हरियाणा के राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय और हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने 35वें सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेले का उद्घाटन किया
भारत सरकार के पर्यटन सचिव श्री अरविंद सिंह ने सूरजकुंड शिल्प मेले को संबोधित किया
हरियाणा के राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय और हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने आज 35वें सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेले का उद्घाटन किया। इस अवसर पर हरियाणा के पर्यटन वन, आतिथ्य और कला, शिक्षा, संसदीय कार्य मंत्री श्री कंवर पाल, उज़्बेकिस्तान दूतावास के विशिष्ठ राजदूत दिलशोद अखतोव, बड़खल की विधायक श्रीमती सीमा त्रिखा, भारत सरकार के केंद्रीय विद्युत और भारी उद्योग राज्य मंत्री श्री कृष्ण पाल, परिवहन, खान और भूविज्ञान, कौशल विकास और औद्योगिक प्रशिक्षण एवं चुनाव मंत्री श्री मूल चंद शर्मा और भारत सरकार पर्यटन मंत्रालय के सचिव श्री अरविंद सिंह सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति और केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
उद्घाटन सत्र के दौरान हरियाणा के राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय ने अपने संबोधन में सभ्यता और संस्कृति के विकास में कला और शिल्प के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने शिल्प मेला आयोजित करने के लिए केंद्र सरकार और हरियाणा सरकार के मंत्रालयों की प्रशंसा करते हुए कहा कि इससे भारत के शिल्पियों के साथ-साथ प्रतिभागी देशों को अपने-अपने देशों की कला और शिल्प की समृद्ध विरासत को प्रस्तुत करने का अवसर मिलता है।
हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि सूरज कुंड शिल्प मेला पूरे भारत के हजारों शिल्पकारों को अपनी कला और उत्पादों को बड़ी संख्या में आने वाले दर्शकों के सामने प्रदर्शित करने में सहायता करता है। इस प्रकार, इस मेले ने भारत के विरासत शिल्प को पुनर्जीवित करने में भी सहायता की है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष का सूरज कुंड शिल्प मेला विशेष है क्योंकि वर्तमान में हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। मेला पहली बार 1987 में आयोजित किया गया था और यह इस वर्ष आयोजित होने वाला 35वां शिल्प मेला है और यह न केवल हरियाणा के शिल्पियों के लिए बल्कि पूरे भारत के कारीगरों के लिए अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर प्रदान करता है और हमारी समृद्ध विरासत और संस्कृति को संरक्षित रखने के लिए प्रोत्साहन भी देता है।
भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय सचिव श्री अरविंद सिंह ने फरीदाबाद में आयोजित इस सूरजकुंड शिल्प मेले में अपने संबोधन में कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण 35वां सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला-2022 लंबे अंतराल के बाद आयोजित किया जा रहा है, क्योंकि वर्ष 2021 में कोविड महामारी के कारण इस बहुप्रतीक्षित शिल्प कार्यक्रम का आयोजन नहीं हो पाया था। हालांकि, इस वर्ष सूरजकुंड मेला नई ऊर्जा के साथ एक बड़े आयोजन के वादे के साथ आया है। उन्होंने इस वर्ष शिल्प मेले के आयोजन और कार्यान्वयन के लिए हरियाणा सरकार के प्रयासों और कड़ी मेहनत की प्रशंसा की और भारत में पर्यटन को बढ़ावा देने में यह कैसे मदद करेगा, इस विषय पर जानकारी भी दी।
