजी की पहली उड़ान: सीएसआईआर-एनएएल ने हंसा एनजी विमान को डिजाइन और विकसित किया, जो भारत में फ्लाइंग क्लबों के लिए प्रारंभिक उड़ान प्रशिक्षण विमान के रूप में इस्तेमाल किया जाने वाला एक समग्र दो सीटों वाला हल्का ट्रेनर विमान है, एक प्रशिक्षक विमान के रूप में इसे और अधिक उपयोगी बनाने के लिए हंसा 3 विमान में महत्वपूर्ण संशोधन किए गए हैं। नव विकसित हंसा 3 (एनजी) ने डीजीसीए द्वारा विशेष उड़ान परमिट प्राप्त करने के बाद 3 सितंबर 2021 को अपनी पहली उड़ान भरी। 20 मिनट की उड़ान में हंसा 3 (एनजी) ने पहली प्रोटोटाइप 4,000 फीट की अधिकतम ऊंचाई और 80 समुद्री मील की गति प्राप्त करते हुए प्रथम सफलतापूर्वक उड़ान पूरी की। इसके अलावा, विमान ने 19 फरवरी और 5 मार्च के बीच पुडुचेरी में समुद्र स्तरीय परीक्षणों को सफलतापूर्वक पूरा किया है। विमान को 19 फरवरी 2022 को 155 किमी/घंटा की परिभ्रमण गति से डेढ़ घंटे में 140 समुद्री मील की दूरी तय करते हुए पुडुचेरी के लिए उड़ाया गया था।
- भारतीय राष्ट्रीय फुटवियर साइजिंग सिस्टम का विकास: सीएसआईआर-सीएलआरआई ने भारतीय फुटवियर साइजिंग सिस्टम की स्थापना के लिए 3डी डिजिटल इमेजिंग तकनीक का उपयोग करके भारतीय आबादी के पैरों के आयामों पर एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण किया। सितंबर 2021 के अंतिम सप्ताह के दौरान 30 की संख्या में 3डी फुट स्कैनर के आदेश दिए गए और इन्हें स्थापित किया गया। सिनर्जी पार्टनर्स की पहचान की गई, और सेंट्रल फुटवियर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (सीएफटीआई), चेन्नई, सीएफटीआई, आगरा, गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड लेदर टेक्नोलॉजी (जीसीईएलटी) कोलकाता और मुजफ्फरपुर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी), मुजफ्फरपुर के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) की सिफारिशों के आधार पर जनसांख्यिकीय स्थानों (79 जिलों) को अंतिम रूप दिया गया। 3डी फुट स्कैनर पर 90 फील्ड स्टाफ के लिए हैंड्स ऑन ट्रेनिंग 5 अक्टूबर 2021 को शुरू हुई। मार्च 2022 के अंत तक कुल 1,01,880 फुट माप किए गए हैं। विकसित किया जा रहा भारतीय राष्ट्रीय फुटवियर साइजिंग सिस्टम आबादी की मदद करेगा। अच्छी फिटिंग वाले जूते पहने के लिए लोगों के पैरों की आकृति महत्वपूर्ण होती हैं और इस प्रकार सही माप वाले जूते आराम सुनिश्चित करने के अलावा पैरों की दुर्बलता को भी रोकते हैं।
- 3डी-मुद्रित रोगी-विशिष्ट चिकित्सा प्रत्यारोपण विकसित: सीएसआईआर-सीएसआईओ ने मानव शरीर के कई अंगों के लिए रोगी-विशिष्ट चिकित्सा प्रत्यारोपण के निर्माण के लिए एक तकनीक विकसित की है। उत्पाद के वाणिज्यिक उत्पादन और विपणन के लिए प्रौद्योगिकी को उद्योग को हस्तांतरित कर दिया गया है। विशेष रूप से लक्षित रोगियों के लिए आघात, कैंसर, फंगल संक्रमण या अन्य पुनर्निर्माण सर्जरी जैसी बीमारियों में रोगी-विशिष्ट प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है।
- डिजिटल मोड पर वैश्विक भारतीय वैज्ञानिक समुदाय को जोड़ना: सीएसआईआर ने सामाजिक चुनौतियों/समस्याओं का संयुक्त रूप से समाधान निकालने के लिए वैश्विक भारतीय एस एंड टी डायस्पोरा से जुड़ने के लिए एक आभासी मंच- प्रभास (प्रवासी भारतीय अकादमिक और वैज्ञानिक संपर्क) पोर्टल विकसित किया है। इसमें 47 देशों के 6000 से अधिक प्रवासियों का डाटाबेस उपलब्ध है।
- सीएसआईआर ‘स्किल इंडिया पहल‘: सीएसआईआर की स्किल इंडिया पहल का उद्देश्य सीएसआईआर प्रयोगशालाओं के संपर्क के माध्यम से युवा पीढ़ी को आवश्यक तकनीकी कौशल से लैस करना है। इस पहल के तहत 2 लाख से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया गया है।