केंद्रीय कृषि मंत्री ने कृषि-खरीफ अभियान -2022 पर राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया
देश वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान खाद्यान्न, दलहन तथा तिलहन का क्रमशः 3160.1, 269.5 तथा 371.5 लाख टन का रिकॉर्ड उत्पादन करेगा
पिछले 2 वर्षों से कार्यान्वित सरसों मिशन ने रेपसीड तथा सरसों के उत्पादन को 26 प्रतिशत बढ़ाकर 91.2 लाख से 114.6 लाख टन किया
केंद्र तथा राज्य कीटनाशकों तथा बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए एकसाथ मिलकर काम करेंगे : श्री नरेन्द्र सिंह तोमर
वित्त वर्ष 2022-23 के लिए खाद्यान्न का राष्ट्रीय लक्ष्य क्रमशः 3280, दलहन के लिए 295.5 तथा तिलहन के लिए 413.4 लाख टन निर्धारित किया गया है
केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने आज नई दिल्ली के एनएएससी परिसर में कृषि के लिए खरीफ अभियान 2022-23 पर राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। श्री तोमर ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि द्वितीय अग्रिम आकलनों (2021-22) के अनुसार, देश में कुल खाद्यान्न उत्पादन 3160 लाख टन अनुमानित है जो एक सर्वकालिक रिकॉर्ड होगा। दलहन और तिलहन का उत्पादन क्रमशः 269.5 तथा 371.5 लाख टन होगा। तृतीय अग्रिम आकलनों के अनुसार, वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान बागवानी उत्पादन 3310.5 लाख टन होगा जो भारतीय बागवानी क्षेत्र के लिए सर्वकालिक उच्चतम है। श्री तोमर ने कहा कि किसानों के लिए इनपुट लागतों में कमी लाने के लिए केंद्र तथा राज्य कीटनाशकों तथा बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए एक साथ मिल कर काम करेंगे। उन्होंने आग्रह किया कि यूरिया को नैनो-यूरिया के साथ विस्थापित करने के लिए एक कार्यनीति होनी चाहिए। उन्होंने घोषणा की कि सरकार को प्राकृतिक तथा जैविक कृषि पर जोर देना जारी रखना चाहिए। निर्यात के संबंध में श्री तोमर ने कहा कि जहां कृषि निर्यातों में बढोतरी हुई है, गुणवत्ता उत्पादों पर ध्यान दिया जाना चाहिए जिससे कि वे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धा कर सकें। उन्होंने कहा कि निर्यातकों और किसानों दोनों को लाभ पहुंचना चाहिए।
इस सम्मेलन का उद्देश्य फसलों का उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए पूर्ववर्ती फसल सीजनों के दौरान फसल निष्पादन की समीक्षा तथा आकलन करना और राज्य सरकारों के परामर्श के साथ खरीफ सीजन के लिए फसल-वार लक्ष्य निर्धारित करना, महत्वपूर्ण इनपुटों की आपूर्ति सुनिश्चित करना तथा नवोन्मेषी प्रौद्योगिकीयों के अंगीकरण को सुगम बनाना है। सरकार की प्राथमिकता चावल एवं गेहूं जैसी अत्यधिक वस्तुओं से तिलहन एवं दलहन जैसी कमी वाली वस्तुओं तथा उच्च मूल्य निर्यात अर्जित करने वाली फसलों की तरफ भूमि का विचलन करने के लिए कृषि-पारिस्थितिकी आधारित फसल योजना निर्माण करने की है। सरकार तिलहनों एवं दलहनों में स्व पर्याप्तता एवं पाम ऑयल को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करते हुए फसल विविधीकरण को उच्च प्राथमिकता दे रही है। देश में फसल विविधीकरण कार्यक्रम के लिए एक राष्ट्रीय नीति रूपरेखा को अंतिम रूप देने के लिए प्रमुख राज्यों, शोधकर्ताओं, उद्योगों तथा नीति निर्माताओं जैसे सभी हितधारकों के साथ विचार विमर्श किया गया है। सभी राज्यों को कृषि को टिकाऊ, लाभप्रद तथा कमी वाली फसलों में स्व-निर्भर बनाने के लिए फसल विविधीकरण की दिशा में कार्य करना चाहिए।
सम्मेलन में वित्त वर्ष 2022-23 के लिए खाद्यान्न का राष्ट्रीय लक्ष्य चालू वर्ष के दौरान 3160 लाख टन के अनुमानित उत्पादन की तुलना में 3280 लाख टन निर्धारित किया गया है। दलहन तथा तिलहन के लिए वित्त वर्ष 2022-23 के लिए खाद्यान्न का राष्ट्रीय लक्ष्य क्रमशः 295.5 लाख टन एवं 413.4 लाख टन निर्धारित किया गया है। पोषक अनाजों के उत्पादन का लक्ष्य वित्त वर्ष 2021-22 के 115.3 लाख टन से बढ़ा कर वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान 205.0 लाख टन कर दिया गया है। कार्यनीति अंतर फसल तथा फसल विविधीकरण के माध्यम से क्षेत्र को बढ़ाने तथा एचवाईवी को लागू करने और निम्न ऊपज वाले क्षेत्रों में उपयुक्त कृषि पद्धतियों को अपनाने के माध्यम से उत्पादकता में वृद्धि करने की होगी।
