सर्बानंद सोनोवाल ने चेन्नई में बंदरगाह, जलमार्ग एवं तट के लिए राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी केंद्र के डिस्कवरी कैम्पस का किया उद्घाटन

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नई दिल्ली, 25अप्रैल। केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने तमिलनाडु के चेन्नई के आईआईटीएम में बंदरगाह, जलमार्ग एवं तट के लिए राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी केंद्र के डिस्कवरी कैम्पस का उद्घाटन किया। इस केंद्र का उद्देश्य देश में एक मजबूत सामुद्रिक उद्योग के निर्माण के अंतिम लक्ष्य को अर्जित करने की दिशा में समाधानों को सक्षम बनाते हुए सामुद्रिक सेक्टर के लिए अनुसंधान एवं विकास की सुविधा प्रदान करना है। यह अत्याधुनिक केंद्र सामुद्रिक प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उन्नति तथा 2047 तक आत्म निर्भर भारत के विजन को साकार करने की दिशा में बंदरगाहों एवं प्रचालनों में आधुनिकीकरण तथा उन्नयन सुनिश्चित करना है।

बंदरगाह, जलमार्ग एवं तट के लिए राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी केंद्र के पास सभी विषयों में बंदरगाह, तटीय एवं जलमार्ग सेक्टर के लिए शोध एवं परामर्शी प्रकृति की 2 डी एवं 3 डी परीक्षण करने की विश्व स्तरीय क्षमताएं हैं। महासागर की मॉडलिंग, तटीय एवं मुहाने के प्रवाहों का निर्धारण, तलछट एवं रूपात्मक गतिकी, नेविगशन एवं मैन्यूवरिंग की प्लानिंग, ड्रेजिंग एवं सिल्टेशन का अनुमान, बंदरगाह एवं तटीय इंजीनियरिंग – संरचनाओं एवं ब्रेकवॉटर्स की डिजाइनिंग में परामर्श, स्वायत्त प्लेटफॉर्म एवं वाहन, फ्लो एवं हल इंटरएक्शन की प्रायोगिक एवं सीएफडी मॉडलिंग, मल्टीपल्स हल्स की हाइड्रोनैमिक्स, बंदरगाह की सुविधाओं के साथ जुड़ी महासागर नवीकरणीय ऊर्जा कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां एनटीसीपीडब्ल्यूसी ने पहले ही भारत के सामुद्रिक सेक्टर की क्षमता को ईष्टतम बनाने में योगदान दिया है। चेन्नई के सुविधा केंद्र के पास 5 अत्याधुनिक प्रयोगशालाएं हैं जो आत्म निर्भर भारत के विजन की तर्ज पर समुद्री एवं सामुद्रिक समाधानों की डिजाइन एवं विकास, सिमुलेशन, विश्लेषण तथा उत्पादन के हर पहलू को कवर करती हैं। सृजित की गई प्रयोगशालाएं विशिष्ट कार्यक्षेत्रों में अन्य अंतर्राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं की तुलना में सर्वश्रेष्ठ हैं।

इस अवसर पर संबोधित करते हुए सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, ‘‘ सामुद्रिक सेक्टर के विकास में सक्षम बनाने के लिए प्रौद्योगिकीय समाधानों के अनुसंधान एवं विकास की दिशा में इस अत्याधुनिक केंद्र के उद्घाटन के साथ, हम भारत को एक आत्म निर्भर देश बनाने के हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन को साकार बनाने के और निकट आ गए हैं। राष्ट्र निर्माण में सामुद्रिक सेक्टर की भूमिका सर्वोच्च है। जब हम अपने निष्पादन में सुधार लाने की हमारी यात्रा आरंभ करना जारी रखते हैं, तो ऐसे केंद्र इस संबंध में एक अहम भूमिका निभाएंगे। हम विश्वास करते हैं कि इंजीनियरों एवं वैज्ञानिकों का हमारा समृद्ध और प्रतिभाशाली समूह सामुद्रिक सेक्टर की गतिशील चुनौतियों से निपटने के लिए सक्षम अत्याधुनिक समाधान उपलब्ध कराएगा। लॉजिस्ट्क्सि आवाजाही की एक मल्टी मॉडल प्रणाली विकसित करने के जरिये हमारे लॉजिस्ट्क्सि सेक्टर को पीएम राष्ट्रीय गतिशक्ति के माध्यम से किफायती लेकिन प्रभावी बना कर सशक्त बनाने के हमारे प्रधानमंत्री मोदी के विजन को इस केंद्र के आरंभ होने से बेशुमार सफलता प्राप्त हुई है। हमारे सागरमाला कार्यक्रम की रूपरेखा आधुनिक, विश्व स्तरीय बंदरगाह बनने तथा भारत के विकास के इंजन को शक्ति प्रदान करने के लिए वर्तमान व्यवस्था में परिवर्तन लाने के लिए बनाई गई है।’’

केंद्रीय मंत्री ने यह भी आश्वासन दिया कि इस सुविधा केंद्र का विस्तार सामुद्रिक स्टार्टअप्स की सहायता करने के लिए और अधिक विश्व स्तरीय लैब सुविधा केंद्रों तथा नवोन्मेषण हबों को शामिल करने के लिए किया जाएगा।

