‘लड़कियों को यौन इच्छा पर कंट्रोल रखने की नसीहत’ देने वाले कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी

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नई दिल्ली, 8दिसंबर। ‘लड़कियों को यौन इच्छा पर कंट्रोल रखने की नसीहत’ देने वाले कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालतों को किसी मामले में फैसला देते वक़्त अपनी निजी राय/ उपदेश देने से बचना चाहिए। हाई कोर्ट की टिप्पणी बेहद आपत्तिजनक और ग़ैर ज़रूरी है. ये आर्टिकल 21 के तहत मूल अधिकारों का हनन है.

कोर्ट ने वकील माधवी दीवान को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया है. इसके साथ कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि क्या वो HC के फैसले के खिलाफ अपील दायर करना चाहती है . वकील सरकार से निर्देश लेकर कोर्ट को अवगत कराएंगे.

दरअसल, कुछ दिन पहले हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि नाबालिग लड़कियों को दो मिनट के मजे के बजाय अपनी यौन इच्छाओं पर कंट्रोल रखना चाहिए. इसके साथ ही कोर्ट ने लड़को को भी नसीहत दी थी कि उन्हें भी लड़कियों की गरिमा का सम्मान करना चाहिए. कोर्ट ने लड़की के स्वेच्छा से यौन सम्बंध बनाने के बयान देने के बाद आरोपी लड़के को भी पॉक्सो के आरोप से बरी कर दिया था.

कलकत्ता हाईकोर्ट के एक मामले में कहा था कि नाबालिग लड़कियों को दो मिनट के मजे की जगह अपनी यौन इच्छाओं पर कंट्रोल रखना चाहिए और नाबालिग लड़कों को युवा लड़कियों और महिलाओं और उनकी गरिमा का सम्मान करना चाहिए. इसके साथ ही रेप के आरोपी लड़के को हाईकोर्ट ने बरी कर दिया. केस कुछ यूं था कि आरोपी ने नाबालिग लड़की के साथ यौन संबंध बनाए थे. दोनों रोमांटिक रिलेशनशिप में थे.

आपको बता दें, पोक्सो कानून में 18 साल से कम उम्र की लड़की के साथ सहमति से बनाए गए यौन संबंध को भी रेप माना जाता है. अदालत ने किशोरों को यौन शिक्षा दिए जाने पर भी जोर दिया. कहा कि इसकी शुरुआत घर से होनी चाहिए. माता-पिता पहले शिक्षक होने चाहिए. बच्चों, खासकर लड़कियों को Bad Touch, अश्लील इशारों के बारे में बताना जरूरी है.

कलकत्ता हाई कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में ये भी कहा था,हमें कभी ये नहीं सोचना चाहिए कि केवल एक लड़की ही दुर्व्यवहार का शिकार होती है. लड़के भी दुर्व्यवहार के शिकार हो सकते हैं. माता-पिता के मार्गदर्शन के अलावा, इन पहलुओं और रिप्रोडक्टिव हेल्थ और हाइजीन पर जोर देने वाली यौन शिक्षा हर स्कूल में दी जानी चाहिए.”

हाईकोर्ट ने आखिरी में नाबालिग लड़कियों और लड़कों को कुछ कर्तव्यों का पालने का सुझाव दिया. कहा कि नाबालिग लड़कियों को अपने शरीर की रक्षा करनी चाहिए. अपनी गरिमा और आत्म-सम्मान की रक्षा करें. साथ ही निजता के अधिकारों की भी रक्षा करनी चाहिए. वहीं नाबालिग लड़कों को एक महिला, उसकी गरिमा, निजता और उसकी शारीरिक सीमाओं का सम्मान करना चाहिए.

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