हरियाणा सरकार के प्रमुख पर्यटन सचिव श्री एम.डी. सिन्हा ने कहा कि मेला ग्राउंड 43.5 एकड़ भूमि में फैला हुआ है और शिल्पकारों के लिए 1183 वर्क हट्स और एक बहु-व्यंजन फूड कोर्ट है, जो आगंतुकों के बीच बेहद लोकप्रिय है। मेले का परिवेश महुआ, नरगिस, पांचजन्य जैसे रूपांकनों और सजावट के साथ इसे विशिष्ट संस्कृति से जोड़ता है और इसके साथ ही स्वतंत्रता के 75 वर्ष की थीम के साथ स्वतंत्रता पदक, तिरंगे झंडे और स्मारक टिकटों के रूपांकनों और प्रतिकृतियों के साथ इसकी शोभा को बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि ‘सूरजकुंड मेला अब विदेशों में अत्यधिक लोकप्रियता के साथ एक पर्यटक कार्यक्रम भी बन चुका है और हम आने वाले संस्करणों में नए नवाचारों के साथ इस आयोजन को और भी भव्य बनाने की उम्मीद करते हैं।
सूरजकुंड शिल्प मेला 1987 में पहली बार भारत की हस्तशिल्प, हथकरघा और सांस्कृतिक विरासत की समृद्धि और विविधता को प्रदर्शित करने के लिए आयोजित किया गया था। केंद्रीय पर्यटन, कपड़ा, संस्कृति, विदेश मंत्रालय और हरियाणा सरकार के सहयोग से सूरजकुंड मेला प्राधिकरण एवं हरियाणा पर्यटन द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित, यह उत्सव शिल्प, संस्कृति के सौंदर्य और भारत के स्वादिष्ट व्यंजनों से सृजित परिवेश के शानदार प्रदर्शन के मामले में अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन कैलेंडर पर गौरव और प्रमुखता की श्रेणी पर पहुँच गया है। समय के साथ सामंजस्य बनाते हुए, पेटीएम इनसाइडर जैसे पोर्टलों के माध्यम से ऑनलाइन टिकट उपलब्ध कराए जाते हैं, जिससे आगंतुकों को लंबी कतारों की परेशानी के बिना मेला परिसर में आसानी से प्रवेश करने में मदद मिलती है। मेला स्थल तक आसपास के क्षेत्रों से आने वाले दर्शकों को लाने के लिए विभिन्न स्थानों से विशेष बसों का संचालन किया जाएगा।
जम्मू और कश्मीर 35वें सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला 2022 का ‘थीम स्टेट’ है, जो राज्य से विभिन्न कला रूपों और हस्तशिल्प के माध्यम से अपनी अनूठी संस्कृति और समृद्ध विरासत को प्रदर्शित कर रहा है। जम्मू-कश्मीर के सैकड़ों कलाकार विभिन्न लोक कलाओं और नृत्यों का प्रदर्शन करेंगे। पारंपरिक नृत्य कला रूपों से लेकर उत्कृष्ट शिल्प तक, दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने के लिए जम्मू और कश्मीर से विरासत और संस्कृति के एक गुलदस्ता के साथ उपस्थित है। वैष्णो देवी मंदिर, अमरनाथ मंदिर, कश्मीर से वास्तुकला का प्रतिनिधित्व करने वाले हाउस बोट का लाइव प्रदर्शन और स्मारक द्वार ‘मुबारक मंडी-जम्मू’ की प्रतिकृतियां इस वर्ष के मेले में मुख्य आकर्षण के रूप में उपस्थित हैं।
सूरजकुंड शिल्प मेले के इतिहास में एक शानदार उपलब्धि स्थापित करते हुए इसे 2013 में एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपग्रेड किया गया था। 2020 में, यूरोप, अफ्रीका और एशिया के 30 से अधिक देशों ने मेले में भाग लिया। इस वर्ष 30 से अधिक देश मेले का हिस्सा होंगे, जिसमें भागीदार राष्ट्र- उज्बेकिस्तान शामिल है। लैटिन अमेरिकी देशों, अफगानिस्तान, इथियोपिया, इस्वातिनी, मोजाम्बिक, तंजानिया, जिम्बाब्वे, युगांडा, नामीबिया, सूडान, नाइजीरिया, इक्वेटोरियल गिनी, सेनेगल, अंगोला, घाना, थाईलैंड, नेपाल, श्रीलंका, ईरान, मालदीव और बहुत से अन्य देश भी पूर्ण उत्साह के साथ भागीदार होंगे।