सागरमाला कार्यक्रम के उद्देश्यों को और आगे बढ़ाने के लिए, एनटीसीपीडब्ल्यूसी बंदरगाह तथा सामुद्रिक उद्योग कार्यकलापों का विश्लेषण करने तथा उन्हें बढ़ावा देते हुए अनुप्रयुक्त अनुसंधान का भी कार्य करेगा। दीनदयाल बंदरगाह, जवाहर लाल नेहरु बंदरगाह, पारादीप बंदरगाह, चेन्नई बंदरगाह, कामराजार बंदरगाह, वीओसी बंदरगाह, न्यू मैंगलोर बंदरगाह, विशाखापट्टनम बंदरगाह सहित प्रमुख बंदरगाहों ने इस संस्थान के निर्माण की दिशा में उदारतापूर्वक योगदान दिया है। भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण द्वारा भी उल्लेखनीय योगदान दिया गया है। प्रमुख केस स्टडी केंद्र उपलब्ध कराने के द्वारा एसएमपी कोलकाता, मोर्मुगाव बंदरगाह तथा कोच्चि बंदरगाह ने भी इस गतिविधि में साझीदारी की है।

इस प्रौद्योगिकी केंद्र से अनुसंधान की लागत में भी उल्लेखनीय रूप से कमी आएगी और इसका परिणाम बंदरगाह तथा सामुद्रिक सेक्टर में कार्य के लिए समय की बचत के रूप में भी सामने आएगा। यह केंद्र वैज्ञानिक सहायता के माध्यम से उद्योग के सामने आने वाली समस्याओं की व्यापक श्रृंखला के लिए प्रभावी समाधान उपलब्ध कराएगाी और इसके साथ साथ स्थानीय, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तरों पर भी सामुद्रिक परिवहन में बहुमूल्य शिक्षा, अनुप्रयुक्त अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी अंतरण उपलब्ध कराएगी।

भारत की अर्थव्यवस्था में सहायता करने के लिए बंदरगाह केंद्रित विकास को बढ़ावा देने तथा तटों को विकसित करने के लिए, सागरमाला परियोजना भारत के बंदरगाह सेक्टर को आधुनिक बनाने के लिए एक कार्यनीतिक तथा ग्राहक आधारित परियोजना है। पिछले आठ वर्षों में सागरमाला के तहत भीतरी क्षेत्रों में महत्वपूर्ण आर्थिक कार्यकलापों में सहायता करने तथा बेहतर दक्षताओं द्वारा लॉजिस्ट्क्सि लागत में कमी लाते हुए व्यापार की बढ़ती मात्रा पर ध्यान देने के लिए की गई पहलों ने बंदरगाहों की समग्र प्रचालनगत लागत में कमी लाने, पोतों के लिए टर्नअराउंड समय को घटाने, दक्षता तथा थ्रूपुट को बढ़ाने, बड़े जहाजों को हैंडल करने और दक्षिण एशियाई क्षेत्र में भारतीय बंदरगाहों के रणनीतिक महत्व को विकसित करने में मदद की है।

सागरमाला स्कीम के तहत, बंदरगाह, जहाजरानी एवं जलमार्ग मंत्रालय ने तटीय राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के बीच 10,900 करोड़ रुपये के बराबर की 171 परियोजनाओं का आंशिक रूप से वित्त पोषण किया है। इन 171 परियोजनाओं में से, 2,900 करोड़ रुपये के बराबर की 48 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं और 8,000 करोड़ रुपये के बराबर की 123 परियोजनाएं कार्यान्वयन तथा विकास के विभिन्न चरणों में हैं। वित्त वर्ष 2022-23 में, 2500 करोड़ रुपये के बराबर की 37 परियोजनाओं को सागरमाला स्कीम के तहत इस मंत्रालय द्वारा मंजूरी दी जा चुकी है। प्रचालनों में निजी क्षेत्र की दक्षता का उपयोग करने के लिए 40,200 करोड़ रुपये के बराबर की 52 परियोजनाओं को सार्वजनिक निजी साझीदारी (पीपीपी) मोड में प्रमुख बंदरगाहों पर पूरा किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त, 49,500 करोड़ रुपये के बराबर की 84 परियोजनाएं कार्यान्वयन तथा विकास के विभिन्न चरणों में हैं। उपरोक्त के अतिरिक्त, सागरमाला डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड ने आंध्र प्रदेश, ओडिशा तथा पश्चिम बंगाल में 4 परियोजनाओं में 530 करोड़ रुपये का निवेश किया है जो पूरी हो चुकी हैं।

सागरमाला कार्यक्रम के तहत सरकार द्वारा परियोजनाओं को आरंभ करने के लिए प्रोत्साहन प्रदान किया गया है जिसका परिणाम भूमि आधारित परिवहन से तटीय एवं अंतर्देशीय जलमार्ग मोड में कार्गो को स्थानांतरित करने के रूप में सामने आएगा जो टिकाऊ तथा पर्यावरण के अनुकूल है। इन उपायों के कारण पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में वित्त वर्ष 2022-23 में, बंदरगाहों पर तटीय माल ढुलाई की कुल मात्रा में ~16 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

बंदरगाहों पर इन्हीं प्रयासों का परिणाम है कि बंदरगाहों पर संचालित कुल कार्गो ने वित्तीय वर्ष की तुलना में वित्त वर्ष 2022-23 में, बंदरगाहों पर तटीय माल ढुलाई की कुल मात्रा में ~8.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज कराई है। इसने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए अनुमानित 440 बिलियन डॉलर के वस्तु व्यापार को अर्जित करने में योगदान दिया है।

उद्घाटन के दौरान, इंडियन मैरीटाइम विश्वविद्यालय की कुलपति सुश्री मालिनी वी शंकर, चेन्नई बंदरगाह प्राधिकरण के अध्यक्ष सुनील पालीवाल, न्यू मैंगलोर बंदरगाह प्राधिकरण के अध्यक्ष डॉ. वेंकट रमना अक्कराजू, आईआईटीएम के निदेशक प्रो. वी कामकोटि, महासागर इंजीनियरिंग विभाग के डीन (संकाय) प्रो. के मुरली, महासागर इंजीनियरिंग विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. एस नल्लायारासु तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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