राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव 2022 का पहला चरण आंध्र प्रदेश के राजमहेंद्रवरम में संपन्न हुआ
सांस्कृतिक प्रस्तुतियों, हस्तशिल्प, व्यंजनों और साहित्यिक कार्यक्रमों की विशाल श्रृंखला ने इस राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव को यादगार बनाया
आजादी का अमृत महोत्सव के तत्वावधान में आयोजित मेगा फेस्टिवल राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव 2022 का पहला चरण राजमहेंद्रवरम, आंध्र प्रदेश के आर्ट्स कॉलेज ग्राउंड में आज संपन्न हुआ। इस महोत्सव का उद्घाटन आंध्र प्रदेश के राज्यपाल श्री विश्वभूषण हरिचंदन और केंद्रीय संस्कृति, पर्यटन एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री श्री जीके रेड्डी द्वारा 26 मार्च 2022 को किया गया। यह महोत्सव पहली बार आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के तेलुगु राज्यों में आयोजित किया जा रहा है।
26 और 27 मार्च को आर्ट्स कॉलेज ग्राउंड, राजमुंदरी में आयोजित किए जा रहे इस दो दिवसीय उत्सव में आंध्र प्रदेश के उप मुख्यमंत्री श्री धर्मना कृष्णदास, आंध्र प्रदेश के पर्यटन और संस्कृति मंत्री श्री एम श्रीनिवास राव; एवं अन्य प्रमुख मंत्री, राजमुंदरी के सांसद श्री मारगनी भारत; सिने अभिनेता और पूर्व सांसद श्री एम. मोहन बाबू; सिने अभिनेत्री और पूर्व सांसद श्रीमती जयाप्रदा, राजमुंदरी सिटी की विधायक आदि रेड्डी भवानी, और अन्य प्रमुख गणमान्य लोग उपस्थित थे।
राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव की शुभ शुरुआत श्रीगंगाधर शास्त्री द्वारा भगवद्गीता पर प्रवचन के साथ हुई। इस अवसर पर आलोका कानूनगो की शास्त्रीय ओडिसी नृत्य प्रस्तुति और पी. जय भास्कर की संगीतमय प्रस्तुति ताल वाद्य कचेरी ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। वहीं श्री एस. पी. चरण, श्रीमती एस. पी. शैलजा, श्री वन्देमातरम श्रीनिवास और श्रीमती यू. सुनीता जैसे लोकप्रिय गायकों ने भारत रत्न लता मंगेशकर, श्री घंटासाला, श्री एस. पी. बालासुब्रमण्यम और श्री सिरिवेन्नेला सीताराम शास्त्री जैसे दिग्गजों के अमर गीतों से दर्शकों का मन बहलाया।
इससे पहले शनिवार को अपने उद्घाटन भाषण में आंध्र प्रदेश के राज्यपाल श्री विश्वभूषण हरिचंदन ने कहा कि राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव जैसे महोत्सवों से हमारी संस्कृति और परंपराएं ज्यादा मजबूत होंगी।
उद्घाटन समारोह में केंद्रीय संस्कृति, पर्यटन एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव, संस्कृति मंत्रालय का एक प्रमुख महोत्सव है जिसका उद्देश्य भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना, बढ़ावा देना और लोकप्रिय बनाना है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव ने एक राज्य की लोक और जनजातीय कला, नृत्य, संगीत, व्यंजन और संस्कृति को दूसरे राज्यों में प्रदर्शित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का “एक भारत श्रेष्ठ भारत” का लक्ष्य मजबूत हुआ है। इसने दक्षिण भारतीय राज्यों की समृद्ध संस्कृति और यहां की स्थानीय आबादी को भारत के अन्य हिस्सों की विविध संस्कृति से रूबरू करवाया है।
इस महोत्सव का मुख्य आकर्षण भारत के विभिन्न राज्यों का प्रतिनिधित्व करने वाले 540 से अधिक क्षेत्रीय लोक कलाकारों और आंध्र प्रदेश के 280 लोक कलाकारों द्वारा कोरियोग्राफ की गई प्रस्तुति थी, जिन्होंने एक रंगीन सांस्कृतिक उत्सव के माध्यम से ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना का प्रदर्शन किया। इन शुरुआती प्रस्तुतियों ने इस महोत्सव को ताउम्र के लिए यादगार बना दिया। दूसरे दिन सभी क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों के ढोल वादकों द्वारा मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्रस्तुतियों और भारत के सभी हिस्सों से आए कलाकारों द्वारा कोरियोग्राफ किए गए फोक मार्शल आर्ट्स की प्रस्तुति ने इस आयोजन में अपनी छाप छोड़ दी।
इस महोत्सव में प्रत्येक क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र के साथ-साथ आंध्र प्रदेश राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले रंगीन आंगनों में बने कारीगर प्रदर्शनी स्टॉलों पर हस्तशिल्प की वस्तुओं की तेज बिक्री भी देखी गई। इस महोत्सव में आए लोगों ने स्थानीय और अन्य राज्यों के ज़ायकों का लुत्फ भी उठाया, जिन्हें फूड फेस्टिवल के माध्यम से आयोजित किया गया था जहां 30 व्यंजन स्टॉल लगाए गए थे। जेडसीसी के लगभग 140 कारीगरों ने इन आंगनों में अपने उत्पादों का प्रदर्शन किया, वहीं आंध्र के 40 कारीगरों ने भी उनके लिए तैयार एक विशेष आंगन के जरिए हिस्सा लिया।
इस महोत्सव के हिस्से के रूप में आदिकवि नन्नया विश्वविद्यालय द्वारा “गोदावरी जिलों की साहित्यिक और सांस्कृतिक विरासत” विषय पर एक दिवसीय साहित्यिक संगोष्ठी भी आयोजित की गई थी।
राजमुंदरी में राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव ने वाकई में दक्षिणी राज्यों की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित किया और एक ही मंच और जगह पर यहां की स्थानीय आबादी को भारत के दूसरे हिस्सों की विविध संस्कृति, शिल्प और व्यंजनों से परिचित कराया। आम जनता की अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए इस महोत्सव में प्रवेश को निःशुल्क रखा गया था।
आरएसएम का दूसरा और तीसरा चरण क्रमशः 29-30 मार्च और 1-3 अप्रैल को वारंगल और हैदराबाद में आयोजित किया जाएगा।