भारतीय मूल के अनेक वैज्ञानिक विदेशों से स्वदेश वापस आना चाहते हैं और इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जाता है जिन्होंने सक्षम माहौल बनाया है: केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह
डॉ. जितेंद्र सिंह ने जैव प्रौद्योगिकी विभाग के 36वें स्थापना दिवस के अवसर पर एक कार्यक्रम को संबोधित किया और न्यू गाइडलाइंस फॉर ईज ऑफ डूइंग साइंसः टुवड्र्स लेस गवर्नमेंट, मोर गवर्नेंस जारी किया
मंत्री ने रामलिंगास्वामी री-एंट्री फेलोशिप कॉन्क्लेव का भी उद्घाटन किया
जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने जैव प्रौद्योगिकी के सभी पहलुओं के विकास में योगदान दिया है और जैव प्रौद्योगिकी का सर्वोत्तम कार्य सामने आना अभी बाकी है: डॉ.जितेंद्र सिंह
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत आज एक तरह का रिवर्स ब्रेन ड्रेन अर्थात विपरीत दिशा में प्रतिभा पलायन देख रहा है, जिसमें भारतीय मूल के अनेक वैज्ञानिक स्वदेश लौटना चाहते हैं और इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जाता है जिन्होंने देश में सक्षम माहौल बनाया है।
केंद्रीय मंत्री हरियाणा के फरीदाबाद के रीजनल सेंटर ऑफ बायोटेक्नोलॉजी में जैव प्रौद्योगिकी विभाग के 36वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे।
मंत्री ने न्यू गाइडलाइंस फॉर ईज ऑफ डूइंग साइंसः टुवड्र्स लेस गवर्नमेंट, मोर गवर्नेंस और डायरेक्ट्री फॉर रामलिंगास्वामी री-एंट्री फेलोज जारी किए। साथ ही, उन्होंने रामलिंगस्वामी री-एंट्री फेलोशिप कॉन्क्लेव का भी उद्घाटन किया। रामलिंगास्वामी री-एंट्री फेलोशिप जैव प्रौद्योगिकी विभाग की एक प्रतिष्ठित योजना है, जिसे 2006-07 में विदेश में काम कर रहे भारतीय वैज्ञानिकों को वापस लाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने जैव प्रौद्योगिकी विभाग को उसके 36वें स्थापना दिवस पर बधाई दी और कहा कि पिछले 36 वर्षों में डीबीटी ने पूरे देश में जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान और विकास, शिक्षा और नवाचार को प्रभावित किया है।
मंत्री ने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) ने दुनिया को यह दिखाने के अवसर के रूप में कोविड का इस्तेमाल किया कि यह क्या है। उन्होंने कहा कि विभाग ने जैव प्रौद्योगिकी के सभी पहलुओं के विकास में योगदान दिया है और सर्वोत्तम जैव प्रौद्योगिकी अभी आना बाकी है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि डीबीटी के पास जैव प्रौद्योगिकी के सभी क्षेत्रों में बुनियादी, आरंभिक और लेट ट्रांसलेशनल रिसर्च अर्थात जटिल कारकों से जुड़ा हालिया अनुसंधान उद्यमिता के साथ-साथ जैव प्रौद्योगिकी के सभी क्षेत्रों में नीतियों और दिशानिर्देशों के निर्माण की सुविधा के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र बनाकर जैव प्रौद्योगिकी का संवर्धन व शिक्षण का अधिदेश है। इसे उत्पाद विकास क्षमता निर्माण, मानव संसाधन और बुनियादी ढांचा दोनों के लिए राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी स्थापित करके अनुसंधान, नवाचार और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के माध्यम से प्राप्त किया जा रहा है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि डीबीटी ने देश भर में 15 थीम आधारित स्वायत्त संस्थान भी स्थापित किए हैं। नई दिल्ली सेंटर फॉर द इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी एक अंतरराष्ट्रीय संस्थान है और दो सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम बीआईबीसीओएल और बीआईआरएसी को भी बायोलॉजिकल के निर्माण तथा स्टार्टअप इनोवेशन इकोसिस्टम को बढ़ावा देने और पोषित करने के लिए स्थापित किया गया है।
केंद्रीय मंत्री ने कोविड-19 महामारी से निटपने की दिशा में डीबीटी की सराहनीय भूमिका को भी रेखांकित किया और विशेष रूप से मिशन कोविड सुरक्षा के तहत, डीबीटी ने कोविड-19 के लिए टीकों के विकास की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत में जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र पिछले तीन दशकों में विकसित हुआ है और इसने स्वास्थ्य, कृषि आदि सहित विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों से प्राप्त भारी समर्थन के कारण, जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में तेजी से विकास हुआ है और भारत को अब दुनिया के शीर्ष 12 जैव प्रौद्योगिकी गंतव्यों में शुमार किया जा रहा है।
इस अवसर पर दो बार माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली पहली महिला पद्मा संतोष यादव ने डीबीटी स्थापना दिवस व्याख्यान दिया। उन्होंने पर्वतारोहण के अपने अनुभव और चुनौतियों को वैज्ञानिकों तथा शोध छात्रों के साथ साझा किया।