आगंतुकों के मन को प्रफुल्लित करने के लिए, भारत के राज्यों के कलाकारों सहित भाग लेने वाले विदेशी देशों के अंतर्राष्ट्रीय लोक कलाकारों द्वारा शानदार प्रदर्शनों की प्रस्तुति की जाएगी।
पंजाब का भांगड़ा, असम का बिहू, बरसाने की होली, हरियाणा के लोक नृत्य, हिमाचल प्रदेश का जमाकड़ा, महाराष्ट्र की लावणी, हाथ की चक्की का सीधा प्रदर्शन और हमेशा से विख्यात रहे बेहरुपिया जैसी अनेक कलाओं में माहिर कलाकार दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने के साथ-साथ मेला मैदान में अपनी मनमोहक प्रतिभा और प्रदर्शन से दर्शकों का मनोरंजन करेंगे।
मेला पखवाड़े के दौरान शाम के सांस्कृतिक कार्यक्रम में दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया जाएगा। रहमत-ए-नुसरत, रिंकू कालिया की गज़लों की गूंज, मंत्रमुग्ध कर देने वाली नृत्य प्रस्तुतियां, भावपूर्ण सूफी प्रदर्शन, माटी बानी द्वारा भारत की लय के अलावा जम्मू-कश्मीर, उज्बेकिस्तान और अन्य अंतरराष्ट्रीय कलाकारों के शानदार नृत्य और गीत शो जैसे बैंड के शानदार प्रदर्शन का आनंद उठा सकते हैं। हर शाम 7.00 बजे से चौपाल पर सभी गतिविधियों और उत्साह को पकड़ें।
हरियाणा का एक परिवार राज्य की प्रामाणिक जीवन शैली को प्रदर्शित करने के लिए विशेष रूप से बनाए गए ‘अपना घर’ में रहने जा रहा है। ‘अपना घर’ आगंतुकों को राज्य के लोगों की जीवन शैली का अनुभव प्रदान करने का अवसर देता है और उन्हें अपनी संस्कृति के बारे में जानने और सीखने का मौका प्रदान करता है। अपना घर में पारंपरिक मिट्टी के बर्तन, अन्य सामग्री आदि दिखाई जाएंगी और शिल्पकार इन पारंपरिक शिल्पों का लाइव प्रदर्शन करेंगे।
दोनों चौपालों को एक नया रूप दिया गया है, जो भाग लेने वाले राज्य और भागीदार राष्ट्र की विशेषताओं से प्रेरित है, ताकि पारंपरिक वस्तुओं के उपयोग के साथ-साथ दर्शकों के लिए प्रदर्शनों को जीवंत बनाया जा सके।
मेला 19 मार्च से 4 अप्रैल, 2022 तक प्रतिदिन दोपहर 12.30 बजे से 9.30 बजे तक खुला है।
35वें सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला-2022 की मुख्य विशेषताएं
⦁ उज्बेकिस्तान इस वर्ष के मेले में भागीदार राष्ट्र के रूप में भाग लेगा।
⦁ प्रौद्योगिकी (आईटी) की प्रगति के साथ तालमेल रखते हुए, मेला प्रवेश टिकटों को पेटीएम इनसाइडर के माध्यम से ऑनलाइन बुक किया जा सकता है
⦁ तकनीकी नवाचारों के माध्यम से परेशानी मुक्त पार्किंग
⦁ वेबसाइट पर उपलब्ध वर्चुअल टूर और शिल्पकार की जानकारी: www.surajkundmelaauthority.com
- कला और संस्कृति विभाग पारंपरिक और सांस्कृतिक कलाकारों जैसे राजस्थान से कच्छी घोड़ी, स्टिक वॉकर, कालबेलिया, बेहरुपिया, हिमाचल से कांगड़ी नाटी, असम से पीहू, पंजाब से भांगड़ा, जिंदुआ, झूमेर, उत्तराखंड से छपेली, उत्तर प्रदेश से बरसाना की होली, मेघालय से वांगिया, ओडिशा से संभलपुरी, मध्य प्रदेश से बधाई महाराष्ट्र से लावणी और अनेकों कलाकृतियों का प्रदर्शन करेगा।
- उद्योगिक सामाजिक उत्तरदायित्व पहल के रूप में, सूरजकुंड मेला प्राधिकरण दिव्यांग व्यक्तियों, वरिष्ठ नागरिकों और सेवारत रक्षा कर्मियों एवं पूर्व सैनिकों को प्रवेश टिकट पर 50 प्रतिशत की छूट प्रदान करेगा।
- हरियाणा का पुनर्निर्मित ‘अपना घर’ आगंतुकों को एक नए स्वरूप में रोमांचित करेगा।
- स्कूली छात्रों के लिए अनेक प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी।
- मेला पखवाड़े के दौरान निर्यातकों और खरीदारों की बैठक का आयोजन किया जाएगा जो शिल्पकारों को निर्यात बाजार तक पहुंचने और दोहन करने के लिए एक सहायता प्रणाली उपलब्ध कराएगा।
- सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए मेला मैदान में नाइट विजन कैमरों के साथ 100 से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना या दुर्घटना को रोकने के लिए मेला परिसर में महिला गार्ड सहित बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है।
- मेला पार्किंग में प्रवेश करने वाले वाहनों की नंबर प्लेट पहचान की जांच के लिए ई-निगरानी के लिए एनपीआर तकनीक का उपयोग
- आगंतुक दर्शकों को गिनने की तकनीक की शुरूआत
- मेला में प्रवेश करने वाले अतिक्रमियों की घुसपैठ की जांच
- सिल्वर जुबली गेट के समीप एमसीएफ के खोरी क्षेत्र में 2-3 एकड़ अतिरिक्त पार्किंग स्थल बनाया गया
- पूरे मेले के दौरान किसी भी आपात स्थिति के लिए दमकल दल और चिकित्सक दल उपलब्ध रहेगा।
- आपदा प्रबंधन योजना/निकासी योजना सभी महत्वपूर्ण स्थानों पर अत्याधुनिक चिकित्सा, अग्नि और आपदा प्रबंधन सुविधाएं उपस्थित हैं।
- बैंक, औषधालय, मेला पुलिस नियंत्रण कक्ष और सीसीटीवी नियंत्रण कक्ष एक केंद्रीकृत स्थल पर स्थित हैं ताकि आगंतुक और प्रतिभागी इन आवश्यक सेवाओं तक आसानी से पहुंच सकें।
- दिव्यांग व्यक्तियों के लिए बेहतर सुविधाएं।
- मेला परिसर में प्लास्टिक/पॉलीथिन की थैलियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है।
सूरजकुंड का इतिहास
लोकप्रिय सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेले का आयोजन स्थल सूरजकुंड, दक्षिणी दिल्ली से फरीदाबाद में 8 किलो मीटर की दूरी पर स्थित है। सूरजकुंड का नाम प्राचीन राजभूमि से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘सूर्य का कुंड’ जिसका निर्माण 10वीं शताब्दी में तोमर वंश के शासकों में से एक राजा सूरजपाल ने किया था। ‘सूरज’ का अर्थ ‘सूर्य’ है और ‘कुंड’ का अर्थ ‘कुंड/झील या जलाशय’ है। यह स्थान अरावली पर्वत श्रृंखला की पृष्ठभूमि के सामने निर्मित है।
जैसा कि इतिहासकार हमें बताते हैं, यह क्षेत्र तोमर वंश के अधिकार क्षेत्र में आता था। सूर्य उपासकों के वंश के शासकों में से एक राजा सूरज पाल ने इस क्षेत्र में एक सूर्य कुंड का निर्माण कराया था। ऐसा माना जाता है कि इसकी परिधि में एक मंदिर भी स्थापित था। पुरातात्विक उत्खनन से यहां खंडहरों के आधार पर एक सूर्य मंदिर के अस्तित्व का पता चला है जिसे अब भी देखा जा सकता है। फ़िरोज़ शाह तुगलक (1351-88) के तुगलक राजवंश शासन के दौरान हाइपरलिंक
http://en.wikipedia.org/wiki/Feroz_Shah_Tughlaq
, चूने के पत्थरों के साथ सीढ़ियों और छतों का पुनर्निर्माण करके जलाशय का नवीनीकरण किया गया था।
मेला वास्तव में इस शानदार स्मारक की पृष्ठभूमि में आयोजित भारत की सांस्कृतिक विरासत की समृद्धि और विविधता के प्रति एक श्रद्धांजलि है