असम में लापता दिव्यांग महिला को आधार ने उसके परिवार से मिलाया
नई दिल्ली, 22 जुलाई। आधार ने एक बार फिर एक परिवार को एकजुट करने का काम किया है। इस बार, असम में एक दिव्यांग महिला कई हफ्तों तक अपने घर से गायब रहने के बाद फिर से परिवार से मिल गई।
यह महिला बोलने और सुनने में अक्षम है और संवाद करने में असमर्थ है। असम पुलिस ने इसे सोनितपुर जिले के उसके खानमुख गांव से लगभग 165 किलोमीटर दूर कामरूप जिले में सोनापुर न्यू मार्केट में बेघर भटकते हुए पाया और उसके आधार संख्या का उपयोग करके उसके घर के पते के बारे में जानकारी जुटाई गई।
पुलिस ने उस महिला को सखी वन स्टॉप सेंटर में भेजा जो एक गैर सरकारी संगठन है। यह संगठन भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की मिशन शक्ति की संबल उप-योजना के तहत महिलाओं को मनोसामाजिक परामर्श और अस्थायी आश्रय प्रदान करता है। जब लेखन और सांकेतिक भाषा के माध्यम से संचार स्थापित नहीं किया जा सका, तो उसे तस्वीरें दिखाई गईं और उसने आधार कार्ड की ओर इशारा किया।
जब भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के गुवाहाटी क्षेत्रीय कार्यालय से संपर्क किया गया, तो उसने भरपूर मदद का भरोसा दिलाया और सलाह देते हुए बताया कि महिला संभावित आधार नामांकन के लिए अपना फिंगरप्रिंट बायोमेट्रिक्स जमा कर सकती है।
यूआईडीएआई के गुवाहाटी क्षेत्रीय कार्यालय ने बताया कि फिंगरप्रिंट बायोमेट्रिक्स जमा करने पर, उसके मौजूदा आधार बायोमेट्रिक्स का मिलान किया जा सकता है और उसके आधार विवरण से उसके घर का पता लगाया जा सकता है और वह इस महीने की शुरुआत में अपने परिवार के साथ फिर से मिल सकती है।
आधार नामांकन न केवल जीवन को आसान बनाने और बेहतर सेवा वितरण में मदद करता है, बल्कि अपने परिवारों से अलग हुए लोगों को फिर से जुड़ने में भी मददगार साबित हो सकता है। इसलिए, यूआईडीएआई हमेशा प्रोत्साहित करता रहा है कि बच्चों को जल्द से जल्द नामांकित किया जाए और उनके बायोमेट्रिक्स को पांच वर्ष की आयु प्राप्त करने के बाद नामांकित किया जाए और 15 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर अपडेट किया जाए। ऐसा नामांकन और अद्यतन नि:शुल्क है और देश भर के सभी आधार नामांकन और अद्यतन केंद्रों पर किया जा सकता है।