जन भागीदारी के माध्यम से हम सबको साथ लाकर आयुष को एक जन आंदोलन बना सकते हैं : सर्बानंद सोनोवाल

केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने पश्चिमी क्षेत्र के छह राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की क्षेत्रीय समीक्षा बैठक का किया उद्घाटन

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नई दिल्ली,10अक्टूबर। छह राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए राष्ट्रीय आयुष मिशन पर पूर्वी, मध्य और दक्षिणी क्षेत्र के बाद चौथी क्षेत्रीय समीक्षा बैठक मुंबई में आयोजित की गई, जिसमें राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा और केंद्र शासित प्रदेशों, अंडमान व निकोबार द्वीप समूह, दादरा व नगर हवेली, दमन व दीव के अधिकारियों और आयुष के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

इस बैठक का उद्घाटन केंद्रीय आयुष तथा पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने किया। केंद्रीय आयुष और महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री डॉ. मुंजपरा महेंद्रभाई और आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

आयुष मंत्रालय के प्रमुख कार्यक्रम के रूप में राष्ट्रीय आयुष मिशन के बारे में सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, “राष्ट्रीय आयुष मिशन (एनएएम) को आयुष स्वास्थ्य देखभाल को मजबूत और बेहतर बनाकर पूरे देश में आयुष स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं प्रदान करने के दृष्टिकोण और उद्देश्यों के साथ लागू किया जा रहा है, ताकि जरूरतमंद लोगों को सार्थक विकल्प मिल सकें।

आयुष को सभी के लिए उपलब्ध कराने के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, “जनभागीदारी के माध्यम से इस स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को जमीनी स्तर पर उपलब्ध कराने के लिए राष्ट्रीय आयुष मिशन के माध्यम से राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को दी जाने वाली सहायता को प्रसारित करना एक साझा जिम्मेदारी है।”

मंत्री महोदय ने एकीकृत स्वास्थ्य देखभाल पर जोर दिया और कहा, “लोगों को सर्वोत्तम स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने के लिए आधुनिक और पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को साथ-साथ चलना होगा।”

सर्बानंद सोनोवाल ने पारंपरिक चिकित्सा के प्रचार-प्रसार में विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारत सरकार की भूमिका का भी उल्लेख किया और कहा कि जामनगर, गुजरात में पारंपरिक चिकित्सा के वैश्विक केंद्र की स्थापना ने भारत की वैज्ञानिक और साक्ष्य आधारित पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों के विकास के नए द्वार खोले हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आयुष मिशन जैसे प्रमुख कार्यक्रम के माध्यम से हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि पारंपरिक चिकित्सा का लाभ देश के हर कोने तक पहुंचे।

इस अवसर पर डॉ. मुंजपरा महेंद्रभाई ने कहा, “हमें कार्यक्रम के संबंध में नतीजों की तुलना में सार्थक परिणामों पर जोर देना होगा। हमें अपने कामकाज की योजना बनाने, उसे क्रियान्वित करने और रिपोर्ट करने के लिए अपनी रणनीतियों व तकनीकों को फिर से दुरुस्त करना होगा, जिससे परिणामों का आकलन करने में सुविधा हो। मुझे विश्वास है कि इस तरह की चर्चाओं से हमें एक-दूसरे के उत्कृष्ट व्यवहारों से सीखने और हम सभी के बीच मजबूत संबंध बनाने का अवसर मिलेगा।”

आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने राष्ट्रीय आयुष मिशन के लिए की गई क्षेत्रीय समीक्षा बैठकों के बारे में जानकारी साझा करते हुए कहा, “राष्ट्रीय आयुष मिशन आयुष मंत्रालय की एक प्रमुख योजना है, जिसे देश में आयुष प्रणालियों के विकास और प्रचार के लिए राज्य/केंद्रशासित प्रदेश सरकारों के माध्यम से कार्यान्वित किया जा रहा है। एनएएम योजना के लिए बजटीय प्रावधान भी 800 करोड़ से बढ़कर 1200 करोड़ हो गया है। मंत्रालय ने सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के साथ समीक्षा बैठकें आयोजित की हैं। समीक्षा बैठकों में विभिन्न राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के वरिष्ठ अधिकारियों, आयुक्तों और मिशन निदेशकों ने भाग लिया और समीक्षा के दौरान सार्थक चर्चाएं हुईं।”

आयुष मंत्रालय की संयुक्त सचिव कविता गर्ग ने आयुष की अब तक की प्रगति और 2025 के लिए आयुष के रोडमैप पर एक प्रस्तुतिकरण दिया।

उद्घाटन सत्र पांच मिनट के वाई-ब्रेक सामान्य योग प्रोटोकॉल के साथ संपन्न हुआ।

इसके बाद कार्यक्रम में संवाद सत्र हुआ, जिसमें महाराष्ट्र, गोवा, राजस्थान, गुजरात, अंडमान व निकोबार के साथ-साथ दादरा और नगर हवेली और दमन व दीव ने अपने-अपने क्षेत्र में राष्ट्रीय आयुष मिशन का विस्तृत परिदृश्य प्रस्तुत किया। इसमें ज्ञान साझा करने के सिलसिले में मुख्य बिंदुओं, आगे की राह, सफलता की कहानियों पर विचार-विमर्श किया गया।

कार्यक्रम में शिरकत करने वाले आयुष मंत्रालय के अनुसंधान परिषदों/राष्ट्रीय संस्थानों द्वारा प्रस्तुतिकरण दिया गया तथा सभी प्रतिभागियों ने ब्रेक के दौरान पांच मिनट के सामान्य योग प्रोटोकॉल में हिस्सा लिया।

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