सचिव (कृषि एवं किसान कल्याण) श्री मनोज आहुजा ने कहा कि देश में वित्त वर्ष 2015-16 से ही खाद्यान्न उत्पादन में बढोतरी का रुझान बना हुआ है। पिछले 6 वर्षों के दौरान कुल खाद्यान्न उत्पादन 25 प्रतिशत बढ़कर 251.54 मिलियन टन से 316.01 मिलियन टन हो गया है। तिलहनों में भी समान प्रकार का रुझान ही देखा गया है और उसमें वित्त वर्ष 2015-16 के 25.25 मिलियन टन के मुकाबले 42 प्रतिशत की बढ़ोतरी प्रदर्शित की गई है जो वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 37.15 मिलियन टन तक पहुंच गई है। कृषि उत्पादों के भारतीय निर्यातों में वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 19.92 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई जो 50.21 बिलियन डॉलर (376575 करोड़ रुपये) तक पहुंच गया। गेहूं, अन्य अनाज, चावल (बासमती को छोड़ कर), सोया मील, कच्चा कपास, ताजी सब्जियां तथा प्रसंस्कृत सब्जियों आदि जैसी वस्तुओं ने सर्वाधिक सकारात्मक वृद्धि दर्ज कराई है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्य तथा पोषण संबंधी सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए कृषि एवं बागवानी क्षेत्रों के लिए उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि करती है। सरकार ने कई विकास संबंधी कार्यक्रम, स्कीम, सुधार तथा नीतियों को अपनाया है जो किसानों के लिए उच्चतर आय पर ध्यान केंद्रित करती है। 381.95 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ सभी तिलहनों के लिए तीन वर्षों की सीड रौलिंग कार्य योजना (वित्त वर्ष 2021-22 से 2023-24) से नए एचवाईवी के कुल 14.7 लाख क्विंटल बीज का उत्पादन अगले तीन वर्षों के दौरान किया जाएगा।”
खरीफ सीजन में फसल प्रबंधन के लिए कार्यनीतियों पर एक विस्तृत प्रस्तुति देते हुए कृषि आयुक्त डॉ. ए. के. सिंह ने कहा कि सरकार द्वारा सही समय पर किए गए उपायों के करण देश ने खाद्यान्नों, तिलहनों तथा बागवानी उत्पादन में सर्वकालिक ऊंचाई दर्ज कराई है। अब विशेष फोकस तिलहनों, दलहनों तथा पोषक अनाजों पर दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मानसून के बाद वर्षा सामान्य से अधिक रही है तथा ग्रीष्म ऋतु के दौरान लगभग 55.76 लाख हेक्टेयर में खेती की जा रही थी। सरकार की नीति के बाद, दलहन तथा तिलहन की खेती में वृद्धि के अनुरूप, चावल के तहत क्षेत्र में कमी आई है। सरकार ने बीज तथा उर्वरक की आवश्यकता पर काम किया है तथा सही समय पर उनकी आपूर्ति सुनिश्चित करेगी। (विस्तृत प्रस्तुति के लिए यहां क्लिक करें)
सचिव (उर्वरक) ने आगामी सीजन के लिए उर्वरक आपूर्ति की स्थिति पर विचार विमर्श किया। पोषक-अनाजों के उत्पादन में वृद्धि करने के लिए तथा 2023 में मोटे अनाजों पर अंतरराष्ट्रीय वर्ष मनाने के लिए की गई नई पहलों पर विस्तृत प्रस्तुति की गई। आरकेवीवाई के तहत कैफेटेरिया दृष्टिकोण तथा कृषि मशीनीकरण के लिए उप-स्कीमों को राज्यों के लाभ के लिए साझा किया गया। डिजिटल कृषि, पीएम-किसान तथा प्राकृतिक कृषि पर भी प्रस्तुति दी गई।
अपर सचिव (कृषि) तथा कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, आईसीएआर के वरिष्ठ अधिकारियों तथा विभिन्न राज्य सरकारों के अधिकारियों ने राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लिया। गुजरात, असम, कना्रटक, मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश राज्यों ने अपनी प्रगति साझा की। इसके बाद, सभी राज्यों के कृषि उत्पादन आयुक्तों तथा प्रधान सचिवों के साथ परस्पर बातचीत का सत्र आयोजित किया गया जिससे कि वे खरीफ सीजन के दौरान क्षेत्र का कवरेज, उत्पादन तथा उत्पादकता बढ़ाने के लिए अपने राज्यों से संबंधित मुद्वे उठा सकें।