ग्रेट निकोबार द्वीप में अंतर्राष्ट्रीय ट्रांसशिपमेंट पोर्ट के लिए अभिरुचि आमंत्रित की जाएगी
प्रस्तावित बंदरगाह की अधिकतम क्षमता प्रति वर्ष 16 मिलियन कंटेनरों को संभालने की होगी और पहले चरण में 4 मिलियन कंटेनरों को संभालने की क्षमता होगी
सरकार और सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) रियायतग्राही दोनों के निवेश सहित, 41,000 करोड़ रुपये (यूएसडी 5 बिलियन) के निवेश से परियोजना के पूरा होने की संभावना
ट्रांसशिपमेंट पोर्ट के आसपास नियोजित अन्य परियोजनाओं में एयरपोर्ट, टाउनशिप और पावर प्लांट शामिल
पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय द्वारा सभी इच्छुक पक्षों से अभिरुचि की अभिव्यक्ति (ईओआई) आमंत्रित की जा रही है
परियोजना की मुख्य विशेषताएं
- रणनीतिक स्थान – सिंगापुर, क्लैंग और कोलंबो जैसे मौजूदा ट्रांसशिपमेंट टर्मिनलों के साथ अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के मार्ग पर स्थित है।
- ड्राफ्ट – 20 मीटर की प्राकृतिक गहराई।
- कैचमेंट – उपमहाद्वीप में समान अंतरराष्ट्रीय सुविधाओं और भारतीय बंदरगाहों सहित निकटता में बंदरगाहों से ट्रांसशिपमेंट कार्गो को प्राप्त करने की क्षमता।
- चरण 1 के लिए परियोजना की विशेषताएं – दो ब्रेकवाटर, 400 मीटर चौड़ा नेविगेशनल चैनल, 800 मीटर व्यास का टर्निंग सर्कल, 7 बर्थ की कुल बर्थ लंबाई लगभग 2.3 किमी, कंटेनर यार्ड के लिए 125 हेक्टेयर, आरएमक्यूसी और आरटीजी सहित कंटेनर हैंडलिंग उपकरण, 2 तरल कार्गो बर्थ विकसित करने का प्रावधान।
ग्रेट निकोबार द्वीप के समग्र विकास के हिस्से के रूप में सरकार द्वारा घोषित द्वीप विकास कार्यक्रम की दिशा में काम करते हुए पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय, बंगाल की खाड़ी में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के ग्रेट निकोबार द्वीप की गलाथिया खाड़ी में मेगा इंटरनेशनल कंटेनर ट्रांसशिपमेंट पोर्ट (आईसीटीपी) के विकास की दिशा में काम कर रहा है। अन्य परियोजनाओं में एयरपोर्ट, टाउनशिप और पावर प्लांट शामिल हैं। द्वीपों के समग्र विकास का उद्देश्य बुनियादी ढांचे की कमी को पूरा करना और फीडरों से लेकर बड़े अंतर-महाद्वीपीय वाहकों तक सभी प्रकार के जहाजों के आकार में तेजी से वृद्धि के लिए आर्थिक अवसर में सुधार करना है। इसके अलावा, प्रस्तावित इंफ्रास्ट्रक्चर सेवा स्तर और सुविधाएं वैश्विक शीर्ष कंटेनर ट्रांसशिपमेंट टर्मिनलों तथा पड़ोसी बंदरगाहों के अनुरूप होगा।
यह परियोजना तीन प्रमुख संचालनों पर केंद्रित है, जिसके परिणामस्वरूप यह एक अग्रणी कंटेनर ट्रांसशिपमेंट पोर्ट, यानी भारतीय बंदरगाहों सहित आसपास के सभी बंदरगाहों से ट्रांसशिपमेंट कार्गो के लिए अंतर्राष्ट्रीय शिपिंग व्यापार मार्ग के साथ निकटता (40 समुद्री मील), 20 मीटर से अधिक की प्राकृतिक जल गहराई की उपलब्धता और क्षमता को वहन करने के संदर्भ में रणनीतिक स्थान बन सकता है।
विशेषज्ञ काफी समय से इस बात पर कायम हैं कि भारत में ट्रांसशिपमेंट हब को सक्षम करने के लिए एक मजबूत आर्थिक पक्ष मौजूद है, जो मौजूदा हब से भारतीय और क्षेत्रीय ट्रांसशिपमेंट ट्रैफिक को आकर्षित कर सकता है, राजस्व के अत्यधिक नुकसान को बचा सकता है, भारतीय व्यापार के लिए लॉजिस्टिक्स संबंधी अक्षमताओं को कम कर सकता है, देश की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता के जोखिम को कम कर सकता है और भारत के लिए एशिया-अफ्रीका, एशिया-अमरीका/ यूरोप कंटेनर ट्रैफिक व्यापार का एक बड़ा हब बनने का अवसर तैयार कर सकता है। वर्तमान में, भारत का लगभग 75 प्रतिशत ट्रांसशिप किया गया कार्गो भारत के बाहर बंदरगाहों पर संभाला जाता है। कोलंबो, सिंगापुर और क्लैंग इस कार्गो का 85 प्रतिशत से अधिक संभालते हैं, इस कार्गो का 45 प्रतिशत कोलंबो बंदरगाह पर संभाला जाता है। भारतीय बंदरगाह प्रति वर्ष कार्गो पर 200-220 मिलियन डॉलर की बचत कर सकते