रेगिस्तान में बदल चुके देश नाइजर में तख्तापलट से क्यों परेशान हुए अमीर देश
नई दिल्ली, 10अगस्त। 45 देशों में तख्तापलट, अफ्रीका का वो काला इतिहास जिसमें सरकारें गिराना बच्चों जैसा खेल: 1950 से अब तक दुनियाभर में 486 तख्तापलट हुए. इसमें 214 घटनाएं तो सिर्फ अफ्रीकी देशों में हुए. इसमें मात्र 106 कोशिशें ही असफल हुईं.
अफ्रीकी मुल्क नाइजर में तख्तापलट हो चुका है. सेना ने कमान संभालते हुए वहां के राष्ट्रपति को हिरासत में ले लिया, और सीमाएं सील कर दीं. लेकिन सुदूर अफ्रीकी देश की उथलपुथल से हमारा क्या वास्ता? वास्ता तो है, और हमारा ही नहीं, अमेरिका-रूस जैसे देशों का भी है. असल में नाइजर में फिलहाल दुनिया में सबसे ज्यादा यूरेनियम का भंडार है.
◆ नाइजर में तख्तापलट से अफ्रीका में खत्म हुआ अमेरिका-फ्रांस का दबदबा, रूस की तो लॉटरी लग गई
◆ नाइजर में तख्तापलट के बाद से ही हालात काफी गंभीर हैं। नाइजर के लोग रूसी झंडों के साथ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
◆ नाइजर में 26 मई को सैन्य तख्तापलट हुआ था। इसमें राष्ट्रपति गार्ड के कमांडर जनरल अब्दौराहामाने त्चियानी ने नाइजर के राष्ट्रपति मोहम्मद बज़ौम को अपदस्थ कर सत्ता पर कब्जा जमा लिया था।
नाइजर में सैन्य तख्तापलट के बाद पहले से ही अशांत और आतंक से प्रभावित साहेल क्षेत्र में एक बड़ी अशांति पैदा हो गई है। इकोवास के सदस्य देशों में बेनिन, बुर्किना फासो, काबो वर्डे, कोटे डी आइवर, गाम्बिया, घाना, गिनी, गिनी बिसाऊ, लाइबेरिया, माली, नाइजर, नाइजीरिया, सिएरा लियोन, सेनेगल और टोगो के साथ 5.2 मिलियन वर्ग किलोमीटर क्षेत्र शामिल है।
■ नाइजर में हो रही उठापटक की गूंज पूरी दुनिया, खासकर ताकतवर देशों तक पहुंच रही है. वैसे तो अफ्रीका लगातार ही अस्थिर रहता है, लेकिन ये मामला अलग है. हाल ही में वहां के राष्ट्रपति मोहम्मद बजौम को सत्ता से हटाकर सेना ने उसपर कब्जा कर लिया. अब देश में सैन्य शासन है.
■ इधर अमेरिका और यूरोपियन यूनियन दोनों ने ही सेना के खिलाफ राष्ट्रपति की मदद की बात की. रूस भी कहां पीछे रहने वाला था. वो सरकार के खिलाफ सेना का साथ देने की कह रहा है.
■ वैसे तो अफ्रीका से वेस्ट का खास मतलब नहीं रहा, लेकिन नाइजर का मामला अलग है. यहां यूरेनियम का बहुत बड़ा भंडार है.
■ वर्ल्ड न्यूक्लियर एसोसिएशन के मुताबिक ये देश यूरेनियम उत्पादन के मामले में सातवें नंबर पर है. यहां से अमेरिका, यूरोपियन यूनियन और रूस को भी यूरेनियम का आयात होता रहा.
■ साल 2019 में इसने ढाई हजार टन के करीब यूरेनियम का निर्यात अमेरिका, फ्रांस, स्पेन, जापान और चीन को किया था.
■ अब आर्मी ने देश के बॉर्डर बंद कर रखे हैं, तो इसका सीधा असर वहां से हो रहे एक्सपोर्ट पर होगा. यानी इन देशों के पास यूरेनियम नहीं पहुंच सकेगा. यही बात हर जगह खलबली मचाए हुए है.
क्या होगा अगर देशों से यूरेनियम सप्लाई रुक जाए: इससे सबसे पहला असर बिजली पर पड़ेगा. जैसे ही पावर जेनरेशन रुकेगा, काम ठप पड़ने लगेंगे. काम जारी रखने के लिए देश जीवाश्म ईंधन की तरफ जाने लगेंगे, जैसे लकड़ी, कोयला. ये ग्लोबल वॉर्मिंग को बढ़ाने वाला है. सबसे ज्यादा असर देशों के रिश्तों पर होगा. अगर कुछ देश यूरेनियम सप्लाई बंद कर दें और कुछ चालू रखें तो बाकी देश ज्यादा से ज्यादा पैसे देकर या दबाव बनाकर यूरेनियम लेना चाहेंगे. इससे जियोपॉलिटिकल टेंशन कई गुना बढ़ सकता है।