`प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पशुपालन को एक स्वतंत्र मंत्रालय बनाया, जिसने इस क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है: परषोत्तम रूपाला
`केंद्रीय मंत्री परषोत्तम रूपाला ने एनडीडीबी आनंद में जी20 के कृषि कार्य समूह के तहत सतत पशुधन परिवर्तन पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का किया उद्घाटन
नई दिल्ली, 20 जुलाई। आजादी का अमृत महोत्सव और जी-20 के कृषि कार्य समूह (एडब्ल्यूजी) के तत्वावधान में , केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला ने एनडीडीबी, आनंद में सतत पशुधन परिवर्तन पर आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया।
`
संगोष्ठी के शुरु करते हुए, डीएएचडी की सचिव अलका उपाध्याय ने कहा कि पशुधन क्षेत्र में सतत परिवर्तन अधिक प्रासंगिक हो जाता है जब किसानों और इस क्षेत्र से जुड़े अन्य हितधारकों की संख्या, आजीविका देने और खाद्य सुरक्षा में इसकी भूमिका तथा छोटे धारकों की उत्पादन प्रणालियों में इसकी भूमिका देखी जाती है। संगोष्ठी को इस तरह से तैयार किया गया है कि इसमें विषय से संबंधित सभी विषयों पर विचार-विमर्श किया जा सकें। यह वैश्विक पशुधन उद्योग के सभी संभावित हितधारकों को एक साथ लाने वाला कार्यक्रम है, जिससे ध्येय एक ऐसा क्षेत्र को बनाना है जो अधिक प्रभावी, पर्यावरण के अनुकूल और समावेशी हो और साथ ही सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) में और अधिक योगदान दे सके।
अपने स्वागत भाषण में, एनडीडीबी के अध्यक्ष डॉ. मीनेश शाह ने कहा कि हम पशुधन क्षेत्र को और अधिक टिकाऊ बनाने और ‘बेहतर उत्पादन, बेहतर पोषण, बेहतर पर्यावरण और बेहतर जीवन’ के लिए अधिक कुशल, समावेशी, लचीले और टिकाऊ पशुधन क्षेत्र की ओर बढ़ने के लिए विशेषज्ञों के बीच विचार-विमर्श की उम्मीद कर रहे हैं। यह संगोष्ठी निश्चित रूप से हम सभी को एक-दूसरे से सीखने, रणनीति बनाने और कुछ समसामयिक चुनौतियों का समाधान करने, जिनमें एक स्वास्थ्य, जलवायु परिवर्तन और निरंतरता शामिल हैं, के लिए एक अच्छा मंच प्रदान करेगी, जिनका आज दुनिया के विकासशील और विकसित देश पशुधन क्षेत्र में सामना कर रहे हैं।
डॉ. शाह ने आगे कहा कि यह भी सच है कि इस ग्रह पर सभी प्राणियों का स्वास्थ्य एक दूसरे पर निर्भर है और एक पारिस्थितिकी तंत्र में बदलाव होने से दूसरे पारिस्थितिकी तंत्र पर असर पड़ना तय है। इसे “वसुदैव कुटुंबकम” कहावत में चरितार्थ किया गया है, जिसका अनुवाद “विश्व एक परिवार है” या इसे अलग तरीके से कहें तो यह “एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य” है जो भारत की जी-20 अध्यक्षता का प्रमुख थीम है।
अंतर्राष्ट्रीय डेयरी फेडरेशन (आईडीएफ) की महानिदेशक कैरोलिन एमॉन्ड ने स्वीकार किया कि भारत ने आजीविका का समर्थन करने और पोषण और स्वास्थ्य में सुधार के लिए डेयरी क्षेत्र का लगातार उपयोग किया है। हम ट्रांसफोरमेशन का विकास करने के लिए उदाहरण लेकर आ रहे हैं। इस सेक्टर में बहुत सारे अवसर हैं। पशुधन की भूमिका को पहचानना और इस क्षेत्र पर व्यय बढ़ाना महत्वपूर्ण है।
पशुधन क्षेत्र में स्थिरता के लिए सहयोग बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता का आह्वान करते हुए, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के स्वस्थ जनसंख्या प्रभाग के सहायक महानिदेशक डॉ. एलेन ली ने उल्लेख किया कि एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण के साथ नीति के निर्माण की आवश्यकता है। उन्होने कहा कि हमने एक स्वास्थ्य संयुक्त कार्य योजना शुरू की है जो भविष्य की महामारी की रोकथाम के लिए एक ब्लूप्रिंट के रूप में कार्य करती है और टिकाऊ जीवन और पशुधन परिवर्तन को बढ़ावा देती है।
विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूओएएच) के एशिया प्रशांत के क्षेत्रीय प्रतिनिधि डॉ. हिरोफुमी कुगिता ने कहा कि पशुपालन में विभिन्न पहलों को साझा करने के लिए डेयरी उद्योग के साथ जुड़ने का एक उत्कृष्ट अवसर है। स्वास्थ्य और महामारी से निपटने के लिए पशु स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए देशों के पास कुशल पशुचिकित्सकों का होना आवश्यक है। हमें पशुओं की बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए अच्छी पालन प्रथाओं की भी आवश्यकता है।
भारत में संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के प्रतिनिधि ताकायुकी हागिवारा ने बताया कि पशुधन महत्वपूर्ण है और ये गांवो के परिवर्तन और आर्थिक विकास, खाद्य सुरक्षा और पोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विश्व, भारत को देख रहा है। इसके पास डिजिटल प्रौद्योगिकियां और मुद्दों को हल करने की एक प्रणाली है। खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) सतत विकास लक्ष्यों के लिए भारत के साथ काम करना चाहेगा और भारत अन्य देशों को एक प्रभावी रास्ता दिखा सकता है।
डॉ. जेमी जोंकर, मुख्य विज्ञान अधिकारी, नेशनल मिल्क प्रोड्यूसर्स फेडरेशन, यूएसए ने दूध के महत्व और डेयरी क्षेत्र में पशुधन की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बात की।
उद्घाटन सत्र में धन्यवाद ज्ञापन करते हुए, पशुपालन आयुक्त डॉ. अभिजीत मित्रा ने एक स्वास्थ्य के लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में भारत की भूमिका और दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला।
दो दिवसीय संगोष्ठी का उद्देश्य पशुधन क्षेत्र पर विशेष ध्यान देने के साथ अधिक कुशल और टिकाऊ कृषि-खाद्य प्रणालियों में परिवर्तन पर गहरी चर्चा और विचार-विमर्श को बढ़ावा देना था। कार्यक्रम में भाग लेने वाले जी-20 के प्रतिष्ठित विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं और हितधारकों ने ज्ञान का आदान-प्रदान किया, अनुभव साझा किए और पशुधन क्षेत्र की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए नवीन दृष्टिकोणों की खोज की।
संगोष्ठी को एक मील का पत्थर कार्यक्रम के रूप में रेखांकित किया गया, जो पशुधन क्षेत्र में परिवर्तनकारी परिवर्तन ला रहा है और एक स्थायी भविष्य के लिए सहयोग को बढ़ावा दे रहा है।
इस कार्यक्रम में पशु स्वास्थ्य के लिए विश्व संगठन, विश्व स्वास्थ्य संगठन, खाद्य और कृषि संगठन, अंतर्राष्ट्रीय डेयरी फेडरेशन और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड और विभाग के विशेषज्ञों के साथ एक पैनल चर्चा का भी आयोजन हुआ। अमूल डेयरी और चॉकलेट संयंत्र तथा मुजकुवा डीसीएस का एक तकनीकी दौरा हुआ, जहां जी-20 देशों के प्रतिनिधियों ने देश की प्रसंस्करण प्रणालियों, दूध संग्रह और बायोगैस और सौर सहकारी समितियों के बारे में जानकारी दी।
पशुपालन और डेयरी विभाग, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार; राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी), संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन ने संयुक्त रूप से 18 से 19 जुलाई, 2023 तक चलने वाले दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया।