हेमंत सोरेन की बढ़ेंगी मुश्किलें, ED ने दर्ज कराया एक और केस; यहां जानें क्या है पूरा मामला
रांची ,21फरवरी। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेल में बंद हैं. हाल ही में ED की रिमांड पूरी होने के बाद हेमंत सोरेने को न्यायिक हिरासत में रांची के होटवार स्थित बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल भेज दिया गया था. इन सबके बीच हेमंत सोरेन की मुश्किलें फिलहाल कम होती नजर नहीं आ रही हैं. प्रवर्तन निदेशालय ने हेमंत सोरेन के खिलाफ अदालत में एक और केस दर्ज करवाया है. ED ने समन की लगातार अवहेलना के आरोप में हेमंत सोरेन के खिलाफ रांची के CJM कोर्ट में कंप्लेन केस दर्ज कराया है. इस पर मंगलवार को सुनवाई भी हुई. अदालत ने शिकायत वाद में लगाए गए आरोपों की सुनवाई के लिए 27 फरवरी की तारीख मुकर्रर की है.
जानें अब किस मामले में दर्ज हुआ केस
ED की ओर से दर्ज कराए गए केस में बताया गया है कि जमीन घोटाले में पूछताछ के लिए हेमंत सोरेन को 10 समन भेजे गए थे, लेकिन इनमें से मात्र 2 पर वह उपस्थित हुए. यह PMLA (प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) की धारा 63 एवं IPC की धारा 174 के तहत गैरकानूनी है. रांची के बड़गाईं अंचल से संबंधित जमीन घोटाले को लेकर ED ने उन्हें पहली बार 14 अगस्त 2023 को हाजिर होने के लिए समन भेजा था. इसके बाद 19 अगस्त, 1 सितंबर, 17 सितंबर, 26 सितंबर, 11 दिसंबर, 29 दिसंबर 2023, फिर 13 जनवरी, 22 जनवरी और 27 जनवरी 2024 को समन भेजा गया था. 10वें समन पर उनसे 31 जनवरी को पूछताछ हुई थी और इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था.
ED ने 31 जनवरी को किया था गिरफ्तार
मालूम हो कि ED ने रांची के बरियातू में करीब साढ़े 8 एकड़ जमीन के घोटाले में 31 जनवरी को 8 घंटे की पूछताछ के बाद हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया था. उनसे इस जमीन के स्वामित्व, उनके दिल्ली स्थित आवास से BMW कार की बरामदगी, करीबी विनोद सिंह के व्हाट्सएप चैट के बारे में पूछताछ की गई है. हालांकि, ED ने हेमंत सोरेन पर पूछताछ में सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया. जमीन के स्वामित्व को लेकर पूछे गए सवालों के जवाब में उन्होंने इस बात से इनकार किया कि वह जमीन उनके कब्जे में है.
हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने भी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की याचिका पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था. सोरेन ने ED द्वारा की गई उनकी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने सोरेन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ताओं कपिल सिब्बल और अभिषेक सिंघवी से राहत के लिए हाईकोर्ट जाने को कहा.