एमपी में 9वीं सदी के राजा मिहिर भोज की विरासत को लेकर बढ़ा विवाद , गुर्जर-राजपूत समुदाय आमने-सामने
भोपाल, 3अगस्त। चुनावी राज्य मध्य प्रदेश में 9वीं सदी के राजा मिहिर भोज की विरासत को लेकर राजपूतों और गुर्जरों के बीच विवाद एक बार फिर बढ़ गया है. सोमवार को कुछ लोगों द्वारा ग्वालियर में राजा की आदमकद प्रतिमा के चबूतरे पर मिहिर भोज के नाम के साथ लगी ‘गुर्जर’ उपाधि को हटाने का प्रयास करने के बाद तनाव पैदा हो गया. यह प्रतिमा ग्वालियर नगर निगम द्वारा 2019 में शहर के चिरवई ब्लॉक में स्थापित की गई थी. क्षत्रिय या राजपूत समुदाय का दावा है कि मिहिर भोज उनके समुदाय से हैं और इस प्रकार उनके नाम के साथ ‘गुर्जर’ उपाधि का उपयोग समुदाय की भावनाओं को आहत करता है.
पिछले साल भी राजपूतों और गुर्जरों के बीच भारी झड़प हुई थी, जिसके बाद ग्वालियर में कर्फ्यू लगा दिया गया था. इस बीच, राजा की विरासत पर अपने दावों का समर्थन करते हुए दोनों पक्षों की ओर से मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर पीठ के समक्ष कुछ याचिकाएं दायर की गईं. एक याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस आनंद पाठक और शील नागू की पीठ ने तब कहा था कि “इस तरह की झड़पें न केवल कानून और व्यवस्था की स्थिति को प्रभावित करती हैं, बल्कि भाईचारे के सिद्धांत का भी उल्लंघन करती हैं जो हमारे संविधान में एक पोषित गुण है.
दोनों समुदायों द्वारा किए गए ऐतिहासिक दावों को निर्धारित करने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति भी गठित की गई थी और पुलिस और जिला प्रशासन को उस क्षेत्र (वह स्थान जहां प्रतिमा स्थापित है) की बैरिकेडिंग करने का निर्देश दिया गया था. मामला फिलहाल विचाराधीन है और विशेषज्ञ समिति को अभी अपनी रिपोर्ट सौंपनी है. सोमवार को दो युवक बैरिकेड हटाकर सीमेंटेड प्लेटफार्म (प्रतिमा की सतह) पर चढ़ गए. उन्होंने चबूतरे पर अंकित मिहिर भोज के नाम के पहले अंकित ‘गुर्जर’ को मिटाने का प्रयास किया. पूरी घटना सीसीटीवी फुटेज में रिकॉर्ड हो गई.
मंगलवार को पुलिस ने दावा किया कि इस मामले में शामिल दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है. विशेष रूप से, राजपूत और गुर्जर दोनों की ग्वालियर, शिवपुरी और मुरैना जिलों में महत्वपूर्ण आबादी है. मुरैना राजस्थान के धौलपुर जिले की सीमा पर स्थित है, जहां गुर्जर समुदाय का वर्चस्व है. मिहिर भोज की विरासत पर विवाद मध्य प्रदेश तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका असर पड़ोसी उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भी है. दरअसल, दिल्ली-एनसीआर में भी इस मुद्दे पर दोनों समुदायों के बीच विवाद की खबरें आईं. रिपोर्टों से पता चलता है कि पिछले महीने हरियाणा में इस पर विवाद बढ़ गया था.