हैं। इसके अलावा, गलाथिया बे ट्रांसशिपमेंट पोर्ट के विकास से विदेशी मुद्रा की बचत, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश, अन्य भारतीय बंदरगाहों पर आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि, लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर में वृद्धि होने और इस प्रकार, दक्षता, रोजगार सृजन तथा राजस्व की हिस्सेदारी में वृद्धि जैसे महत्वपूर्ण लाभ अर्जित होंगे। इस ट्रांसशिपमेंट पोर्ट पर कई अन्य संबद्ध व्यवसाय जैसे – शिप चैंडलरी-शिप सप्लाई, शिप रिपेयर, क्रू चेंज फैसिलिटी, लॉजिस्टिक्स वैल्यू एडेड सर्विसेज, वेयरहाउसिंग और बंकरिंग की भी योजना है। इसके अतिरिक्त, इस परियोजना के अंत तक लगभग 1700-4000 अत्यधिक लाभदायक प्रत्यक्ष नौकरियों के सृजन की संभावना है।
प्रस्तावित सुविधा को 41,000 करोड़ रुपये की कुल अनुमानित लागत के साथ चार चरणों में विकसित करने की परिकल्पना की गई है। चरण 1 को वर्ष 2028 में 4 मिलियन टीईयू की हैंडलिंग क्षमता के साथ चालू करने का प्रस्ताव है, जो विकास के अंतिम चरण में 16 मिलियन टीईयू तक बढ़ रहा है। प्रस्तावित ट्रांसशिपमेंट पोर्ट के चरण 1 के लिए अनुमानित लागत लगभग 18,000 करोड़ रुपये है, जिसमें ब्रेकवाटर का निर्माण, ड्रेजिंग, रिक्लेमेशन, बर्थ, स्टोरेज एरिया, बिल्डिंग और यूटिलिटीज, उपकरणों की खरीद तथा स्थापना एवं कोर इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ पोर्ट कॉलोनी का विकास शामिल है, जिसे सरकारी सहयोग से विकसित किया जा रहा है।
लैंडलॉर्ड मोड के माध्यम से इस परियोजना के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) को प्रोत्साहित किया जाएगा। पीपीपी रियायतग्राही के पास न्यूनतम गारंटी यातायात के अधीन रियायतग्राही के अपने बाजार और व्यापार मूल्यांकन के आधार पर भंडारण क्षेत्र, कंटेनर संचालन उपकरण और अन्य बुनियादी ढांचे को विकसित करने की छूट होगी। रियायत पाने वाले को 30 से 50 साल (आवश्यकता के आधार पर) की लंबी अवधि की पीपीपी रियायत दी जाएगी, बंदरगाह सेवाओं के प्रावधान के लिए जिम्मेदारी दी जाएगी और बंदरगाह उपयोगकर्ताओं के लिए शुल्क लगाने, एकत्र करने एवं कायम रखने का अधिकार होगा।
पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय की इस महत्वकांक्षी परियोजना पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए, केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग और आयुष मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि “यह परियोजना भारत को स्वाबलंबी और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनने के लिए विकसित करने तथा देश के आर्थिक विकास का समर्थन करने में महत्वपूर्ण साबित होगी। पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय हमारे दूरदर्शी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा परिकल्पित एक नए भारत के निर्माण की भव्य दृष्टि को पूरा करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है।
पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय की ओर से श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट, कोलकाता (एसएमपीके), इस परियोजना के कार्यान्वयन के लिए नोडल एजेंसी है और विकास, संचालन के लिए आवश्यक प्रासंगिक तकनीकी विशेषज्ञता, वित्तीय क्षमता एवं परिचालन संबंधी अनुभव रखने वाले इच्छुक संगठनों से प्रस्तावित परियोजना के रखरखाव और लाभदायक विकास के लिए अभिरुचि की अभिव्यक्ति आमंत्रित करेगी।
आईसीटीपी, गलाथिया बे से संबंधित अभिरुचि की अभिव्यक्ति 28 जनवरी, 2023 से एसएमपीके वेबसाइट https://smportkolkata.shipping.gov.in और https://kopt.enivida.in पर उपलब्ध होगी। जमा करने की तारीख, विस्तार सहित अन्य सभी विवरण, स्पष्टीकरण, संशोधन आदि समय-समय पर उपरोक्त वेबसाइटों पर अपडेट किए जाएंगे। सभी नियम और शर्तें अभिरुचि की अभिव्यक्ति की अधिसूचना के अनुसार होंगी।