नरोत्तम को दिल्ली क्यों बुलाया था?

0

-महेश दीक्षित
मध्यप्रदेश में सत्ता और भाजपा संगठन में बदलाव को लेकर चर्चाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। पिछले महीने जब दिल्ली में भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई तो कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों में चर्चा थी कि, सत्ता-संगठन में बड़ा बदलाव होने वाला है, लेकिन चर्चाएं फिर ‘कयास’ साबित हुई। इसके बाद सीएम शिवराज जब नागपुर में संघ प्रमुख मोहन भागवत और उसके बाद दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिले, तो फिर कहा गया कि मप्र में सत्ता-संगठन में बड़ा बदलाव होने वाला है, लेकिन कुछ नहीं हुआ। अब जब बीच विधानसभा सत्र के बीच सीएम कुर्सी के प्रबल दावेदार और प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा को अचानक दिल्ली बुलाया गया, तो फिर राजनीतिक हलकों में सत्ता-संगठन में बदलाव की चर्चाएं चल पड़ी। हालांकि, यह अभी रहस्य ही बना हुआ है कि, नरोत्तम को दिल्ली क्यों बुलाया था? नारदजी से भाजपा के एक बड़े नेता कहते हैं कि, मप्र में बदलाव तो अवश्यसंभावी है। लेकिन कर्नाटक चुनाव के बाद होगा और वो भी बिल्कुल पोखरण विस्फोट की तर्ज पर।

भाजपा को चाहिए ‘वंदे मातरम’ गाने वाले
भाजपा संगठन की प्रत्येक चिंतन-मंथन बैठक, कार्यक्रम, सम्मेलन और अधिवेशन के शुभारंभ पर गाये जाने वाले राष्ट्रगीत ‘वंदेमातरम’ को लेकर हाल ही पार्टी की खूब छिछालेदार हुई। कांग्रेस ने इस मुद्दे को तिल-का ताड़ बनाने की कोशिश की। क्योंकि लय में नहीं गाने के कारण भाजपा के एक बड़े पदाधिकारी ने ‘वंदे मातरम’ को बीच बैठक में रूकवाया और कार्यकर्ताओं को दोबारा लय में गाने के लिए कहा। नारदजी से संघ के एक वरिष्ठ स्वयंसेवक कहते हैं कि इतने बड़े भाजपा संगठन में ‘वंदे मातरम’ को लय में गाने वाला एक भी कार्यकर्ता-पदाधिकारी का न होना, आश्चर्यजनक है। आखिर भाजपा संगठन कब तक संघ से बुलाकर स्वयंसेवकों से राष्ट्रगीत-‘वंदे मातरम’ का गान करवाता रहेगा।

डरा हुआ है कांग्रेस का टाइगर
पार्टी के दीगर कांग्रेस नेताओं ने कांग्रेस की सबसे सुरक्षित भोपाल की उत्तर विधानसभा सीट पर नजरें क्या गड़ानी शुरू कीं, कई सालों से बीमार कांग्रेस के टाइगर और सिटिंग एमएलए मियां आरिफ अकील को जैसे आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट कटने डर सताने लगा। यही वजह रही कि, जो ‘टाइगर’ बीमारी का बहाना लेकर भोपाल में होने वाले कांग्रेस की बड़ी बैठकों और सम्मेलनों तक में जाने से गुरेज-परहेज करता था, चलने-फिरने में लाचार होने के बावजूद व्हील चेयर पर सवार होकर कांग्रेस के राष्ट्रीयअधिवेशन में शामिल होने भोपाल से 1 हजार किलोमीटर दूर रायपुर पहुंच गया। नारदजी को कांग्रेस के एक पदाधिकारी बताते हैं कि, उत्तर विधानसभा को लेकर टाइगर इतना ज्यादा मोहग्रस्त है कि, भले ही शारीरिक रूप से लाचार है, लेकिन टिकट कटने की आशंका और दावेदारों की फौज ने उसको चलने-फिरने और दिल्ली दौड़ लगाने को मजबूर कर दिया है।

‘श्रीमंत’ समर्थक मंत्रियों की फजीहत!
श्रीमंत के साथ कांग्रेस से भाजपा में आए विधायक, (जो अब सरकार में मंत्री हैं) अपने क्षेत्रों में विरोध का सामना तो पहले से ही कर रहे थे, हाल ही में शिवराज सरकार द्वारा निकाली गई विकास यात्राओं में भी उनको जनता के भयंकर आक्रोश का सामना करना पड़ा। रायसेन जिले के एक ‘श्रीमंती’ मंत्री को जनता ने गालियां ही नहीं दीं, बाकी सब गत कर दी। कहने का अर्थ है श्रीमंतियों की अपने-अपने क्षेत्रों में विकास यात्रा के दौरान खासी फजीहत हुई। ये वो मंत्री हैं, जिनकी परफार्मेंस रिपोर्ट भाजपा संगठन और सीएम शिवराज के सर्वे में अत्यंत खराब आई है। नारदजी कहते हैं कि ऐसे में ‘श्रीमंत’ के सामने सबसे बड़ा राजनीतिक संकट यह है कि वे खराब परफारमेंस वाले अपने पट्ठों (मंत्रियों) के लिए विधानसभा चुनाव में किस मुंह से टिकट मांगेंगे। टिकट नहीं मिला तो ‘न घर के रहेंगे न घाट के’।

सिफारिशी ‘दामादों’ की खोज
भोपाल नगर निगम में किन-किन नेताओं (भाईसाबों) और अफसरों के कौन-कौन, कितने रिश्तेदार काम कर रहे हैं, इनकी नियुक्ति किस आधार पर की गई थी, इसको लेकर जांच-पड़ताल शुरू हो गई है। बताते हैं कि, निगम में जब जो नेता पार्षद-महापौर बना या अफसर आया, अपने दस-बीस रिश्तेदारों को निगम का दामाद बनाकर चला गया। खास बात यह है कि, ये वो ‘सिफारिशी’ कर्मचारी हैं, जो निगम के वार्ड कार्यालयों और लाइब्रेरियों में वर्षों से कागजों पर काम कर रहे हैं। लेकिन दफ्तर कभी नहीं आते। घर बैठे की निगम से तनख्वाह ले रहे हैं। नारदजी बताते हैं कि, सभी ‘सिफारिशी’ कर्मचारियों की जांच-पड़ताल की सुगबुगाहट से नगर निगम में हड़कंप मचा हुआ है और इनके ‘भाईसाबों’ ने सत्ता-संगठन के स्तर पर इस कार्रवाई को रूकवाने की जोर-जुगत शुरू कर दी है। विधानसभा चुनाव जो आने वाले हैं?

Leave A Reply

Your email address will not be published.